अभी-अभी यहां की सरकार ने लिया बड़ा फैसला, अब नोटों पर नहीं होगी राष्ट्रपिता की तस्वीर #INA
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शेख हसीना के बांग्लादेश से बाहर जाने के बाद से लगातार देश में बड़े-बड़े निर्णय लिए जा रहे हैं. अब हसीना के जाने के कई महीनों बाद एक और बड़ा निर्णय लिया गया है. बांग्लादेश ने अपने मुद्ना से पूर्व प्रधानमंत्री के पिता और राष्ट्र के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की छवि को मिटाने को तैयारी कर ली है. मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के निर्देशों के अनुसार, केंद्रीय बैंक का कहना है कि 20, 100, 500 और 1000 टका के बैंक नोट छापे जा रहे हैं. आपको बता दें कि हसीना के जाने के कुछ ही हफ्तों बाद ही रहमान का चित्र यूनुस के कार्यालय से हटा दिया गया था.
रिपोर्ट के अनुसार, नए नोटों में बंगबंधु शेख मुजबीर रहमान की तस्वीर शामिल नहीं होगी. केंद्रीय बैंक ने बताया कि धार्मिक संरचनाओं, बंगाली परंपराओं और जुलाई के विरोध प्रदर्शन के दौरान बनाए गए सिंबल को नए नोटो में शामिल किया जाएगा. बांग्लादेश बैंक के प्रवक्ता और कार्यकारी निदेशक हुस्रेरा शिखा ने बताया कि छपाई की प्रक्रिया में काफी समय लगेगा. उन्हें उम्मीद है कि नए नोट अगले छह माह के अंदर बाजार में जारी किए जा सकते हैं.”
विभिन्र चरणों में डिजाइन किया जाएगा
केंद्रीय बैंक और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों कहना है कि शुरुआत में केवल चार नोटों का डिजाइन बदला था. उन्होंने कहा कि सभी प्रकार के बैंक नोटों को शेख मुजीबुर रहमान की छवि के बिना विभिन्र चरणों में डिजाइन किया जाएगा. वित्त मंत्रालय के विभाग, फाइनेंस इंस्टीट्यूट डिवीजन ने 29 सितंबर को बांग्लादेश बैंक को नए नोट के लिए एक विस्तृत डिजाइन का प्रस्ताव दिया था. हालांकि,अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि नए नोटों की छपाई के लिए मुख्य सिफारिश केंद्रीय बैंक की मुद्रा और डिजाइन सलाहकार समिति की ओर से की जाएगी.
बेटी शेख हसीना को भारत आना पड़ा
मुजबीर रहमान को बांग्लादेश के राष्ट्रपिता के रूप जाना जाता है. अब उनकी विरासत पर छात्र विरोध प्रदर्शन का हमला हुआ है. ये सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली के खिलाफ थे. उनकी बेटी शेख हसीना को भारत आना पड़ा. इसके बाद से मुजबीर की मूर्तियों और उनकी छवि वाले भित्तिचित्रों को निशाना बनाया जा रहा था.
अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप
हाल ही में हसीना ने यूनुस पर हमला किया. उन पर बांग्लादेश में हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया. हालांकि, बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने उनकी टिप्प्णी को “घृणास्पद भाषण” करार दिया. वहीं अंतरिम सरकार के नेताओं ने कहा कि यह यूनुस के प्रशासन के खिलाफ एक बदनामी अभियान था.
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