यूपी- बोगी में लैपटॉप-मोबाइल, चल पड़ी ट्रेन… यात्री की वो तरकीब, जिससे वापस मिला सामान – INA
ट्रेन में सफर करते समय यात्री अपने कीमती सामान लेकर यात्रा करते हैं और गंतव्य तक पहुंचने पर लोग अपने सामानों को लेकर उतर भी जाते हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो किसी अन्य सोच में डूबे रहते हैं और अपनी कीमती सामान को ट्रेन में छोड़ देते हैं. जब तक उन्हें याद पड़ता है ट्रेन कोसों दूर निकल जाती है. ऐसे में उन्हें समझ में नहीं आता कि वह क्या करें. ऐसे ही लोगों के लिए रेलवे पुलिस के द्वारा ‘ऑपरेशन अमानत’ चलाई गई है. जो यात्रियों के कंप्लेंन पर उनके खोए हुए सामान को उन्हें दिलाने का कार्य कर रही है.
गाजीपुर के दिलदारनगर रेलवे स्टेशन पर भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला, जब एक यात्री जो सिकंदराबाद से प्रयागराज के लिए चला और वह किसी उधेड़बुन में अपने सीट पर अपनी मोबाइल और लैपटॉप भूल कर उतर गया. जब ट्रेन वहां से निकल गई तब उसे अपने मोबाइल और लैपटॉप की याद आई. उसने आरपीएफ को अपने कोच, सीट नंबर आदि की जानकारी दिया और कंप्लेन दर्ज कराया.
ट्रेन से उतरते में भूला लैपटॉप और मोबाइल
यात्री गीतेश चंद्रराम सिकंदराबाद एक्सप्रेस से प्रयागराज के लिए जा रहे थे, जबकि यह ट्रेन दानापुर जानी थी. गीतेश चंद्रराम अपने स्टेशन पर तो उतर गया. लेकिन वह गाड़ी संख्या 12791 के एस सी टू कोच में नीले रंग के बैग में लैपटॉप और मोबाइल निकालना भूल गया. जब ट्रेन काफी दूर निकल गई तब रास्ते में याद पड़ा कि उसका बैग तो ट्रेन में ही छूट गया है. इसके बाद उसने RPF पोस्ट पर पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज कराई. आरपीएफ पोस्ट प्रयागराज के द्वारा इसकी जानकारी आगे फॉरवर्ड की गई.
रेलवे पुलिस ने वापस दिलाया खोया हुआ सामान
उस वक्त यह ट्रेन दिलदारनगर स्टेशन पहुंच चुकी थी. जहां पर आरपीएफ के पोस्ट पर तैनात उप निरीक्षक नवीन कुमार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए बताए गए बोगी के सीट नंबर पर पहुंचे तो वहां पर नीले रंग का बैग बरामद हुआ. जिसमें लैपटॉप और सैमसंग मोबाइल पड़ा हुआ था. लैपटॉप और मोबाइल मिल जाने की जानकारी RPF के द्वारा उसके मालिक गीतेश चंद्रराम को दी गई. जानकारी के बाद अपना खोया हुआ लैपटॉप और मोबाइल लेने के लिए गीतेश चंद्रराम गाजीपुर के दिलदारनगर स्टेशन पहुंचे.
जहां पर आरपीएफ के जवानों ने उनका खोया हुआ सामान उन्हें लौटाया. जिसकी कीमत करीब 90 हजार रुपया बताई गई है. अपने खोए हुए सामान को पाने के बाद गीतेश चंद्रराम के चेहरे पर खुशी आ गई और वह आरपीएफ के जवानों और रेलवे के इस कार्य की सराहना करने लगा.
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