पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर मुगलसराय में बुजुर्गों के लिए कर्म कंबल वितरण

जिला चंदौली बुची अशोक कुमार जायसवाल

पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर मुगलसराय में एक समान्य लेकिन महत्वपूर्ण घटना घटी है, जहाँ परिवर्तन सेवा समिति के तत्वाधान में दुल्हीपुर स्थित वृद्ध आश्रम में बुजुर्गों को कर्म कंबल वितरण किया गया। इस इवेंट ने एक बार फिर से समाज में बड़े हृदय और दया भाव के महत्व को साबित किया है। करीबी अंतरंगता के बाद, समिति ने यह सुनिश्चित किया कि वृद्धजनों को ठंड से बचाने के लिए उन्हें आवश्यक वस्त्र मिलें। यही नहीं, इस वितरण कार्यक्रम में केवल कंबल ही नहीं, बल्कि बुजुर्गों के प्रति प्रेम और सहानुभूति की एक नई भावना भी देखने को मिली।

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आधुनिकता के इस युग में जब लोग अपने स्वार्थ में डूबे हैं, ऐसे समय में परिवर्तन सेवा समिति के अध्यक्ष चंदेश्वर जायसवाल का यह कथन महत्वपूर्ण है, “हमारा लक्ष्य है गरीबों एवं असहायों की सेवा करना।” इस उद्देश्य के तहत समिति ने सूचना प्राप्त की कि दुल्हीपुर में एक वृद्ध आश्रम है जिसमें लगभग 30 बुजुर्ग रहते हैं, और यह बुजुर्ग कंबल की आवश्यकता में हैं। ऐसे में समिति के सदस्य एकजुट होकर तत्काल वहाँ पहुंचे और बुजुर्गों को शुल्क-विहीन कंबल प्रदान किए।

इस कार्यक्रम में उपस्थित एस फ़ाज़िल, दिलीप जायसवाल, मयंक जायसवाल और निखिल गुप्ता जैसे सम्मानित लोगों ने भी अपनी उपस्थिति से इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया। इन सभी ने सामूहिक रूप से बुजुर्गों की सहायता करने का संकल्प लिया और आगे भी ऐसे कार्यों में भाग लेने का आश्वासन दिया। यह सिर्फ एक कंबल वितरण कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह बुजुर्गों के प्रति समाज की जिम्मेदारी और सम्मान का प्रतीक था।

बुजुर्गों का जीवन आसान नहीं होता; यह वे लोग हैं जिन्होंने अपने जीवन की सबसे प्यारी चीजें अपने परिवार और समाज को सौंप दी हैं। इसलिए, उनकी देखभाल करना और उन्हें सुरक्षा और आराम प्रदान करना हमारा कर्तव्य है। इस कार्यक्रम के दौरान, वृद्ध आश्रम में रहने वाले बुजुर्गों ने अपनी भावनाओं को साझा किया। कुछ ने तो यह कहा कि उन्हें लगता है कि समाज ने उन्हें भुला दिया है, और ऐसे समय में जब कोई उनकी मदद के लिए आता है, तो उनका हृदय भर आता है।

इसी कड़ी में, चंदेश्वर जायसवाल ने आश्वासन दिया कि “आगे भी सूचनाएं प्राप्त होंगी तो हमारी टीम मदद के लिए खड़ी मिलेगी।” उन्होंने कहा कि यह पहल केवल एक शुरुआत है और भविष्य में अधिक बुजुर्गों की जरूरतों को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।

इस घटना के माध्यम से हमें यह समझने की आवश्यकता है कि हमारे समाज में ऐसे कार्यों की कितनी जरुरत है। आजकल लोग बहुत भौतिकवादी हो गए हैं और अक्सर समाज के कमजोर पहेलुओं को नजरअंदाज कर देते हैं। इसलिए, इस प्रकार की गतिविधियाँ यह दर्शाती हैं कि हम एक सशक्त समाज बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

इस कार्यक्रम ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि समाज में दया, प्रेम और सहानुभूति की भावना को सदैव जीवित रखना आवश्यक है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर मुगलसराय जैसे स्थानों पर इस प्रकार के कार्यक्रम बुजुर्गों को स्थायी आश्रय देने की जरूरत को रेखांकित करते हैं, जो हमारे समाज के विभिन्न हिस्सों का एक सूत्रधार बन सकता है।

समिति का यह कार्य न केवल बुजुर्गों के प्रति दया भाव को बढ़ावा देता है, बल्कि यह एक उदाहरण भी है कि कैसे हम सब मिलकर समाज में बदलाव ला सकते हैं। हम सभी को चाहिए कि हम इस तरह के कार्यक्रमों का समर्थन करें और जरूरत पड़ने पर स्वयं भी ऐसे कार्यों में भाग लें। आखिरकार, “साथ मिलकर ही हम एक मजबूत और सहिष्णु समाज का निर्माण कर सकते हैं।”

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