Nation- दिल्ली के वो दिग्गज जिन्होंने लड़ा पहला चुनाव, 32 साल बाद भी चुनाव में ठोक रखी है ताल- #NA

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को वोटिंग है और 8 फरवरी को नतीजे आएंगे. राज्य की 70 सीटों पर 699 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है. दिल्ली के जुझारू और असाधारण चुनावी मुकाबलों के लिए प्रसिद्ध कई दिग्गज नेता सीन से गायब हैं तो कई वरिष्ठ नेता इस बार भी ताल ठोक रखी है. इस तरह दिल्ली के पहले विधानसभा चुनाव में यानी 1993 में जीत का परचम फहराने वाले आधा दर्जन नेता 32 साल के बाद भी चुनावी पिच पर पूरे दमखम के साथ जोर आजमाइश करते नजर आ रहे हैं.

केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में विधानसभा की बहाली के बाद 1993 में पहली बार चुनाव हुए थे. 1993 के चुनाव में बीजेपी ने बहुमत हासिल कर सरकार बनाई थी और मदन लाल खुराना मुख्यमंत्री बने थे. दिल्ली के पहले चुनाव में विधायक बनने वाले ज्यादातर सियासत से दूर हो चुके हैं या फिर गुमनाम हैं. इसके बावजूद आधा दर्जन नेता 2025 विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं. ऐसे में देखना है कि 32 साल पहले की तरह उनका सियासी जादू इस बार चलता है कि नहीं?

दिल्ली चुनाव में दिग्गजों की अग्निपरीक्षा

दिल्ली के 1993 वाले विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर विधायक बनने वाले 70 में से सिर्फ छह नेता इस बार के चुनाव में उतरे हैं. पहले चुनाव में ब्रह्म सिंह तंवर, हारुन यूसुफ, जय किशन, कृष्णा तीरथ, मुकेश शर्मा और राजकुमार चौहान जैसे नेता अलग-अलग पार्टी से जीतकर विधायक बने थे और अब 2025 के चुनाव में भी इन सभी ने ताल ठोक रखी है. पूर्व विधायक ब्रह्म सिंह तंवर आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव से चुनाव लड़ रहे हैं तो राजकुमार चौहान बीजेपी से किस्मत आजमा रहे हैं. इसके अलावा बाकी चारों नेता कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

ब्रह्म सिंह तंवर बीजेपी के टिकट पर पहली बार महरौली से विधायक चुने गए थे, लेकिन इस बार सियासी पाला बदलकर किस्मत आजमा रहे हैं. इसी तरह से राजकुमार चौहान कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक चुने गए थे, लेकिन 32 साल के बाद बीजेपी से चुनावी पिच पर उतरे हैं. इसके अलावा बाकी नेता जिस पार्टी के टिकट पर पहली बार विधायक चुने गए थे, उसी पार्टी के टिकट पर ही किस्मत आजमा रहे हैं.

ब्रह्म सिंह तंवर का फिर दिखेगा जादू

दिल्ली की सियासत में ब्रह्म सिंह तंवर की अपनी सियासी तूती बोलती थी. दिल्ली में पहली बार वर्ष 1993 में विधानसभा चुनाव हुए थे और ब्रह्म सिंह तंवर महौरली सीट से बीजेपी के टिकट पर विधायक चुने गए थे. इसके बाद 1998 में विधायक बने, लेकिन 2013 में छतरपुर सीट से बीजेपी के टिकट पर विधायक बने. अरविंद केजरीवाल के सियासी उभार के बाद तंवर चुनाव जीत नहीं सके. बदले हुए सियासी दौर में ब्रह्म सिंह तंवर ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया है और छत्तरपुर सीट से किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन उनका मुकाबला बीजेपी के करतार सिंह तंवर और कांग्रेस के रजिंदर सिंह तंवर से है.

हारुन यूसुफ फिर बनेंगे विधायक?

