Nation- Chandola Lake: चंदोला झील यानी ‘मिनी बांग्लादेश’ कैसे बन गई अवैध घुसपैठियों का गढ़?- #NA

अहमदाबाद की चंदोला झील.

गुजरात के अहमदाबाद जिले की चंदोला झील शहर की सबसे बड़ी झीलों में से एक है. यह अहमदाबाद शहर के दानी लिमडा रोड के पास स्थित है. यह गोलाकार आकार में है. यह झील 6,18,100 वर्ग मीटर में फैली हुई है. इस झील के पानी का उपयोग खेती और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है. इसी झील से सटी खारीकट नहर है. इस नहर का उपयोग चंदोला झील के पानी को निकालने के लिए किया जाता है. इस झील को कॉर्मोरेंट्स, पेंटेड स्टॉर्क और स्पूनबिल पक्षियों का घर भी कहा जाता है. शाम के समय यहां का नजारा ही कुछ अलग नजर आता है. कई लोग इस झील पर आते हैं और आराम से टहलते हैं, लेकिन अब एक बार फिर से ये चंदोला झील चर्चा में आ गई है. आखिर क्यों और क्या है वजह, आइए जानते हैं…

दरअसल, बात जुलाई 2015 की है. चंदोला झील का स्वामित्व अमदाबाद नगर निगम (एएमसी) को ट्रांसफर कर दिया गया. यानी की झील के रख-रखाव, साफ-सफाई और सौंदर्यीकरण का जिम्मा अब पूरी तरह से एएमसी के पास था. एएमसी की योजना थी कि चंदोला झील को कांकरिया लेकफ्रंट की तरफ विकसित किया जाए. एएमसी ने घोषणा की कि चंदोला झील को दो चरणों में पुनः विकसित किया जाएगा, जिसकी अनुमानित लागत ₹27 करोड़ होगी. एएमसी ने झील के सौंदर्यीकरण के साथ-साथ एक वॉकवे, एक जिम और एक सामुदायिक हॉल बनाने की घोषणा की, जिसमें 500 लोग बैठ सकते हैं.

हालांकि, 10 साल पूरे हो गए और ये वादे अब तक पूरे नहीं हुए हैं. इन 10 सालों में झील दलदल जैसी स्थिति में चली गई. पानी दूषित हो गया, जिससे झील गंदी और प्रदूषित दिखाई देने लगी. इसके अलावा स्थिर पानी मच्छरों का प्रजनन स्थल बन गया, जिससे क्षेत्र में मलेरिया और डेंगू के मामले बढ़ते चले गए. एएमसी ने झील से शैवाल, अपशिष्ट, खरपतवार और घास को साफ करने के लिए 89 लाख रुपए भी मंजूर किए थे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

अवैध घुसपैठियों पर एक्शन

चंदोला झील का मामला गुजरात विधानसभा सत्र के दौरान भी उठा. इस बात पर चर्चा हुई कि चंदोला झील पर अतिक्रमण कर लिया गया है. झील के आसपास अवैध बस्तियां बसा ली गई हैं. इन्हें बिना हटाए झील का सौंदर्यीकरण नहीं किया जा सकता है. एएमपी ने अहमदाबाद की खूफिया पुलिस के साथ मिलकर एक सर्वे शुरू किया. सर्वे में पता चला कि झील के आसपास तो बांग्लादेश से आए अवैध घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया है. यही नहीं घुसपैठियों ने बकायदा घर भी बना लिए हैं. इन घरों से निकलने वाला कूड़ा, गंदा पानी सब झील में फेंका जा रहा है, जिससे चंदोला झील की स्थिति और बुरी हो गई.

चंदोला झील के पास बसा सियासतनगर बंगाल वास

फिर एएमसी ने एक गुप्त सर्वे शुरू किया और पता लगाया कि इन लोगों को यहां पर बसाया कौन है? जांच के दौरान लल्ला बिहारी उर्फ ​​महबूब पठान और कालू मोमिन का नाम आया. महबूब पठान ही वो शख्स है, जो इन अवैध घुसपैठियों के फर्जी दस्तावेज बनवाता था और फिर उनको यहां रहने के लिए घर देता था. वहीं कालू मोमिन अपने दबंगई के दम पर अवैध बांग्लादेशियों को ठिकाना देता था. चंदोला झील का जो सियासतनगर बंगाल वास इलाका है, इसे तो ‘मिनी बांग्लादेश’ कहा जाता है. यहीं पर सबसे अधिक मकान बने हैं. एएमसी ने पुलिस के साथ मिलकर एक-एक मकान को चिन्हित किया और फिर बुलडोजर एक्शन शुरू हुआ.

60 डंपर से ढोया जा रहा मलबा

बुलडोजर एक्शन की कार्रवाई मंगलवार यानी आज से जारी है. करीब 60 JCB मशीन लगाई गई हैं. दो हजार पुलिस के जवान तैनात हैं. यही नहीं 10 ड्रोन से निगरानी की जा रही है. झील की 1.4 लाख वर्ग मीटर की जमीन को कब्जा मुक्त कराया जाएगा. तीन हजार मकान तोड़े जा रहे हैं. 60 डंपर से मलबे को ढोया जा रहा है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 800 अवैध बांग्लादेशी हिरासत में लिए गए हैं. अन्य का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन किया जा रहा है. अवैध निर्माण को गिराने की कार्रवाई संपन्न होने के बाद झील के सौंदर्यीकरण का काम किया जाएगा.

झील की फीडर नहर खारीकट भी गंदगी से अटी पड़ी

बता दें कि चंदोला झील का पानी जिस खारीकट नहर में जाता है, वो नहर परियोजना गुजरात की सबसे पुरानी सिंचाई योजनाओं में से एक है. इसका निर्माण अहमदाबाद में चंदोला झील के पास 1,200 एकड़ चावल की भूमि को सिंचाई प्रदान करने के मुख्य उद्देश्य से किया गया था. चंदोला झील पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण किया गया है. झील की फीडर नहर खारीकट भी गंदगी और कचरे से अटी पड़ी है.

Chandola Lake: चंदोला झील यानी ‘मिनी बांग्लादेश’ कैसे बन गई अवैध घुसपैठियों का गढ़?


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