सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों से शिवसेना (यूबीटी) को बाहर रखना दुर्भावनापूर्ण : आनंद दुबे
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मुंबई, 17 मई (.)। शिवसेना (यूबीटी) ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विदेश दौरों के लिए घोषित सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों से उसके सांसदों को बाहर रखने पर शनिवार को केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की। ये प्रतिनिधिमंडल दुनिया के प्रमुख देशों को इस ऑपरेशन की अनिवर्यता और आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीति से अवगत कराएंगे।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि सांसदों के सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व शशि थरूर (कांग्रेस), रविशंकर प्रसाद (भाजपा), संजय कुमार झा (जदयू), बैजयंत पांडा (भाजपा), कनिमोझी करुणानिधि (डीएमके), सुप्रिया सुले (राकांपा) और एकनाथ शिंदे (शिवसेना) करेंगे।
शिवसेना (यूबीटी) को सूची से बाहर रखने पर प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी प्रवक्ता आनंद दुबे ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाया और जानबूझकर उसे बाहर रखने का आरोप लगाया।
दुबे ने समाचार एजेंसी . से बात करते हुए कहा, जब ऑपरेशन सिंदूर की घोषणा की गई थी, तो हमने इसका तहे दिल से स्वागत किया था और भारत पर गर्व जताया था। लेकिन सरकार का समर्थन करने के बाद, हमने पाया कि (हम) प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं हैं। क्या इसका मतलब यह है कि हम देशभक्त नहीं हैं? क्या हम राष्ट्रवादी नहीं हैं? क्या हमें लोगों ने नहीं चुना है? क्या हम वैध राजनीतिक दल नहीं हैं?
सरकार के इस कदम को उन्होंने राजनीति से प्रेरित बताते हुए इसकी निंदा की। उन्होंने कहा कि जब अन्य दलों के सांसदों को शामिल किया गया है, तो हमारे नेताओं को क्यों दरकिनार किया गया? शिवसेना (यूबीटी) के लोकसभा में नौ और राज्यसभा में दो सांसद हैं। फिर भी हमें जगह नहीं दी गई।
उन्होंने राष्ट्रीय मुद्दों पर सरकार को अपनी पार्टी के लगातार समर्थन पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद, वह सरकार के साथ खड़े होने वाले पहले व्यक्ति थे। लेकिन जब सरकार के पास राष्ट्रीय एकता के प्रदर्शन में हमें शामिल करने का मौका था, तो उसने हमें छोड़ दिया। यह स्पष्ट रूप से दुर्भावना को दर्शाता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह बहिष्कार शिवसेना (यूबीटी) की विचारधारा और संदेश को दबाने की एक सोची-समझी साजिश है।
दुबे ने कहा कि यह हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर पार्टी के विचारों को वैश्विक मंच पर सुनने से रोकने का एक प्रयास है। यह एक शर्मनाक साजिश है। हम न केवल सरकार की निंदा करते हैं, बल्कि इस योजना के पीछे जो लोग हैं, उनकी भी निंदा करते हैं। इसे एकता का एक चूका हुआ अवसर बताते हुए उन्होंने कहा कि हम सरकार के साथ खड़े होना चाहते थे, लेकिन सरकार हमारे साथ खड़ी होने में विफल रही। यह हमारी हार नहीं है – यह लोकतांत्रिक समावेश को बनाए रखने में सरकार की विफलता है।
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पीएसके/एकेजे
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