कांग्रेस के दिग्गज नेता और मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले हारुन यूसुफ 1993 में पहली बार बल्लीमारान सीट से विधायक चुने गए. इसके बाद से वो 2013 तक लगातार विधायक रहे हैं, लेकिन 2015 और 2020 में आम आदमी पार्टी के इमरान हुसैन से हार का सामना करना पड़ा है. एक बार फिर से हारुन यूसुफ बल्लीमारान सीट से ही कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं और उनका मुकाबला इमरान हुसैन और बीजेपी के कमल बागड़ी से है. बदले हुए दिल्ली के सियासी माहौल में हारुन यूसुफ के लिए बल्लीमारान सीट से जीतना आसान नहीं है.

जय किशन फिर जाएंगे विधानसभा

कांग्रेस के दिग्गज नेता और दलित चेहरा माने जाने वाले जय किशन सुल्तानपुर माजरा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. साल 1993 में वो पहली बार विधायक चुने गए थे और 1998 में जयकिशन की पत्नी सुशीला देवी ने कांग्रेस के जीती थी. फिर 2003, 2008, 2013 तक जयकिशन लगातार यहां से चुनाव जीतते रहे. इस बार भी कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं और उनके खिलाफ आम आदमी पार्टी के मौजूदा विधायक मुकेश अहलावत और बीजेपी के कर्म सिंह कर्मा चुनाव लड़ रहे हैं.

मुकेश शर्मा और कृष्ण तीरथ उतरीं

दिल्ली के उत्तम नगर सीट से विधायक रहे मुकेश शर्मा एक बार फिर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. साल 1993 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे, जिसके बाद 1998, 2003 और 2008 में विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे. 2013 से लेकर 2015 और 2020 में उन्हें हार का मूंह देखना पड़ा है. इस बार फिर से उत्तम नगर सीट से मुकेश शर्मा कांग्रेस से किस्मत आजमा रहे हैं.

कृष्णा तीरथ शीला सरकार में रहीं मंत्री

पटेल नगर विधानसभा सीट से कृष्णा तीरथ पहली बार 1993 में विधायक चुनी गई थी. कांग्रेस की दलित महिला चेहरा मानी जाती थी. 1998 और 2003 में कांग्रेस से विधायक रही, जिसके बाद शीला सरकार में मंत्री भी रही. दिल्ली विधानसभा की स्पीकर रह चुकी हैं. कांग्रेस के टिकट पर 2004 से लेकर 2014 तक सांसद रहीं, लेकिन केजरीवाल के सियासी उदय और नरेंद्र मोदी के केंद्र की सत्ता में आने के बाद से हाशिए पर हैं.

2015 में कृष्णा तीरथ ने कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी दामन थामा, लेकि 2015 विधानसभा चुनाव में वह हार गई. चार साल बाद उन्होंने घर वापसी कर कांग्रेस के टिकट 2020 पर चुनाव लड़ा था. लेकिन उन्हें हार मिली. इस बार फिर से चुनावी मैदान में उतरी हैं.

राज कुमार चौहान क्या जीत पाएंगे

राज कुमार चौहान कांग्रेस के दलित नेता माने जाते हैं. 2019 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक चुने गए. 1998 से लेकर 2003 और 2008 तक मंगोलपुरी सीट से विधायक रहे हैं. 2013 और 2015 में आम आदमी पार्टी की राखी बिड़ला के हाथों चुनाव हार गए. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं और बीजेपी के टिकट पर मंगोलपुरी सीट से किस्मत आजमा रहे हैं. राजकुमार के सामने इस बार मंगोलपुरी सीट से आम आदमी पार्टी के राकेश जाटव और कांग्रेस के धर्म सिंह चौहान से मुकाबला है. ऐसे में अब देखना है कि राज कुमार चौहान क्या अपनी जीत को बरकरार रख पाएंगे?

दिल्ली के वो दिग्गज जिन्होंने लड़ा पहला चुनाव, 32 साल बाद भी चुनाव में ठोक रखी है ताल


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