Nation: उठा ले गई भुवनेश्वर पुलिस, इंजीनियर से ठगे थे 1.37 करोड़ रुपये – INA NEWS
Ghaziabad News :
गाजियाबाद के प्रताप विहार में बैठकर साइबर ठगी का गैंग चला रहे मां- बेटे को भुवनेश्वर पुलिस गिरफ्तार करके ले गई है। एसीपी रितेश त्रिपाठी ने गिरफ्तारी की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि प्रताप विहार में रहने वाली नीलम अग्रवाल और उसके बेटे वंश अग्रवाल को भुवनेश्वर पुलिस गिरफ्तार कर ले गई है। विजयनगर थाना पुलिस गिरफ्तारी के लिए भुवनेश्वर से आई टीम के साथ गई थी। मौके से मां- बेटे को गिरफ्तार करने के बाद भुवनेश्वर पुलिस साइबर ठगी के मामले में उन्हें अपने साथ ले गई।
रिटायर्ड इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट किया था
मां- बेटे ने मिलकर भुवनेश्वर के एक रिटायर्ड इंजीनियर को 14 से 18 मई तक डिजिटल अरेस्ट रखकर 1.37 करोड़ रुपये ट्रांसफर करा लिए थे। सेवानिवृत् इंजीनियर को फोन करके धमकाया गया था कि उनके खातों से मनी लॉड्रिंग हुई है। बुजुर्ग को उनका आधार नंबर इस्तेमाल किया गया बताते हुए गिरफ्तारी का डर दिखाकर ऑनलाइन वेरिफिकेशन के नाम पर इंजीनियर को पांच दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा और फिर जांच के नाम पर 1.37 करोड़ रुपये अपने खाते में ट्रांसफर करा लिए थे। बुजुर्ग से तीन बैंक खातों में राशि ट्रांसफर कराई गई थी।
22 मई को दर्ज हुआ था मुकदमा
पीड़ित बुजुर्ग ने 22 मई को भुवनेश्वर में मुकदमा दर्ज कराया था। बुजुर्ग के द्वारा उपलब्ध कराए गए मोबाइल नंबर और बैंक खातों के आधार पर जांच करती हुई भुवनेश्वर पुलिस गाजियाबाद पहुंची और विजयनगर थाना पुलिस के सहयोग से नीलम अग्रवाल और उसके बेटे वंश अग्रवाल को गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई। मां- बेटा दो कंपनियों के डायरेक्टर हैं और ठगी के पैसे इन कंपनियों के खातों में ही ट्रांसफर कराते थे। दो कंपनियों के नाम पर पिछले साल खाते खोले गए थे।
ढाई माह पहले ही किराए पर रहने पहुंचे थे
भुवनेश्वर पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किए गए नीलम और वंश अग्रवाल करीब ढाई माह पहले ही प्रताप विहार में किराए का फ्लैट लेकर रहने पहुंचे थे। मां- बेटे ने वंशनील सॉफ्टवेयर के नाम से कंपनी बनाई और मेरठ के पंजाब नेशनल व एसबीआई में कंपनी के खाते खुलवाए। इन्हीं दोनों बैंक खातों की जानकारी भुवनेश्वर पुलिस को पीड़ित द्वारा उपलब्ध कराई गई थी, पुलिस जांच करते हुए आखिर नीलम और वंश अग्रवाल तक पहुंच गई।
प्रताप विहार में 15 अक्टूबर से रह रहे थे
प्रताप विहार के सेक्टर-12 स्थित जिस मकान से मां- बेटे की गिरफ्तारी हुई है वह मकान मोहन का है। वह बताते हैं कि 15 अक्टूबर को नीलम अग्रवाल और वंश अग्रवाल रहने आए थे। उनके साथ वंश की बहन शिवांगी अग्रवाल भी थी। किराया नामा शिवांगी के नाम पर ही बनवाया गया था। परिवार ने आठ हजार रुपये महीना के किराए पर फ्लैट लिया था। शिवांगी का आरोप है कि दिल्ली में दीपक रहता है, उसी ने उनके भाई को फंसाया है। मेरी मां और भाई के नाम पर वही सारा खेल करता है।
वंश को दिल्ली पुलिस भी भेज चुकी है जेल
जानकारी के मुताबिक वंश और उसके दोस्त दीपक को 63 लाख रुपये की साइबर ठगी के मामले में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उस मामले में वंश तीन माह पहले ही जमानत पर जेल से बाहर आया था। मई, 2024 में दोनों को दिल्ली के मंदिर मार्ग थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। 16 जून को दीपक की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में मौत हो गई थी।
इंदिरापुरम के पते पर है कंपनी
मां- बेटे की कंपनी वंशनील सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड इंदिरापुरम के वैभवखंड के एक पते पर रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज कानपुर में पंजीकृत है। 23 नवंबर, 2023 को कंपनी का रजिस्ट्रेशन हुआ था। मां- बेटा इस कंपनी के डायरेक्टर हैं। एक सप्ताह बाद ही 30 नवंबर, 2023 को आरोपियों ने दूसरी कंपनी नीलावन इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से पंजीकृत कराई थी। यह कंपनी भी इंदिरापुरम के पते पर रजिस्टर्ड कराई गई थी जबकि दोनों कंपनियों में डायरेक्टर मां- बेटा ने अपना पता लोहिया नगर, मेरठ का दिया था, जो जांच फर्जी मिला।
दीपक को मास्टर माइंड बताया
वंश अग्रवाल के अधिवक्ता केपी शर्मा का कहना है कि दीपक शातिर था। वही मां- बेटे के नाम और दस्तावेज इस्तेमाल करते हुए उनके नाम के खातों को भी ऑपरेट करता था। मां- बेटे के दस्तावेजों पर कंपनी के रजिस्ट्रेशन से लेकर बैंक खाते खुलवाने तक सारा काम दीपक ने ही किया था। न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद दीपक की 16 जून को मौत हो गई। एडवोकेट केपी शर्मा के मुताबिक साइबर ठगी का असल मास्टर माइंड दीपक ही था।
उठा ले गई भुवनेश्वर पुलिस, इंजीनियर से ठगे थे 1.37 करोड़ रुपये
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