Nation- ‘सर बीमार हैं बेटे… इलाज करा दें या इच्छा मृत्यु दे दें’, भागलपुर के टीचर ने PM मोदी को लिखा पत्र- #NA

बिहार के भागलपुर जिले में नवगछिया के कदवा में रहने वाले एक शिक्षक के परिवार के ऊपर बीमारी की ऐसी आफत आई है कि उन्होंने पूरे परिवार के साथ इच्छा मृत्यु के लिए प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है. शिक्षक घनश्याम के दोनों पुत्र को ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (DMD) बीमारी है, जो बेहद ही खतरनाक मानी जाती है. जिसके इलाज में करोड़ों रुपए खर्च होते हैं. एक पुत्र की उम्र 15 वर्ष है तो दूसरे की महज 10 वर्ष है. दोनों अपनी जिंदगी व्हीलचेयर पर ही गुजार रहे हैं.

कदवा के कार्तिक नगर गांव के रहने वाले शिक्षक घनश्याम का पूरा परिवार पिछले 15 वर्षों से इस बीमारी से लड़ रहा है. घर के दोनों चिराग को नया जीवन मिल सके. हाल ही में घनश्याम ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने लिखा है या तो मेरे दोनों बच्चों की बीमारी को दूर करने की दवा दिलवा दीजिए, नहीं तो हमारे पूरे परिवार को इच्छा मृत्यु दे दीजिए. वहीं उन्होंने कई बार राष्ट्रपति समेत कई मंत्री, नेताओं व अधिकारियों को पत्र लिखा है जिसमें पूरे परिवार को जहर देकर मार देने की बात कही है.

सरकार से मदद की गुहार

नवगछिया के कदवा में कार्तिकनगर गांव में शिक्षक घनश्याम के घर टीवी9 भारतवर्ष की टीम पहुंची. उन्होंने बताया कि बच्चों की बीमारी की वजह से पूरा घर परेशानी से जूझ रहा है. मैंने AIIMS दिल्ली समेत दर्जन भर से अधिक सरकारी व निजी अस्पतालों में अपने दोनों बेटे अनिमेष अमन (15) व अनुराग आनंद (10) का इलाज करवाया है. 15 वर्षों में मैंने लगभग 50 लाख से अधिक इलाज में खर्च किए हैं, लेकिन सरकारी तंत्र और अधिकारियों की ओर से अब तक कोई मदद नहीं की गई है.

हालांकि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और नीतीश कुमार की ओर से मदद का दिलासा मिला है. पहले ये बीमारी दुर्लभ बीमारी में अंकित नहीं थी, लेकिन अब इसे रेयर डिजीज की लिस्ट में शामिल कर दिया गया है, और उसके तहत 50 लाख की मदद राशि मिल सकती है.

10 करोड़ रुपए की जरूरत

शिक्षक घनश्याम ने कहा कि मेरी सारी कमाई बच्चों के इलाज में निकल जाती है. मेरी तीन बेटी भी हैं, वह बिल्कुल स्वस्थ हैं. उनकी पढ़ाई लिखाई पर भी खर्च करना पड़ता है. उसकी शादी की भी चिंता हो रही है. हमारे घर में किसी को भी ऐसी बीमारी नहीं है. सिर्फ यह दो बेटों को ही हैं. छोटे वाले बेटे में 3 करोड़ तो बड़े वाले में 7 करोड़ रुपए इलाज में खर्च होंगे. 24 फरवरी को प्रधानमंत्री भागलपुर आ रहे हैं ऐसे में अगर उनकी ओर से कोई घोषणा या मदद हो जाए तो परिवार की जिंदगी संवर जाएगी.

वहीं बीमारी से पीड़ित बड़े बेटे अनिमेष ने कहा कि मुझे सरकार की मदद चाहिए, लेकिन वह करते नहीं है. मैं भी दूसरे बच्चों की तरह खेलना कूदना चाहता हूं, पढ़ाई करना चाहता हूं. देश की सेवा करना चाहता हूं. आंख में आंसू भरे अनिमेष की मां ने कहा कि बीमारी का इलाज तो करवा रही हूं, लेकिन आगे क्या होगा पता नहीं. परिवार को अब पत्रकारों से ही आस है कि उनकी आवाज सरकार तक वह पहुंचाएंगे.

क्या है ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी?

डीएमडी एक अनुवांशिक बीमारी है जिसमें मांसपेशियों में लगातार कमजोरी बढ़ती है. इसकी शुरुआत बचपन में ही हो जाती है. इस बीमारी में शरीर के मांसपेशियों में पाए जाने वाला प्रोटीन, जिसको डिस्ट्राफिन कहते हैं, उसका बनना बंद हो जाता है और वह सूखती जाती है. जिसकी वजह से बच्चों के चलने, खड़ा होने, खाने और सांस लेने में परेशानी होने लगती है. सरकार इस बीमारी से ग्रसित बच्चों की ओर ध्यान केंद्रित करें. ताकि ऐसे तमाम मासूम बच्चों की जान को बचाया जा सके.

‘सर बीमार हैं बेटे… इलाज करा दें या इच्छा मृत्यु दे दें’, भागलपुर के टीचर ने PM मोदी को लिखा पत्र


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