जानें कौन हैं इसरो का नेतृत्व करने वाले आईआईटी के पूर्व छात्र वी नारायणन

न्यूयॉर्क, 8 जनवरी (.)। केंद्र सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नए अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव पद पर वी. नारायणन को नियुक्त किया है। नारायणन आईआईटी के पूर्व छात्र और क्रायोजेनिक इंजन डेवलपर हैं।

नारायणन 14 जनवरी को संगठन के वर्तमान प्रमुख एस सोमनाथ से कार्यभार ग्रहण करेंगे।

मंगलवार को कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने एक अधिसूचना में कहा कि वर्तमान में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (एलपीएससी), वलियामाला के निदेशक नारायणन दो साल के कार्यकाल के लिए इसरो का कार्यभार संभालेंगे।

नारायणन अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष भी होंगे। उन्‍होंने भारत के क्रायोजेनिक इंजन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो चंद्रयान 2 और 3 मिशनों के प्रक्षेपण के लिए महत्वपूर्ण तकनीक है।

भारत में महान प्रतिभा का हवाला देते हुए नारायणन ने कहा कि वह इसरो को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने की उम्मीद करते हैं।

कौन हैं वी नारायणन?

तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के मेलाकट्टू गांव में जन्मे नारायणन ने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा गृहनगर में ही पूरी की। इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (एएमआईई) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा (डीएमई) और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एसोसिएट मेंबरशिप हासिल करने के बाद वह क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (एम.टेक) करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर गए।

उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी भी हासिल की।

इसरो से वो 1984 से जुड़े हैं। तब रॉकेट और अंतरिक्ष यान प्रोपल्शन विशेषज्ञ के तौर पर शामिल हुए। 2018 में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर के निदेशक बने।

उन्होंने पहले विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर(वीएसएससी) में साउंडिंग रॉकेट और ऑगमेंटेड सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एएसएलवी) और पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी)के सॉलिड प्रोपल्शन क्षेत्र में काम किया था।

नारायणन ने जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III (जीएसएलवी एमके III) सी 25 क्रायोजेनिक प्रोजेक्ट के लिए प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भी काम किया।

उन्होंने सी25 क्रायोजेनिक स्टेज बनाने वाले समूह की देखरेख की, जो 20 टन के थ्रस्ट इंजन को शक्ति देने के लिए तरल ऑक्सीजन और तरल हाइड्रोजन का उपयोग करता है। इस स्टेज पर पहली बार जीएसएलवी एमके III वाहन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।

भारतीय अंतरिक्ष मिशनों के उनके प्रमुख योगदानों में चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 मिशनों के लिए प्रणोदन प्रणालियों का विकास शामिल है।

प्रतिष्ठित वैज्ञानिक भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, गगनयान कार्यक्रम में मानव-रेटिंग एलवीएम 3 वाहन, मानव-रेटिंग एल 110 और सी 32 क्रायोजेनिक चरणों के विकास में योगदान दे रहे हैं।

वह पर्यावरण नियंत्रण और सुरक्षा प्रणालियों तथा सेवा और चालक दल मॉड्यूल के लिए प्रोपल्शन प्रणालियों में भी शामिल रहे हैं।

नारायणन की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र विस्तार ले रहा है। हम गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान, चंद्रयान-4 मिशन और अपने अंतरिक्ष स्टेशन के विकास समेत कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं।

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एमकेएस/केआर

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