National-Bhushan Power Liquidation: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हो सकते हैं क्या कानूनी उपाय, सरकार और CoC कर रहे विचार – #INA

सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई को कर्ज में डूबी भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील के रिजॉल्यूशन प्लान को खारिज कर दिया। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत BPSL के लिक्विडेशन का भी आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने रिजॉल्यूशन प्रोसेस को पूरा करने में अनिश्चितकालीन देरी के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील को जिम्मेदार ठहराया, और कंपनी, CoC और रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल के बीच कानून और उसके नियमों के घोर उल्लंघन को छिपाने के लिए मिलीभगत की ओर इशारा किया। कोर्ट ने जेएसडब्ल्यू के रिजॉल्यूशन प्लान को IBC के अनिवार्य प्रावधानों का घोर उल्लंघन बताया।
BPSL के लिक्विडेशन के आदेश ने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। उच्च अधिकारियों का कहना है कि सरकार और लेनदारों की समिति (CoC) संभावित कानूनी उपायों पर काम कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बैंकों और अन्य कर्जदाताओं की वित्तीय स्थिति पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। कई लोगों को डर है कि अगर कानूनी उपाय करने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट का फैसला बरकरार रहता है, तो बैलेंस शीट पर असर पड़ सकता है और इससे कर्जदाताओं और कंपनी के कारोबार की ग्रोथ प्रभावित हो सकती है।
5 मई को वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नागराजू ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले की स्टडी कर रही है। सरकारी वकीलों के साथ परामर्श के बाद अगले कदमों को अंतिम रूप दिया जा सकता है। एक अन्य अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया, “हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि रिजॉल्यूशन प्लांस के इंप्लीमेंटेशन की उचित निगरानी की जाए, ताकि लेनदारों को समय पर उनका उचित बकाया मिल सके।”
सितंबर 2019 में JSW स्टील ने खरीदी थी BPSL
सितंबर 2019 में BPSL को JSW स्टील ने खरीदा था। JSW स्टील की 19,700 करोड़ रुपये की पेशकश को NCLT से कुछ शर्तों के साथ मंजूरी मिलने के बाद NCLAT ने मंजूरी दी थी। JSW ने IBC के जरिए BPSL की खरीद के लिए बोली लगाई थी। मार्च 2021 में JSW स्टील ने घोषणा की थी कि उसने BPSL की खरीद के लिए एक रिजॉल्यूशन प्लान के तहत भूषण पावर एंड स्टील के फाइनेंशियल क्रेडिटर्स को 19,350 करोड़ रुपये का पेमेंट किया है।
2020 में JSW स्टील को BPSL के लिए सफल रिजॉल्यूशन एप्लीकेंट घोषित किया गया था। रिजॉल्यूशन प्लान को NCLAT ने फरवरी 2020 में क्लियर किया था। BPSL पर लेनदारों का 47,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया था और कंपनी IBC के तहत सबसे बड़े डिफॉल्टर्स में से एक थी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिजली गिरने के जैसा
इस मामले पर मनीकंट्रोल से बात करने वाले अधिकांश बैंकरों की प्रतिक्रिया एक जैसी थी। सूत्रों का कहना है कि कानूनी उपाय करने के संबंध में बैंकरों के बीच अभी तक कोई आम सहमति नहीं है। एक बैंकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिजली गिरने के जैसा है। उनके मुताबिक, “हम इस तरह के फैसले के लिए तैयार नहीं थे।” एक अन्य बैंकर ने कहा, “चूंकि यह फैसला हैरान करने वाला है, इसलिए हमें इस मुद्दे पर CoC में बैंकरों के बीच आम सहमति बनाने के लिए और समय चाहिए।”
