Nation- दिल्ली हाई कोर्ट ने अजमेर दरगाह के CAG ऑडिट पर लगाई अंतरिम रोक, 7 मई को होगी अगली सुनवाई- #NA

अजमेर शरीफ दरगाह
दिल्ली हाई कोर्ट ने अजमेर शरीफ दरगाह के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक CAG ऑडिट पर फिलहाल अंतरिम रोक लगा दी है. यह रोक दरगाह कमेटी की याचिका पर सुनवाई के दौरान लगाई गई है, जिसमें दरगाह के कामकाज पर ऑडिट करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है. हाई कोर्ट ने माना की दरगाह प्रबंधन समिति को ऑडिट की शर्तें नहीं बताई गई हैं. इस मामले में अगली सुनवाई 7 मई को की जाएगी.
सुनवाई के दौरान जज ने कहा’ मैं ऑडिट पर रोक लगाने के पक्ष में हूं. उनका (दरगाह वकील) दृष्टिकोण बिल्कुल स्पष्ट है. उनका कहना है कि उन्हें अपना पक्ष रखने का अधिकार है, लेकिन यह अवसर इसलिए नहीं आया क्योंकि आपने (CAG) ऑडिट की शर्तें पूरी नहीं की हैं. बेहतर होगा कि आप अपना हाथ खींच लें’. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आगे की सुनवाई होने तक CAG ऑडिट नहीं किया जाएगा;.
वहीं नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के वकील पवन दुग्गल ने मामले में निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा. जिसके बाद जज सचिन दत्ता की बेंच ने CAGको अपना रुख स्पष्ट करने के लिए 7 मई तक का समय दिया है.
दरगाह के वकील ने दिए तर्क
दरगाह की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील अतुल अग्रवाल ने कहा जांच के आदेश देने में कानून का पालन नहीं किया गया है. उन्होंने तर्क दिया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ऑडिट को मंजूरी दे दी है और इस कार्य के लिए दो अधिकारियों की एक टीम को नियुक्त किया गया है. उन्होंने कहा कि यह निर्णय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कर्तव्य, शक्तियां और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 की धारा 20 का उल्लंघन है, जो ऑडिट की शर्तों और नियमों को उस संस्था को सौंपने का आदेश देता है, जिसका ऑडिट किया जाना है. इसके अलावा वही अधिनियम संस्था को संबंधित मंत्रालय के समक्ष ऑडिट की शर्तों के खिलाफ प्रतिनिधित्व दायर करने की अनुमति देता है.
पिछले 5 वित्तीय वर्ष का होगा ऑडिट
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार CAG दरगाह के वंशानुगत संरक्षक खादिमों की दो अंजुमनों (संघों) का ऑडिट करेगा, जिन्हें दरगाह के दैनिक मामलों का प्रबंधन करने का काम सौंपा गया है और इसमें पिछले 5 वित्तीय वर्षों का लेखा-जोखा शामिल होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी दान और जियारत के दौरान तीर्थयात्रियों द्वारा दिए गए धन के दुरुपयोग के आरोप सामने आने के बाद ऑडिट शुरू किया गया है.
अजमेर शरीफ दरगाह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है. केंद्र सरकार ने दरगाह के वित्तीय कामकाज की जांच के लिए CAG ऑडिट करने का फैसला लिया था. दरगाह कमेटी ने इस फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि दरगाह एक धार्मिक संस्था है और इसे केंद्र सरकार के ऑडिट से बाहर रखा जाना चाहिए.
दिल्ली हाई कोर्ट ने अजमेर दरगाह के CAG ऑडिट पर लगाई अंतरिम रोक, 7 मई को होगी अगली सुनवाई
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