Nation- 5 साल और 122 करोड़ का गबन… महाराष्ट्र में बैंक बैन के पीछे की इनसाइड स्टोरी- #NA

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से महाराष्ट्र के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर बैन लगाए जाने का मामला अब तूल पकड़ लिया है. सवाल खड़े हो रहे है कि आखिर ऐसा क्या हुआ है कि बैंक अचानक बैन हो गया. बैंक में जिस-जिस के अकाउंट हैं और पैसे जमा हैं वो अब परेशान हैं. ये खाता धारक बैंक प्रबंधन पर तो सवाल खड़े ही कर रहे हैं साथ ही साथ आरबीआई के एक्शन पर नाराज नजर आए हैं. अब इस बैंक पर लगे बैन के पीछे की इनसाइड स्टोरी सामने आई है.

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक बैन होने की इस पूरी स्टोरी के पीछे घोटाले वाला खेल है. इसका आरोप लगा है न्यू इंडिया को ऑपरेटिव बैंक के ही पूर्व जनरल मैनेजर पर. इस बैंक के पूर्व जनरल मैनेजर हितेश मेहता पर 122 करोड़ रुपए गबन करने का आरोप है. जिसे गिरफ्तार भी किया जा चुका है. रविवार को हितेश मेहता को हॉलिडे कोर्ट में पेश किया जाएगा लेकिन ग्राहकों की मुसीबत कम नहीं हुई है. ब्रांच के बाहर खड़े परेशान लोग यही पूछ रहे हैं कि इसमें हमारा क्या कसूर है और हमारे पैसे कब मिलेंगे.

पूर्व जीएम हितेश मेहता घोटाले का आरोपी

जिस घोटोले की वजह से ये बैंक बैन हुआ और ग्राहकों का पैसा फंसा उसका गुनाहगार पूर्व जीएम हितेश मेहता को माना जा रहा है. यानी जिस जनरल मैनेजर के भरोसे ये बैंक था, वही घोटाले का आरोपी है. हितेश मेहता के पास बैंक के अकाउंट्स डिपोर्टमेंट की भी जिम्मेदारी थी. इस लिहाज से बैंक का पूरा कैश एक तरह से हितेश मेहता ही संभलता था. हितेश के पास जो काम था वो बहुत जिम्मेदारी और ईमानदारी से किया जाने वाला था लेकिन, आरोप है उसने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया और 122 करोड़ रुपए का गबन कर लिया.

बैंक के इस पूर्व मैनेजर पर लगे हैं, वो बेहद गंभीर है.शिकायत के मुताबिक 122 करोड़ के गबन का ये खेल वर्ष 2020 से 2025 के बीच हुआ. आरोपों के मुताबिक ये पैसा बैंक की प्रभा देवी और गोरेगांव ब्रांच से निकाला गया. शुरुआती आरोपों में प्रभादेवी ब्रांच से 112 करोड़ और गोरेगांव ब्रांच से 10 करोड़ रुपए के गबन की बात कही गई है.

बैंक पर क्या है आरोप?

आरोप ये है कि जो पैसा निकाला गया वो बैंक के रिजर्व फंड का था. वैसे इस मामले में घोटाले की टाइमिंग भी गौर करने वाली है. अभी तक की जानकारी के मुताबिक घोटाले का ये खेल साल 2020 यानी कोविड काल में शुरू हुआ था. इस घोटाले को लेकर जैसे ही शिकायत हुई, मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने जांच शुरू कर दी.

हितेश मेहता को समन भेजा गया, जब वो समन का जवाब देने पहुंचे तो पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया गया. मुंबई के दहिसर इलाके में उसके घर पर आर्थिक अपराध शाखा की टीम ने छापेमारी की. यानी जांच वाला एक्शन बहुत तेजी से हुआ है और होना भी चाहिए, क्योंकि इसी घोटाले को न्यू इंडिया को ऑपरेटिव बैंक की हालत बिगड़ने की वजह माना जा रहा है. जानकारी के मुताबिक ये बैंक पिछले कुछ सालों से लगातार घाटे में था.

कब-कब कितने करोड़ का घाटा?

वित्त वर्ष 2023-24 में 23 रुपए करोड़ का घाटा हुआ था. इससे पहले 2022-23 में करीब 31 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था. जब लगातार बैंक की हालत बिगड़ती चली गई तो RBI ने 6 महीने का बैन लगा दिया. वैसे अब इस पर सियासी बयानबाजी भी खूब हो रही है. नेताओं ने इसे RBI और बैंक प्रबंधन की सांठगांठ तक बता दिया है.

एक तरफ आज घोटाले को लेकर आर्थिक अपराध शाखा का एक्शन दिनभर जारी रहा. दूसरी तरफ उन ग्राहकों का हंगामा भी लगातार जारी रहा जिनका पैसा बैंक में फंस गया है. बैंक की ब्रांचों के बाहर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए. अपनी जिंदगी भर की गाढ़ी कमाई पर ऐसा संकट देखकर ये ग्राहक परेशान दिखे.हमारे संवाददाता जब इनके बीच पहुंचे तो इन खाताधारकों के दर्द की कई कहानियां सामने आई .

जिंदगी भर की जमापूंजी पर संकट

कोई अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए जमा पैसे नहीं निकाल पा रहा था, तो कोई इलाज के लिए पैसा ना होने से परेशान था. सबकी बस एक ही मांग थी, किसी भी तरह उनका पैसा दिलवाया जाए. जब अपनी जिंदगी भर की जमापूंजी पर संकट हो तो ऐसी प्रतिक्रिया स्वाभाविक है.

ग्राहकों के दर्द को देख कर सियासी दलों का कहना है कि आप मेहनत करके जो पैसा कमाते हैं वो आखिर कहां सुरक्षित है. जिस बैंक को सुरक्षित विकल्प मानकर आप पैसा जमा करते हैं या ज्वेलरी लॉकर में रखते हैं कभी वहां लॉकर में चोरी हो जाती है तो कभी इस तरह बैंक पर ही बैन लग जाता है. ऐसे में आम लोगों की गाढ़ी कमाई की सुरक्षा सुनिश्चित की ही जानी चाहिए.

(टीवी9 ब्यूरो रिपोर्ट)

5 साल और 122 करोड़ का गबन… महाराष्ट्र में बैंक बैन के पीछे की इनसाइड स्टोरी


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