RAAM क्वालीफायर साइकिलिंग रेस में काशी के लाल ने मचाया धमाल: प्रियरंजन शर्मा ने पुणे से गोवा 643 किलोमीटर तक साइकिलिंग रेस में देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया, काशी का बढ़ाया गौरव…

जिला चंदौली ब्यूरो चीफ अशोक कुमार जायसवाल

वाराणसी: काशी के वासियों की कोई शानी नहीं है। जिस क्षेत्र में भी परचम लहराने का मौका मिलता है, उनका अंदाज और प्रदर्शन निराला होता है। कुछ इसी तर्ज पर असाधारण प्रदर्शन, सहनशक्ति, फोकस और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन वाराणसी के सुंदरपुर निवासी प्रियरंजन शर्मा ने प्रदर्शित करते हुए देश में काशी का मान बढ़ाया है। बता दें कि प्रियरंजन शर्मा ने पुणे से गोवा तक की 643 किलोमीटर की दूरी साइकिलिंग रेस के माध्यम से करते हुए अदम्य साहस का परिचय देते हुए पूरे देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। उनके इस प्रदर्शन से परिजनों समेत क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर व्याप्त है।

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आपको बता दें कि प्रतिष्ठित रेस अक्रॉस अमेरिका ( RAMM) क्वालीफायर देश भर के साइकिलिंग प्रतिभागियों के लिए पुणे – गोवा अल्ट्रा साइक्लिंग रेस का 11वां संस्करण का आयोजन प्रतिभागियों के धैर्य, साहस और सहनशक्ति के शानदार प्रदर्शन के साथ की थी। इसी प्रतियोगिता में 643 किलोमीटर की कठिन यात्रा, 5907 मीटर की ऊंचाई तय कर रेस में अनुभवी साइकिल चालकों की सीमा का परीक्षण में अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए प्रियरंजन शर्मा ने दूसरा स्थान प्राप्त किया।

रेस की इस प्रतियोगिता का आयोजन 30 नवंबर 2024 को आरंभ किया गया था। जिसमें तीन श्रेणियों में प्रतिस्पर्धा का आयोजन किया गया। इसमें सोलो सेल्फ – सपोर्टेड, सोलो क्रू -सपोर्टेड और RAAM शामिल थीं। इस प्रतिस्पर्धा में प्रतिभागियों द्वारा चुनौती पूर्ण इलाकों और अप्रत्याशित मौसम की स्थिति को झेलते हुए, साइकिल चालकों ने असाधारण लचीलापन और खेल कौशल का प्रदर्शन किया गया।

विदित हो कि पुणे – गोवा अल्ट्रा साइकिलिंग रेस लगातार प्रेरित और विकसित हो रही है, प्रत्येक संस्करण भारत में अल्ट्रा साइकिलिंग समुदाय को अधिक पहचान दिला रहा है। यह आयोजन न केवल पेशेवर साइकिल चालकों के लिए RAMM क्वालीफायर के लिए अहर्ता प्राप्त करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, बल्कि धीरज खेलों की भावना का भी जश्न मनाता है।

काशी का परचम लहराने के बाद घर पहुंचे प्रियरंजन शर्मा ने मीडिया को बताया कि यह सबसे चुनौतीपूर्ण लेकिन फायदेमंद अनुभवों में से एक था। साइक्लिंग समुदाय के समर्थन और ऊर्जा ने मुझे प्रेरित और कुछ मुकाम हासिल करने जज्बा बनाए रखा।

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