Nation- बिजनौर के गांवो में मौत की दस्तक… किसान-मजदूरों को गुलदार बना रहे शिकार, अब तक 60 की मौत- #NA

उत्तर प्रदेश के बिजनौर में गुलदार के हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. यहां के कई गावों में गुलदार के हमले से लोगों की जान जा चुकी है. पिछले तीन साल में 60 से ज्यादा किसान- मजदूर शिकार बन चुके हैं, जबकि ढाई सौ से ज्यादा ग्रामीणों को घायल कर चुके है. लगातार बढ़ रहे गुलदार के हमलों से लोगों में डर और दहशत है.
शुक्रवार रात गुलदार ने एक किसान पर हमला कर जान ले ली. चांदपुर इलाके के संसारपुर गांव के कमलजीत सिंह डेरी से दूध ले कर लौट रहे थे कि अचानक गुलदार ने हमला कर दिया. करीब दस मिनट तक कमलजीत ने तेंदुआ के साथ संघर्ष किया लेकिन शरीर पर गहरे घावों से अत्याधिक खून बह जाने के कारण उनकी मौत हो गई.
ग्रामीणों में डर और दहशत
ग्रामीणों ने वन विभाग के अधिकारियों से पिंजरा लगवा कर गुलदार को पकड़ने की मांग की है. बिजनौर के किसानों का कहना है कि पहले गन्ने के खेतो में गुलदार ने अपने रहने का ठिकाना बना रखा था. अब गन्ने की फसल खत्म हो जाने के बाद गर्मी से बचने के लिए पेड़ों पर रह रहे हैं. खेतों पर आते जाते किसानों-मजदूरों पर हमला कर रहे है.
किसान नेता दिगंबर चौधरी ने कहा कि किसान यूनियन कई बार वन विभाग से गुलदार से निजात दिलाने के लिए आंदोलन कर चुकी है, लेकिन कोई ठोस कारवाई नहीं हो पा रही है. किसान-मजदूर खेतों में जाते हुए भी डर रहे हैं. गुलदार के डर से खेतों में काम करने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं.
वन विभाग के अधिकारियो ने क्या कहा?
वन विभाग के उप वन संरक्षक ज्ञान सिंह ने कहा कि बिजनौर के खेतों में करीब छह सौ गुलदार रह रहे हैं जिससे उनकी पैदावार भी लगातार बढ़ ही रही है. सौ से अधिक गांवों को गुलदार बाहुल्य गांव घोषित कर विशेष एडवाइजरी जारी की गई है.
फिर भी सूचना मिलने पर वन विभाग ने डेढ़ सौ गुलदार को पिंजरे लगा कर पकड़ा है. वन विभाग की दस टीमें गांव-गांव गुलदार के हमलों से बचने के लिए जागरूक कर रहे हैं. टास्क फोर्स दिन रात गश्त भी कर रही है.
खेतों और पेड़ों पर बना रखा है ठिकाना
गंगा और राम गंगा नदी के बीच में स्थित बिजनौर के उत्तर की ओर राजाजी पार्क, अमानगढ़ टाइगर पार्क, और जिम कार्बेट पार्क है, वहीं दक्षिण में हस्तिनापुर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी है. जहां वन्य जीव पानी और शिकार की तलाश में खेतों और गांवों में आ जाते हैं और फिर वहीं अपना ठिकाना बना लेते हैं.
सड़क दुर्घटनाओं और मानव संघर्ष में भी पचास से ज्यादा तेंदुआ भी अपनी जान गवां चुके हैं. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट राजा इंद्रजीत सिंह ने कहा कि जंगलों में टाइगरों की संख्या बढ़ रही है. टाइगर गुलदारों को जंगलों से खदेड़ देता है. तेंदुआ रिहाइशी इलाकों और खेतों में बसेरा बना लेते हैं. इसीलिए अब ग्रामीणों को भी अपना बचाव करते हुए गुलदार के साथ रहने की आदत डालनी होगी.
बिजनौर के गांवो में मौत की दस्तक… किसान-मजदूरों को गुलदार बना रहे शिकार, अब तक 60 की मौत
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