National-Labour Day 2025: 1 मई को मनाने की परंपरा, जानिए इसके महत्व और इतिहास को – #INA

हर साल 1 मई को दुनियाभर में मेहनतकश लोगों के सम्मान में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाया जाता है। भारत में इसे श्रमिक दिवस, मजदूर दिवस, मई दिवस, लेबर डे या वर्कर डे जैसे कई नामों से जाना जाता है। यह दिन उन लोगों को समर्पित है, जो अपने पसीने और परिश्रम से समाज और राष्ट्र की बुनियाद को मजबूत करते हैं। चाहे निर्माण स्थलों पर ईंट-गारा उठाने वाले श्रमिक हों या खेतों में मेहनत करने वाले किसान, कारखानों में काम करने वाले मज़दूर हों या सफाईकर्मी—ये दिन हर उस व्यक्ति को सम्मान देने का अवसर है जो श्रम से जीवन का पहिया घुमा रहा है।
इस दिन रैलियां, सभाएं, जागरूकता कार्यक्रम और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं, जो न सिर्फ श्रमिकों की उपलब्धियों को सलाम करते हैं बल्कि उनके अधिकारों की याद भी दिलाते हैं। ये दिवस हमें मेहनत की असली कीमत समझाने का सशक्त प्रतीक है।
सिर्फ अवकाश नहीं
1 मई को कई देशों में राष्ट्रीय अवकाश होता है, भारत में भी कई राज्य इस दिन छुट्टी घोषित करते हैं। लेकिन ये सिर्फ छुट्टी का दिन नहीं, बल्कि मजदूर वर्ग के संघर्ष, उपलब्धियों और उनके अधिकारों की याद दिलाने का अवसर है। इस दिन संगठनों द्वारा रैलियां, सभाएं और विचार गोष्ठियां आयोजित की जाती हैं।
8 घंटे काम का अधिकार
मजदूर दिवस की नींव 1886 के अमेरिका में पड़ी, जब 1 मई 1886 को लाखों मजदूरों ने 8 घंटे कार्यदिवस की मांग को लेकर हड़ताल की। इस ऐतिहासिक आंदोलन में कई श्रमिकों ने जान गंवाई, लेकिन यही बलिदान भविष्य की राह बना।
अंतरराष्ट्रीय पहचान की शुरुआत
1889 में पेरिस में आयोजित इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस ने 1 मई को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में मान्यता दी। इसके बाद ये दिन दुनिया भर में मजदूरों की एकजुटता और संघर्ष की प्रतीक बन गया।
भारत में भी गूंजा मजदूरों का स्वर
भारत में मजदूर दिवस पहली बार 1 मई 1923 को चेन्नई (तब मद्रास) में मनाया गया। लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने इस दिन की नींव रखी थी। यही वो अवसर था जब पहली बार लाल झंडा मजदूर प्रतीक के रूप में फहराया गया और देश में श्रमिक आंदोलन की चेतना जगी।
क्यों खास है ये दिन?
श्रमिक दिवस सिर्फ इतिहास नहीं, आज का भी सवाल है। ये दिन याद दिलाता है कि हर निर्माण, हर विकास की नींव मेहनतकश हाथों पर टिकी होती है। साथ ही ये दिन याद दिलाता है कि श्रमिकों के अधिकार, सुरक्षा और सम्मान की लड़ाई आज भी ज़रूरी है।
प्रेरणा का स्रोत
टीवी, रेडियो और समाचार माध्यमों पर इस दिन खास कार्यक्रम प्रसारित होते हैं, जो मजदूरों को उनके अधिकारों और योजनाओं के प्रति जागरूक बनाते हैं। साथ ही, सरकारें भी इस अवसर पर श्रमिकों के लिए नई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा करती हैं।
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Labour Day 2025: 1 मई को मनाने की परंपरा, जानिए इसके महत्व और इतिहास को
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