Nation- बिहारः तेजस्वी यादव से जगदानंद की नाराजगी इस बार क्या आर-पार वाली है?- #NA
जगदानंद सिंह और तेजस्वी यादव
बिहार के चुनावी चक्रव्यूह को भेदने में जुटे आरजेडी के तेजस्वी यादव की टेंशन अपने ही नेताओं ने बढ़ा रखी है. जिला स्तर पर नेताओं के बाद अब आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के नाराज होने की खबर है. पिछले 3 साल में यह तीसरा मौका है, जब हाईकमान से नाराज होकर जगदानंद सिंह अपने घर बैठ गए हैं.
कहा जा रहा है कि जगदानंद की नाराजगी इस बार आर-पार की है. यही वजह है कि पहले जगदानंद ने दफ्तर से दूरी बनाई और अब मंगलवार को सदस्यता अभियान को लेकर बुलाई गई अहम बैठक से गायब दिखे.
3 साल में तीसरी बार नाराज जगदा
2019 में जगदानंद सिंह को आरजेडी की कमान मिली थी. तब से वे ही प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हैं. आरजेडी के भीतर जगदानंद सिंह को अनुशासित अध्यक्ष कहा जाता है. उन्हें लालू यादव का काफी क्लोज भी माना जाता है. समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया के साथ राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले जगदा सांसद, विधायक और बिहार सरकार में मंत्री रहे हैं.
2021 में तेज प्रताप यादव की वजह से नाराज होकर जगदानंद सिंह अपने घर बैठ गए थे. तब पूरा आरजेडी का कुनबा जगदा के समर्थन में आ खड़ा हुआ. खुद लालू यादव ने जगदा को अपना मित्र बताया था. तेजस्वी ने भी जगदा की पुरजोर पैरवी की थी, जिसके बाद तेज प्रताप आरजेडी दफ्तर से साइड लाइन हो गए थे.
2022 में आरजेडी ने नीतीश कुमार के साथ आने का फैसला किया. जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर को सरकार में कृषि मंत्री की जिम्मेदारी मिली, लेकिन बयानबाजी की वजह से नीतीश नाराज हो गए और सुधाकर की कुर्सी छिन ली. जगदा इस फैसले से काफी नाराज हो गए.
बाद में उन्हें खुद तेजस्वी यादव मनाने पहुंचे थे. जगदा एक्टिव हुए और लोकसभा की तैयारी में जुट गए. लोकसभा चुनाव में आरजेडी को जिन 4 सीटों पर जीत मिली है, उनमें एक जगदानंद की सीट भी शामिल है.
क्यों नाराज चल रहे हैं जगदानंद?
संगठन की राजनीति में आने की वजह से जगदानंद सिंह चुनावी राजनीति से दूर हो गए हैं. लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने बड़े बेटे सुधाकर को बक्सर लोकसभा सीट से मैदान में उतार दिया. सुधाकर इस सीट से जीतने में कामयाब रहे. सुधाकर की जीत के बाद रामगढ़ में विधानसभा उपचुनाव की घोषणा हुई.
रामगढ़ सीट को जगदानंद का गढ़ माना जाता रहा है. जगदा ने यहां से अपने छोटे बेटे अजित को मैदान में उतार दिया. राजपूत, यादव और मुस्लिम बहुल रामगढ़ में जगदा को जीत की उम्मीद थी, लेकिन अंबिका यादव के भतीजे सतीश यादव ने अजित का खेल बिगाड़ दिया.
रामगढ़ में राजपूत बीजेपी की तरफ चले गए, तो वहीं यादव और मुस्लिम मतदाताओं ने सतीश का साथ दे दिया. इस वजह से जगदा के बेटे अजित तीसरे नंबर पर पहुंच गए. जगदा इसके बाद से ही नाराज चल रहे हैं.
जगदानंद के समर्थकों का आरोप है कि रामगढ़ चुनाव का डैमेज कंट्रोल अगर तेजस्वी खुद करते तो अजित आसानी से चुनाव जीत सकते थे.
मनाने की कवायद, लेकिन रिजल्ट जीरो
जगदानंद सिंह को मनाने की कवायद आरजेडी की तरफ से की गई. 2 दिन पहले जगदा दफ्तर भी आए, जिसके बाद जगदानंद सिंह की वापसी की अटकलें तेज हो गई, लेकिन सदस्यता अभियान की समीक्षा में उनकी गैर-हाजिरी चर्चा में रही.
कहा जा रहा है कि जगदा अब इस पद को छोड़कर सक्रिय राजनीति से दूरी बनाना चाहते हैं. उनकी उम्र भी 80 साल हो गई है. यही वजह है कि जगदा अब आरजेडी के कार्यक्रम से दूरी बनाने लगे हैं.
जगदा की नाराजगी इसलिए भी अहम है, क्योंकि 2025 के आखिर में बिहार में विधानसभा के चुनाव होने हैं. जगदा और तेजस्वी की जोड़ी ने 2020 में बिहार की 75 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वो भी बिना नीतीश कुमार के सहयोग से.
महागठबंधन को 110 सीटों पर जीत मिली थी, जो जादुई आंकड़े से सिर्फ 12 नंबर कम थे. ऐसे में इस बार चुनाव से पहले जगदा की नारजगी आरजेडी के लिए सही नहीं कहा जा रहा है.
बिहारः तेजस्वी यादव से जगदानंद की नाराजगी इस बार क्या आर-पार वाली है?
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