Nation- Mokama News: अनंत सिंह का नहीं, बल्कि इस महान क्रांतिकारी है मोकामा, अंग्रेज जज पर फेंका था बम- #NA

आज बाहुबलियों के नाम से जाना जाता है मोकामा.

बिहार की राजधानी पटना का मोकामा इलाका अभी चर्चा में है. वह मोकामा, जिसे कभी बड़े-बड़े आईपीएस और क्रांतिकारियों के लिए जाना जाता था, लेकिन इस शहर की, इस कस्बे की क्या ही विडंबना है कि अब वह बड़े नाम कहीं पीछे छूट गए हैं और मोकामा याद किया जा रहा है तो बस रंगदारी और गोलीबारी के लिए.

दरअसल, मोकामा के साथ विडंबना यह रही की जब भी मोकामा का नाम आया, इसके साथ गोलीबारी, रंगदारी, सम्राट अशोक, अनंत सिंह और सूरजभान सिंह जैसे बाहुबलियों का नाम आया. मोकामा में रंगदारी और गोलीबारी होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन विडंबना यह है कि जिस मोकामा की पहचान कभी महान क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी के नाम से थी, वह मोकामा आज अनंत सिंह के नाम और गोलीबारी के लिए जाना जाता है, जबकि हकीकत इससे कहीं अलग है.

फिर चर्चा में क्यों आया मोकामा?

दरअसल, इसी 22 जनवरी को मोकामा फिर तब चर्चा में आया, जब यह गोलीबारी हुई. गोलीबारी हुई भी तो बाहुबली कहे जाने वाले पूर्व विधायक अनंत सिंह और उन्हीं के कभी शागिर्द रहे सोनू-मोनू गैंग के बीच. मोकामा के लोगों की मानें तो इस इलाके में शूटआउट होना कोई बड़ी बात नहीं है, बल्कि अब यह उनके रोजमर्रा के जीवन का एक हिस्सा बन गया है. दरअसल, इस पूरे इलाके की विडंबना यह है कि मीडिया ने जब भी इस जगह का जिक्र किया तो रक्त रंजित तरीके से ही किया. चाहे वह मोकामा हो, बाढ, बडहिया या फिर उससे सटा बेगूसराय क्यों न हो?

दरअसल, मोकामा का एक पहलू यह भी है कि इसने केवल बाहुबलियों के रूप में जाने जाने वाले लोगों को पहचान नहीं दी, बल्कि यह वही मोकामा है, जो महान क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी के जीवन की अमिट यादों को अपने सीने में समेटे हुए है.

1942 में महात्मा गांधी आए थे मोकामा

वरिष्ठ पत्रकार संजय उपाध्याय कहते हैं कि यह वही मोकामा, बाढ़ और बडहिया का इलाका है, जब 1942 में महात्मा गांधी की एक आवाज पर हजारों किसान एकजुट हो गए थे. इस इलाके में जब महात्मा गांधी गए थे तो 2000 के करीब महिलाएं वीरांगना के रूप में महात्मा गांधी के लिए खड़ी हो गई थीं. दरअसल, मोकामा टाल क्रांतिकारियों का गढ़ रहा है. मोकामा से सटे बेगूसराय में जन्में कालजयी कृतियां के जनक माने जाने वाले राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को कोई याद नहीं कर रहा है. इसी मोकामा टाल में अब्दुल रहमान जैसा साइंटिस्ट भी है. इसी मोकामा टाल में युवा साइंटिस्ट चंदन कुमार भी हैं. यह सभी इसरो और नासा में कार्यरत हैं.

IPS विकास वैभव ने अनंत सिंह को किया था गिरफ्तार

मोकामा के रहने वाले आईपीएस आनंद शंकर भी हैं, जिनकी ईमानदारी की मिसाल दी जाती थी. वह डीजीपी भी बने. इसके अलावा मोकामा से ही सटे बिहट, बेगूसराय में जन्में कड़क आईपीएस ऑफिसर में शुमार होने वाले विकास वैभव भी यहीं से हैं. यह वही विकास वैभव हैं, जिन्होंने कभी अनंत सिंह को गिरफ्तार किया था.

इसी मोकामा में हर साल हजारों की संख्या में पूरी दुनिया से पक्षी आते हैं. यहां का वेटलैंड उनके जीवन गति को आगे बढ़ाने के अनुकूल माना जाता है. पक्षी वैज्ञानिकों की मानें तो यहां आने वाले पक्षियों में करीब 20 ऐसे पक्षियों की भी प्रजाति शामिल हैं, जो पूरी दुनिया में या तो उंगली पर गिनने के लायक बचे हैं या फिर विलुप्त होने की कगार पर हैं.

खुदीराम बोस संग मिलकर अंग्रेज जज के ऊपर बम फेंका था

वरिष्ठ पत्रकार संजय उपाध्याय बताते हैं कि मोकामा के साथ एक और खास बात जरूरी है कि यह शहर अपने सीने में महान क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी की यादों को समेटे हुए है. उस प्रफुल्ल चाकी की, जिसने अमर शहीद खुदीराम बोस के साथ मुजफ्फरपुर में अंग्रेज जज के ऊपर बम फेंका था. बताया जाता है कि जब प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस ने मुजफ्फरपुर में अंग्रेज जज के ऊपर बम फेंका तो उसके बाद से वह मुजफ्फरपुर से छिपते-छिपाते मोकामा तक आए.

क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी द्वार बना

बताया जाता है कि जब प्रफुल्ल चाकी मुजफ्फरपुर से मोकामा तक पहुंचे, तब उनकी जेब में केवल 25 पैसे थे. उसमें से 10 पैसे में वह भूंजा और चने की घुघनी खा रहे थे, तब तक अंग्रेजों के मुखबिरों के निशाने पर वह आ गए थे. प्रफुल्ल चाकी की बोलने की शैली और दिखने का अंदाज अलग था. वह जब खा रहे थे, तभी उनको पकड़ लिया गया. इसी मोकामा में आज भी प्रफुल्ल चाकी द्वार है.

Mokama News: अनंत सिंह का नहीं, बल्कि इस महान क्रांतिकारी है मोकामा, अंग्रेज जज पर फेंका था बम


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