National-₹5 वाला Parle-G गाजा में ₹2400 का बिक रहा! युद्ध झेल रहे लोग काला बाजारी की चढ़ रहे भेंट, समझें पूरा खेल – #INA

Parle-G… भारत में सबसे ज्यादा खाया जाने वाला बिस्कुट, जिससे सभी के बचपन की कुछ न कुछ यादें तो जरूर ही जुड़ी होंगी या फिर चाय ब्रेक के किस्से भी। ये भी एक बड़ी अनोखी बात है कि भारत में सबसे ज्यादा बिकने और खाये जाने वाले इस बिस्कुट की गिनती कभी लग्जरी आइटम में नहीं हुई, क्योंकि इसकी एक खासियत है, वो है इसकी कीमत- मात्र 5 रुपए… समय के साथ इसकी पैकिंग बदली, पैकेट के साइज में बदलाव हुआ, लेकिन कीमत वही 5 रुपए… अब थोड़ा ठहरिए और ध्यान से सुनिए कि यही 5 वाला का बिस्कुट देश के बाहर करीब 2400 रुपए, यानी अपनी असल कीमत से करीब 500 गुना ज्यादा दाम पर बिक रहा है… क्यों सुनकर लगा न झटका? चलिए समझातें हैं ये पूरा माजरा

दरअसल हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक फिलिस्तीनी पिता अपनी बेटी को Parle-G का एक पैकेट दे रहा है। यह घटना ऐसे समय घटी, जब गाजा, इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष के कारण खाने और पीने के गंभीर संकट और रोजमर्रा की चीजों की बढ़ती कीमतों से जूझ रहा है।

इस शख्स का नाम है मोहम्मद जवाद, जिन्होंने वायरल पोस्ट में लिखा है, “लंबे इंतजार के बाद आखिरकार आज मुझे रविफ (उनकी बेटी) के लिए उसके पसंदीदा बिस्कुट मिल गए। हालांकि, कीमत 1.5 यूरो से बढ़कर 24 यूरो हो गई, लेकिन मैं रविफ को उसका पसंदीदा बिस्कुट दिलाने से मना नहीं कर सका।”

जवाद ने बताया कि उन्होंने पैकेट के लिए 24 यूरो (लगभग 2,342 रुपए) से ज्यादा कीमत चुकाई। जबकी इसकी कीमत आमतौर पर भारतीय बाजारों में 5 रुपए और इंटरनेशनल मार्केट में लगभग 100 रुपए होती है।

अक्टूबर 2023 में तनाव बढ़ने और उसके तुरंत बाद शुरू हुए इजरायल के सैन्य अभियान के बाद, गाजा में खाने-पीने के सामान की पहुंच कम हो गई है। इस साल 2 मार्च से 19 मई के बीच, घेरे हुए फिलिस्तीनी इलाके की लगभग पूरी तरह से नाकाबंदी कर दी गई। केवल सीमित संख्या में मानवीय सहयाता लाने वाले ट्रकों को ही जाने की अनुमति दी गई, उनमें से ज्यादातर को भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद ही जाने की अनुमति दी गई।

ऐसे में वहां की जनता न सिर्फ सैन्य संघर्ष में मर रही है, बल्कि भूख और प्यास से भी जूझ रही है। अब सवाल है कि असल में भूखे लोगों तक कितनी सहायता पहुंचती है? क्योंकि इस तरह के मानवीय संकट का अब ब्लैक मार्केटिंग यानी काला बाजारी करने वाले जमकर फायदा उठा रहे हैं और सस्ती चीजें भी ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं।

कैसे 5 का Parle-G 500 गुना मंहगा बिक रहा है?

यह ऊंची कीमतें केवल Parle-G तक ही सीमित नहीं हैं, जो लगभग 4,300 किलोमीटर दूर स्थित देश से एक्सपोर्ट किया जाता है। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, गाजा सिटी के रहने वाले 31 साल के सर्जन डॉ. खालिद अलशवा ने बताया, “असली समस्या ओरिजनल सप्लायर या टैक्सेशन से जुड़ा नहीं है।”

वे बताते हैं, “ये सामान आमतौर पर मानवीय सहायता के रूप में गाजा में फ्री पहुंचते हैं। लेकिन केवल एक अल्पसंख्यक ही उन्हें हासिल कर पाता है। ऐसे में कमी के कारण वे ज्यादा कीमतों वाले ब्लैक मार्केट के प्रोडक्ट बन जाते हैं।”

