MP News: मध्य प्रदेश: मंदिरों में पंडितों की नियुक्ति के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती, बताया संविधान का उल्लंघन – INA

मध्य प्रदेश के मंदिरों में सरकार द्वारा पंडितों की नियुक्ति के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है. याचिका में मंदिरों में पंडितों की नियुक्ति योग्यता आधारित नहीं करते हुए जाति आधारित करने की बात कही गई है. याचिका में इसे संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन बताया गया है जिससे एक जाति विशेष को ही लाभ होगा.

दरअसल, याचिका में सरकारी नियुक्तियों में एक जाति विशेष को ही लाभ देने का सवाल उठाया गया है. साथ तर्क दिया गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 13, 14, 15 और 16 का उल्लंघन है. धर्मस्व विभाग ने भी मंदिरों में पंडितों की नियुक्ति जाति के आधार पर करने का परिपत्र जारी किया था. याचिका में बताया गया है कि एक जाति विशेष के लोगों को नौकरी पर रखने और उन्हें सरकारी खजाने से वेतन देना पक्षपात करने के समान है.

महाकाल मंदिर के मुख्य पुजारी क्या बोले?

महाकाल मंदिर के मुख्य पुजारी महेश शर्मा का कहना है की अजाक्स संघ ने कोर्ट में मंदिरों पर ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व और एकाधिकार की पिटीशन लगाई है. एक और मंदिरों में योग्य व्यक्ति की बात की जाती है दूसरी और ब्राह्मणों का मंदिरों के पुजारी पद पर एकाधिकार बताया जाता है. मध्य प्रदेश के मंदिरों में ब्राह्मणों का पुजारी पद पर एकाधिकार नहीं है यहां दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यक व आदिवासी पुजारी हैं.

पुजारी महेश शर्मा ने कहा कि अगर सरकार सर्वे कराती है तो इसका पता चल जाएगा. पूर्व में मंदिरों की प्रकृति के अनुसार ही समाज की व्यवस्थाओं के अनुसार पुजारी की नियुक्ति की गई थी जो कि अब भी परंपरानुसार जारी है. दलित वंश की परंपरा पर ब्राह्मणों का हस्तक्षेप नहीं है, ऐसा ही कुछ ब्राह्मणों की परंपरा में भी है. जहां दलित वर्ग कोई हस्तक्षेप नहीं करते है. राजस्थान में गुर्जर समाज और खाटू श्याम में राजपूत समाज के लोग पुजारी हैं.

‘ब्राह्मण जाति नहीं बल्कि उच्च विचार है’

महामंडलेश्वर जूना अखाड़ा के शैलेशानंद महाराज का कहना है की देश काल परिस्थिति में हर व्यवस्था में परिवर्तन किया जाता है. जिसका परिवर्तन पूजा पद्धति में भी देखने को मिलता है. कुछ मंदिरों के गर्भगृह और प्रतिमा के नजदीक सिर्फ ब्राह्मण को जाने का अधिकार है लेकिन इसके लिए वर्ण व्यवस्था के अंतर्गत सभी नियमों का पालन करना भी आवश्यक होता है. वर्तमान में दक्षिण भारत के कुछ मंदिरों में अन्य वर्ग के पुजारी की नियुक्ति की गई है लेकिन मैं बताना चाहूंगा कि ब्राह्मण जाति नहीं बल्कि उच्च विचार व ऐसी परंपरा है जो की निरंतर अध्ययन वह पठान से आता है.

कांग्रेस और बीजेपी ने क्या कहा है?

वहीं, मध्य प्रदेश की विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कहा है कि भावनाओं को देखते हुए सरकार को निर्णय लेना चाहिए. इस मामले में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का कहना है की हर समाज का मंदिर होता है. पूजा चाहे ब्राह्मण करे या कोई और महत्वपूर्ण ये है की पूजा होनी चाहिए. पहले लोकतंत्र नहीं था अब लोकतंत्र है. सभी समाज की जान भावनाओं को देखते हुए सरकार को निर्णय लेना चाहिए.

सत्तारूढ़ बीजेपी का कहना है कि वो मंदिर जाते वक्त नहीं देखते कौन पुजारी है. बीजेपी विधायक भगवानदास सबनानी का कहना है की मुझे लगता है की ये संवेदनशील विषय होते है. जो भी पक्ष लेकर गया उसकी भावना क्या है. हम तो मंदिर में पूछते भी नहीं है की कौन पुजारी है? देखना चाहिए की समाज में विखंडन करने वाले तत्व तो सक्रिय नहीं है. ये सब भी देखना होगा. सरकार अपना जवाब कोर्ट में देगी.

अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी

मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति, जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ ने इसको लेकर सरकार के सामने ऐतराज भी जताया था. सरकार द्वारा मामले में कोई जवाब न मिलने पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई. मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 350 से ज्यादा मंदिरों का अधिग्रहण किया गया है. इन 350 मंदिरों में पंडितों की नियुक्ति की जानी है. वहीं, इस मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी.

मध्य प्रदेश: मंदिरों में पंडितों की नियुक्ति के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती, बताया संविधान का उल्लंघन


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