MP News: 10 फीट ऊंचा फंदा, 11 साल की मासूम लटकी मिली… हत्या या खुदकुशी में उलझी पुलिस – INA

जबलपुर जिले के चरगवां थाना क्षेत्र में हुई 11 साल की मिताली तिवारी की रहस्यमयी मौत ने हर उस माता-पिता को झकझोर कर रख दिया है जिनके बच्चे घर पर अकेले रहते हैं या जिनकी उम्र नाजुक दौर से गुजर रही है. 6 जून की शाम मिताली की लाश घर में पंखे से चुनरी के सहारे लटकी मिली. परिजनों ने जब तक बच्ची को फंदे से नीचे उतारकर अस्पताल पहुंचाया, तब तक देर हो चुकी थी. डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. पुलिस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच में जुट गई है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि मिताली ने वाकई आत्महत्या की, या फिर यह किसी साजिश के तहत की गई हत्या है.
इस मामले ने पूरे जबलपुर और आस-पास के इलाकों में मासूमों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. माता-पिता के मन में अब यह डर समाने लगा है कि कहीं उनके बच्चों के साथ भी ऐसी कोई अनहोनी न हो जाए. यह सिर्फ एक पारिवारिक मामला नहीं, बल्कि सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बेहद चिंताजनक है.
मिताली के पिता रामकुमार तिवारी पेशे से ड्राइवर हैं और घटना के समय घर पर मौजूद नहीं थे. मिताली अपनी मां और बड़ी बहन के साथ घर पर थी. प्रारंभिक पूछताछ में यह बात सामने आई कि घटना से कुछ देर पहले मिताली और उसकी 13 साल की बड़ी बहन के बीच किसी बात को लेकर कहासुनी हुई थी. मां ने भी इस बात की पुष्टि की कि दोनों बहनों के बीच कभी-कभी विवाद होते रहते थे. जैसा कि सामान्यतः घरों में देखा जाता है. लेकिन सवाल यह है कि क्या यह विवाद इतना गंभीर था कि मिताली जैसी मासूम बच्ची आत्महत्या जैसा कदम उठा लेती?
10 फीट ऊंचा फंदा कैसे डाला?
पुलिस के लिए सबसे बड़ा संदेह का विषय यह है कि 11 साल की बच्ची ने आखिर 10 फीट ऊंची छत से चुनरी बांधकर फांसी कैसे लगा ली? क्या उसने खुद यह योजना बनाई या फिर कोई और इसमें शामिल था? बच्ची का छोटा कद, उसकी मासूमियत और किसी भी आत्मघाती संकेत का न होना, इन सबने मामले को उलझा दिया है. यही वजह है कि चरगवां थाना प्रभारी अभिषेक प्यासी ने खुद सामने आकर कहा कि पुलिस आत्महत्या और हत्या दोनों पहलुओं से जांच कर रही है और जल्द ही सच्चाई सामने लाई जाएगी.
मानसिक सेहत पर बड़ा सवाल
इस घटना ने बच्चों की मानसिक सेहत पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. क्या हम अपने बच्चों से संवाद कर पा रहे हैं? क्या हम उन्हें इतना सुरक्षित और समझदार बना पा रहे हैं कि वे मुश्किल वक्त में खुद को संभाल सकें? या फिर हम सिर्फ उनकी पढ़ाई और दिनचर्या तक ही सीमित रह गए हैं? पड़ोसियों के अनुसार, मिताली एक चुलबुली, हंसमुख बच्ची थी, जो कभी भी निराश या तनावग्रस्त नहीं दिखी. ऐसे में उसकी आत्महत्या की खबर ने सभी को चौंका दिया है. कई अभिभावक अब यह सोचने को मजबूर हैं कि कहीं वे भी अपने बच्चों की मानसिक स्थिति को नजरअंदाज तो नहीं कर रहे?
फिलहाल पुलिस की जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है. लेकिन मिताली की मौत ने यह तो साफ कर दिया है कि बच्चों की मानसिक सेहत, घरेलू वातावरण और भावनात्मक सुरक्षा को लेकर हमें सजग होना होगा. उनकी छोटी-छोटी बातों को सुनना, समझना और उन्हें समय देना आज की सबसे बड़ी जरूरत है. ताकि कोई और मिताली ऐसी दुखद कहानी न बन जाए.
10 फीट ऊंचा फंदा, 11 साल की मासूम लटकी मिली… हत्या या खुदकुशी में उलझी पुलिस
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