मैक्वेरी की रिपोर्ट के अनुसार, जिन बैंकों ने रिजॉल्यूशन के बाद JSW स्टील से पैसा हासिल किया, उन्हें अब इसे कंपनी को वापस करना होगा। इस जोखिम के लिए नए प्रोविजन करने से सामने आने वाली फ्यूचर रिकवरीज भी फिलहाल धूमिल लगती हैं।
एक सरकारी बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस फैसले के तहत बैंकों को वित्त वर्ष 2026 की दूसरी या तीसरी तिमाही में JSW को वापस की जाने वाली राशि के लिए पर्याप्त प्रोविजनिंग करने की जरूरत होगी। फिलहाल, बैंकों को भरोसा है कि भले ही सुप्रीम कोर्ट की ओर से आदेश को बरकरार रखा जाए, लेकिन उनकी वित्तीय स्थिति JSW स्टील का पैसा वापस चुकाने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत है।
नहीं विलय होंगी सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां, सरकार ने किया खुलासा, पहले ये था प्लान
ऑपरेशनल क्रेडिटर्स ने रिजॉल्यूशन प्लान की मंजूरी को दी थी चुनौती
BPSL के केस को ऑपरेशनल क्रेडिटर्स ने आगे बढ़ाया। उन्होंने रिजॉल्यूशन प्लान की मंजूरी को इस आधार पर चुनौती दी थी कि उनके दावों के साथ अनुचित व्यवहार किया गया और प्रमुख प्रक्रियात्मक खामियों को अनदेखा किया गया। 2 मई के फैसले में IBC के तहत सबसे हाई-प्रोफाइल अधिग्रहणों में से एक में प्रक्रियात्मक और कानूनी खामियों को उजागर किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने मिस हुई टाइमलाइंस, असंगत लेनदार निरीक्षण और रिजॉल्यूशन प्लांस में प्रमोटर-लिंक्ड स्ट्रक्चर्स की भूमिका को लेकर सवाल उठाए हैं। कई मोर्चों पर नॉन-कंप्लायंस के बावजूद प्लांस को आगे बढ़ाने की इजाजत दी गई थी।
दिलचस्प बात यह है कि मैक्वेरी की रिपोर्ट बताती है कि भले ही JSW स्टील को बैंकों से पैसा वापस मिल जाए, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि कंपनी के पास 2021 के दौरान BPSL में निवेश की गई राशि का कोई सहारा है या नहीं।
रिपोर्ट में कहा गया है, “अगर BPSL के मालिक न होने के बावजूद जेएसडब्ल्यू स्टील को 2017 से 2021 के बीच EBITDA को बनाए रखने का मौका मिलता है, तो क्या अदालत यह फैसला दे सकती है कि BPSL का लिक्विडेशन भी उसी आधार पर हो। अगर ऐसा होता है तो JSW स्टील द्वारा BPSL में किए गए निवेश जोखिम में पड़ जाएंगे।”
क्या कर सकती है JSW स्टील
विशेषज्ञों ने कहा कि JSW स्टील फैसले के 30 दिनों के अंदर उसी बेंच के समक्ष रिव्यू पिटीशन दायर कर सकती है, जिसने फैसला सुनाया था। अपील प्रक्रिया में CoC भी पक्ष हो सकता है। JSW और CoC के खिलाफ जाने वाली रिव्यू पिटीशन पर क्यूरेटिव पिटीशन के जरिए आगे अपील की जा सकती है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “कमर्शियल एग्रीमेंट्स पर फैसले, जो अक्सर सिविल प्रकृति के होते हैं, कोर्ट द्वारा बेहद अर्जेंसी में लिए जाने की संभावना कम होती है। ऐतिहासिक रूप से इन मामलों में पक्ष में बहुत अधिक आदेश नहीं आए हैं”।
मैक्वेरी की रिपोर्ट में कहा गया है, “रिव्यू पिटीशन एक स्पष्ट गलती को दूर करने या नए सबूत की खोज तक सीमित है। और इसका इस्तेमाल मामले में पुनर्विचार और नए फैसले के उद्देश्य से नहीं किया जाना चाहिए। अगर रिव्यू पिटीशन खारिज कर दी जाती है तो JSW Steel क्यूरेटिव पिटीशन दायर कर सकती है।”
IDBI Bank Stake Sale: 2025 के आखिरी तक बिक जाएगा आईडीबीआई बैंक! यहां तक का काम हो गया पूरा
Bhushan Power Liquidation: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हो सकते हैं क्या कानूनी उपाय, सरकार और CoC कर रहे विचार
देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,
#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on hindi.moneycontrol.com, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,