अलशवा किसी तरह Parle-G बिस्कुट का एक पैकेट पाने में सफल रहे, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि इसकी कीमत लगभग 240 रुपए है। हालांकि, कुछ जगहों पर ये 2,000 रुपए से ज्यादा का बिक रहा है।

अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग कीमतें, वेंडर कौन है, इस पर निर्भर करती हैं। दिलचस्प बात यह है कि ‘एक्सपोर्ट पैक’ लेबल वाले इन Parle-G के पैकेटों पर कोई कीमत नहीं लिखी है।

रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा लगता है कि ये बिस्कुट सहायता सामग्री के जरिए गाजा पहुंचे और आगे चल कर कुछ वेंडर ने इन्हें खरीद लिया, जिन्होंने इन्हें आम लोगों को ज्यादा कीमत पर बेचा।

सिर्फ Parle-G ही नहीं कई दूसरी जरूरी चीजें भी चौंकाने वाली ऊंची दरों पर बेची जा रही हैं। उत्तरी गाजा में, 1 किलो चीनी की कीमत 4,914 रुपए और प्याज की कीमत 4,423 रुपए प्रति किलोग्राम थी।

6 जून, 2025 तक उत्तरी गाजा के कुछ जरूरी सामान की मौजूदा कीमतें (भारतीय रुपए में):

  • 1 किलो चीनी: 4,914 रुपए
  • 1 लीटर खाना पकाने का तेल: 4,177 रुपए
  • 1 किलो आलू: 1,965 रुपए
  • 1 किलो प्याज: 4,423 रुपए
  • 1 कॉफी कप: 1,800 रुपए

इंटरनेशनल ऐड एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि गाजा में अब अकाल पड़ने वाला है। इंटीग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज क्लासिफिकेशन पर आधारित उनके नए आकलन ने पूरे इलाके को “इमरजेंसी” फेज में घोषित किया है। 12 मई तक, लगभग 470,000 लोग, गाजा की आबादी का लगभग 22 प्रतिशत, “विपत्ति” में प्रवेश कर चुके थे, जो बताता है कि भुखमरी, मृत्यु और कुपोषण अपने चरम पर हैं।

डॉक्टर रक्तदान कर रहे हैं, बच्चे भूख से मर रहे हैं

इंटरनेशनल मेडिकल NGO डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (MSF) ने एक बड़े ही डरा देने वाले बयान में कहा कि गाजा में डॉक्टर अब मरीजों के इलाज के लिए अपना खून दान कर रहे हैं। ये सब उन घटनाओं के बाद हुआ, जब दर्जनों नागरिक खाने का सामान हासिल करने की कोशिश करते समय मारे गए थे।

फिलिस्तीनी अधिकारियों ने पिछले महीने कुछ ही दिनों में भुखमरी से कम से कम 29 मौतों की रिपोर्ट दी, जिनमें से ज्यादातर बच्चे और बुजुर्ग थे। ये आंकड़े सहायता वितरण तंत्र की बढ़ती जांच और इजराइल के प्रतिबंधों की बढ़ती आलोचना के बीच आए हैं, जबकि तेल अवीव इस बात पर जोर देता है कि वो इसलिए सहायता लाने वाले ट्रकों की जांच करता है, ताकि हमास को पहुंचने वाली कोई मदद रोकी जा सके।

Parle-G बनने की कहानी

Parle-G सिर्फ खाने की चीज नहीं है। यह कागज में लिपटी पुरानी यादें हैं। 1938 में लॉन्च किया गया यह बिस्कुट भारत के स्वदेशी आंदोलन के दौरान ब्रिटिश स्नैक्स की सामने लोकल विकल्प के रूप में उभरा। यह एक राष्ट्रीय बिस्कुट बन गया, जिसे कोई भी खरीद सकता था।

दशकों से, Parle-G ने ‘श्रिंकफ्लेशन’ अर्थशास्त्र के कारण अपनी कम कीमत को बनाए रखने में कामयाबी हासिल की है, इसका मतलब है कि कीमत बनाए रखते हुए वेट कम करना।

5 रुपए का पैकेट, जिसमें पहले 100 ग्राम होता था, अब उसमें लगभग 55 ग्राम होता है। फिर भी, यह भारत में सबसे सस्ते पैकेज्ड फूड प्रोडक्ट में से एक है।

2013 में Parle-G 5,000 करोड़ रुपए की बिक्री पार करने वाला पहला भारतीय FMCG ब्रांड बन गया। नीलसन के अनुसार, 2011 तक यह मात्रा के हिसाब से दुनिया का सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्कुट बन गया।

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