National-Cash Case: 'जस्टिस यशवंत वर्मा को न दिया जाए कोई न्यायिक काम' सुप्रीम कोर्ट का इलाहबाद हाई कोर्ट को निर्देश – #INA

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से शुक्रवार को कहा कि कैश बरामदगी मामले में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा को कार्यभार संभालने के बाद फिलहाल कोई न्यायिक काम न सौंपा जाए। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 24 मार्च को जस्टिस वर्मा को उनकी मूल अदालत ‘इलाहाबाद हाई कोर्ट’ में वापस भेजने की सिफारिश की थी। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने चीफ जस्टिस (CJI) के निर्देश के बाद जस्टिस वर्मा से न्यायिक काम वापस ले लिया था।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से शुक्रवार को जारी प्रेस रिलीज में कहा गया, “इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा गया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा जब वहां कार्यभार संभालेंगे, तब उन्हें फिलहाल कोई न्यायिक काम नहीं सौंपा जाए।”
यह घटनाक्रम इसलिए अहम है, क्योंकि सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा को इलाहाबाद ट्रांसफर करने की नोटिफिकेशन जारी की।
यह आदेश राष्ट्रीय राजधानी में जज के सरकारी आवास में 14 मार्च की रात आग लगने के बाद वहां से कथित तौर पर नकदी की जली हुई गड्डियां मिलने की घटना के बीच आया है।
विधि मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी कर उनके ट्रांसफर की घोषणा की।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा के तबादले की सिफारिश सरकार से करते हुए कहा था कि यह कदम 14 मार्च की रात लगभग 11.35 बजे आग लगने की घटना के बाद न्यायाधीश के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास से कथित तौर पर नकदी मिलने पर शीर्ष अदालत द्वारा आदेशित आंतरिक जांच से अलग है।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका को ‘‘असामयिक’’ बताते हुए खारिज कर दिया, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में दिल्ली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने 22 मार्च को आरोपों की आंतरिक जांच करने के लिए तीन-सदस्यीय समिति गठित की और दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय की जांच रिपोर्ट को शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्णय लिया। इसमें कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी मिलने की तस्वीरें और वीडियो शामिल थे।
जस्टिस वर्मा ने किसी भी तरह के आरोप को खारिज कर दिया और कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा स्टोर रूम में कभी भी नकदी नहीं रखी गई।
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