National-"मुझे भी किया गया था परेशान", इंफोसिस के पूर्व CFO मोहनदास पई ने भी की कब्बन पार्क अधिकारियों की आलोचना, जानें पूरा विवाद – #INA
इंफोसिस के पूर्व चीफ फाइनेंस ऑफिसर (CFO) मोहनदास पई ने ‘कब्बन रीड्स (Cubbon Reads)’ कम्युनिटी के सदस्यों के साथ हुए कथित गलत व्यवहार की कड़ी आलोचना की है। कब्बन रीड्स, लोगों का एक समूह है, जो सार्वजनिक जगहों और पार्कों में इकठ्ठा होकर किताबपाठ करते हैं। मोहनदास पई ने गुस्सा जताते हुए कहा कि पार्क अधिकारियों की कार्रवाई “बहुत, बहुत गलत” थी और शांतिपूर्ण तरीके से पार्क जाने वालों को परेशान करना बंद किया जाना चाहिए।
मोहनदास पई ने दावा किया कि पार्क में टहलते समय उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया गया था, उन्होंने गार्डों के गलत व्यवहार की आलोचना की। साथ ही कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार से अपील किया वे पार्क जाने वाले सभी लोगों के सुरक्षित और स्वागत योग्य बनाएं।
क्या है पूरा विवाद?
यह विवाद शनिवार 21 दिसंबर को शुरू हुआ, जब कब्बन पार्क में क्यूबन रीड्स की ओर से आयोजित कार्यक्रम ‘सीक्रेट सांता सैटरडे’ को पार्क अधिकारियों ने रुकवा दिया। क्यूबन रीड्स कम्युनिटी ने बताया कि वे मार्च 2023 से हर शनिवार को सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे के बीच, लोग एक चटाई और किताब लेकर आते हैं और पहले से ही वहां मौजूद अन्य लोगों के साथ मिलकर पढ़ते हैं।
21 दिसंबर को कब्बन रीड्स के आयोजकों ने सीक्रेट सांता कार्यक्रम आयोजित किया, जिमें उन्होंने लोगों को गिफ्ट रैप की गई पुस्तक के साथ आने के लिए आमंत्रित किया था। हालांकि बागवानी विभाग के अधिकारियों ने उन पर पार्क में कमर्शियल कार्यक्रम आयोजित करने का आरोप लगाया। अधिकारियों ने कार्यक्रम में आई सभी किताबों को जब्त कर लिया और अपने साथ लेकर चले गए।
समूह ने सोमवार को एक बयान जारी कर आरोपों का खंडन किया और अपने अनुभव का ब्यौरा दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी बैठकें पूरी तरह से अनौपचारिक हैं, जिसमें कोई भी किसी भी समय शामिल हो सकता है या जा सकता है। सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी बैठकों में कोई कमर्शियल गतिविधि नहीं होती है, और समूह अपनी स्थापना के बाद से बिना किसी समस्या के इसी तरह के आयोजन करता रहा है।
क्यूबन रीड्स ने बयान में कहा कि अधिकारियों ने इन तथ्यों के बावजूद कार्रवाई की और स्तकों को जब्त कर लिया और कार्यक्रम के दो क्यूरेटर को बागवानी विभाग के कार्यालय में ले गए। समूह के अनुसार, उन्हें ₹60,000 के जुर्माने की धमकी दी गई।
वहीं बागवानी विभाग ने अपने कार्यों का बचाव करते हुए दावा किया कि अनधिकृत गतिविधियों से बचने के लिए सार्वजनिक स्थानों को विनियमित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मैराथन और पुस्तक वाचन जैसे आयोजनों की अनुमति है, लेकिन वे कमर्शियल या धार्मिक प्रकृति की गतिविधियों की अनुमति नहीं देते हैं।
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