Nation- OBC सूची विवाद: बंगाल सरकार को हाई कोर्ट से तगड़ा झटका, नई अधिसूचना पर अंतरिम रोक- #NA

कलकत्ता हाई कोर्ट

पश्चिम बंगाल सरकार को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की नई सूची को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सोमवार को राज्य सरकार द्वारा हाल ही में जारी की गई नई अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें 140 नए समुदायों को ओबीसी सूची में शामिल किया गया था.

जस्टिस तपोब्रत चक्रवर्ती और राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि यह अधिसूचना न्यायालय के पहले के आदेशों का उल्लंघन करती है. कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने अब तक इस मुद्दे पर चार से पांच ऐसी अधिसूचनाएं जारी की हैं, जो सीधे तौर पर अदालत के निर्देशों के खिलाफ हैं.

क्या है मामला?

मई 2023 में कलकत्ता हाई कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में 2010 के बाद जारी किए गए 66 ओबीसी समुदायों के करीब 12 लाख प्रमाण पत्रों को रद्द कर दिया था. कोर्ट ने माना कि राज्य सरकार ने उचित प्रक्रिया और संवैधानिक प्रावधानों का पालन किए बिना यह सूची बनाई थी.

हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि 2010 से पहले जारी हुए ओबीसी प्रमाण पत्र वैध माने जाएंगे. राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के फैसले पर कोई स्थगन (Stay) नहीं दिया. सुप्रीम कोर्ट में मामला अभी भी लंबित है.

नई अधिसूचना पर क्या है आपत्ति?

राज्य सरकार ने इसके बाद एक नई अधिसूचना जारी की, जिसमें 140 समुदायों को ओबीसी सूची में शामिल किया गया, लेकिन वादियों ने अदालत में नई याचिका दाखिल कर आरोप लगाया कि राज्य ने यह नई सूची बिना व्यापक सर्वेक्षण के जल्दबाज़ी में जारी की. जिला-स्तरीय और सीमित जनसंख्या के बीच सर्वे कर इसे तैयार किया गया.

सूची में 2010 से पहले और बाद के समुदायों में बहुत कम फर्क है. विधानसभा में विधेयक पेश किए बिना नई सूची जारी कर दी गई. वादी पक्ष का कहना है कि यदि किसी नए समुदाय को ओबीसी सूची में शामिल किया जाना है, तो यह एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसके लिए विधायी मंजूरी जरूरी है.

कोर्ट की सख्त टिप्पणी

सुनवाई के दौरान जस्टिस राजशेखर मंथा ने राज्य सरकार से सवाल किया कि आपने 2012 के एक्ट के अनुसार काम शुरू किया, लेकिन फिर 1993 के पुराने अधिनियम पर लौट गए, ऐसा क्यों किया गया? आपने 2012 के कानून में संशोधन क्यों नहीं किया? वहीं जस्टिस तपोब्रत चक्रवर्ती ने कहा हमने पहले ही स्पष्ट किया था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक 66 समुदायों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाए, लेकिन आपने नई सूची जारी कर दी.

भर्ती और दाखिले पर भ्रम

राज्य सरकार ने कोर्ट में यह भी दलील दी कि ओबीसी विवाद के चलते कॉलेजों में दाखिले और सरकारी भर्तियों की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है. इस पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि न्यायालय ने कहीं भी ऐसा नहीं कहा कि भर्ती या दाखिला रोका जाए.

इस मामले में तृणमूल कांग्रेस के नेता जयप्रकाश मजूमदार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा अब क्या होगा, यह हाईकोर्ट को तय करना होगा. कोर्ट के हस्तक्षेप के दो मुख्य कारण हो सकते हैं. पहला यह कि इस सूची को लेकर विरोध हो रहा है. दूसरा यह कि कोर्ट कह रहा है कि जिस तरह से काम हुआ, वह सही नहीं था. इसका मतलब है कि सूची तो सही है, लेकिन काम करने का तरीका सही नहीं है. तो सरकार भी कोर्ट के कहे अनुसार ही काम करेगी.

OBC सूची विवाद: बंगाल सरकार को हाई कोर्ट से तगड़ा झटका, नई अधिसूचना पर अंतरिम रोक


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