Nation- खेलो इंडिया यूथ गेम्स बिहार में युवाओं को स्पोर्ट्स में कैसे प्रेरित कर रहा… जानें विस्तार से- #NA

मेजबान बिहार और नागालैंड के बीच सापेक टाकरा युगल मैच खेला गया. इस दौरान बड़ी संख्या में छोटे बच्चे बिहार सशस्त्र पुलिस बल कैंप में स्थित इंडोर स्टेडियम में मौजूद थे. वे हर पल बदलते स्कोर के साथ रोमांच के समंदर में गोते लगा रहे थे और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ खिलाड़ियों की हौसलाअफजाई करते हुए मैच का खूब लुत्फ ले रहे थे. अपनी टीम को चीयर करते ये बच्चे बिहार की मेजबानी में पहली बार आयोजित हो रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स की भव्यता से अभिभूत थे और अपनी आयु के बच्चों को कोर्ट पर देखकर खुद भी खेलों को करियर के रूप में अपनाने की इच्छा जाहिर करते दिखे.
इसी तरह दीघा के रेलवे खेल परिसर में शनिवार को शुरू हुए मुक्केबाजी मुकाबलों के दौरान भी विभिन्न आयु वर्ग के कई बच्चे मैच का लुत्फ लेने पहुंचे. इसके एक दिन पहले पटलीपुत्र स्पोर्ट्स काम्पलेक्स में वालीबाल फाइनल के दौरान इस खेल और दूसरे खेलों से रुचि रखने वाले कई बच्चे दर्शक दीर्घा में दिखे. सब खेल का भरपूर आनंद लेते दिखे और उन्हें जो खेल पसंद हैं, उसे अब गंभीरता से लेने और खेल को करियर के रूप में अपनाने की ललक उनके अंदर दिखी.
भविष्य में स्पोर्ट्स का अवसर बढ़े
बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवींद्रण शंकरण ने कहा, हमारे मुख्यमंत्री की इच्छा थी कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स के माध्यम से युवा खेलों में आने के लिए प्रेरित हों. हमारे लिए मेडल जीतना या चैंपियन बनने से अधिक इस बात का महत्व है कि हम युवाओं को इस खेल की भव्यता दिखाना चाहते थे, जिससे कि आने वाले समय में हमारे यहां एक खेल संस्कृति विकसित हो सके.
रेलवे खेल परिसर में 10 साल की वसुधा सिंह अपने नाना के साथ हर एक मैच का लुत्फ ले रही थी. वसुधा पटना के बेली रोड स्थित केंद्रीय विद्यालय-2 की छात्रा है और बैडमिंटन में रुचि रखती है. हाल ही में आयोजित केंद्रीय विद्यालय संभागीय खेलों में बैडमिंटन में युगल स्पर्धा का रजत पदक जीतने वाली वसुधा को हालांकि इस बात का अफसोस है कि वह बैडमिंटन मैच नहीं देख पा रही क्योंकि इसका आयोजन भागपुर में हो रहा है, लेकिन उसने मुक्केबाजी देखने का फैसला किया.
मुक्केबाजी का खेल शानदार
वसुधा ने कहा, मुझे इस बात का अफसोस है कि मैं अपना खेल नहीं देख पा रही हूं लेकिन इन मुक्केबाजी को खेलते देख मुझे अहसास हो रहा है कि ये खेल कितने शानदार तरीके से आयोजित किए जा रहे हें औऱ खिलाड़ियों के अंदर खुद को साबित करने का कितना जोश है. मैं बैडमिंटन खेलती हूं और मेरा इसी खेल में करियर बनाने का सपना है. मैं भी एक दिन अपने राज्य के लिए खेलो इंडिया यूथ गेम्स और बाकी के आयोजनों में खेलना चाहती हूं.
सापेक टाकरा में बिहार ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ओवरआल चैंपियन का खिताब पाया. अपनी दादी के साथ बिहार के चियर करने पहुंचीं भाव्या, नाव्या और निवेदिता ने हर पल का आनंद लिया. भाव्या की दादी ने बताया कि उसे एथलेटिक्स पसंद है और वह नियमित तौर पर दौड़ा करती है. इसी तरह नाव्या को क्रिकेट पसंद है.
भाव्या की दादी ने कहा, काफी समय से बच्चियां जिद कर रही थीं कि उन्हें खेल देखना है. चूंकी एथलेटिक्स अभी शुरू नहीं हुए हैं, लिहाजा मैं इन्हें यहां लेकर आई क्योंकि यह आयोजन स्थल हमारे घर से पास है. मैं इन्हें एथलेटिक्स में भी ले जाऊंगी. ये बच्चियां खेलों में जाना चाहती हैं और खेलो इंडिया यूथ गेम्स की भव्यता को देखकर अब इन्होंने खेल को ही करियर बनाने का मन बना लिया है.
मेजबान के तौर पर बेहतरीन काम
बिहार ने मेजबान के तौर पर बेहतरीन काम किया है और खेलो इंडिया यूथ गेम्स को सफल बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है. आयोजन स्थलों का भी चयन काफी सोच-समझकर किया गया है. गांधी मैदान के पास स्थित ज्ञान भवन को जूडो और कुश्ती जैसे आयोजनों के लिए चुना गया, जहां पहुंचना सबके लिए आसान है. ज्ञान भवन में जूडो मुकाबलों के दौरान बड़ी संख्या में युवा अपनी आयु के युवाओं को मैट पर जलवा बिखरते देखते नजर आए.
मुंबई से अपने रिश्तेदारों के लिए पहुंची मानसी ने जूडो मुकाबलों के लुत्फ लिया. 13 साल की मानसी ने बताया कि अपनी आयु के बच्चों को इतने शानदार आयोजन में खेलता देखना प्रेरणादायी है और अब उनका भी मन बैडमिंटन में करियर बनाने को करने लगा है. मानसी ने कहा, मैं बैडमिंटन खेलती हूं और मुंबई में रहती हूं. मैंने इससे पहले खेलो इंडिया यूथ गेम्स नहीं देखा था लेकिन अपने गृहराज्य द्वारा इतना शानदार आयोजन करते देख मुझे गर्व महसूस हो रहा है. अब मेरा भी मन खेलों में करियर बनाने को करने लगा है और मैं इसके बारे में गंभीरता से सोचना शुरू करूंगी.
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