National-Old vs New tax regime: 12.75 लाख रुपये से ज्यादा की इनकम पर कौन सा विकल्प बेहतर होगा? – #INA
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बजट 2025 में नई टैक्स रिजीम के लिए कुछ अहम बदलावों का ऐलान किया गया है। इसका मकसद मध्य वर्ग के लोगों को राहत प्रदान करना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुनियादी छूट की सीमा को बढ़ाकर 4 लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया है और इनकम टैक्स के सेक्शन 87ए के तहत छूट के लिए आय की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया है।
इसके साथ ही, सैलरी से 12 लाख रुपये तक की इनकम पर किसी तरह का टैक्स नहीं देना होगा। दरअसल, 75,000 के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ ही सालाना 12.75 लाख रुपये की आय वालों को कोई टैक्स नहीं देना होगा। इससे उन लाखों टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी, जिनकी इनकम 12.75 लाख रुपये से कम है।
हालांकि, अगर आप 12.75 लाख रुपये से ज्यादा कमाते हैं, तो क्या? क्या तब भी आपको नई इनकम टैक्स रिजीम का विकल्प चुनना चाहिए या फिर पुरानी इनकम टैक्स रिजीम का रुख करना चाहिए? हम आपको यहां इस बार में जानकारी पेश कर रहे हैं:
आपको नई टैक्स रिजीम का विकल्प कब चुनना चाहिए?
नई टैक्स रिजीम ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए बेहतर है:
1) जिनके पास 12 लाख या इससे ज्यादा की इनकम है या वे सेक्शन 87ए के तहत पूरी छूट के हकदार हैं।
2) इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी (प्रोविडेंट फंड, पीपीएफ, लाइफ इंश्योरेंस या हाउसिंग लोन का भुगतान) या 80डी (मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम) के तहत किसी छूट के योग्य नहीं हैं।
3) आसान टैक्स फाइलिंग प्रोसेस चाहते हैं और कंप्लायंस के पचड़े में नहीं फंसना चाहते।
अगर आप ज्यादा छूट क्लेम नहीं करना चाहते और टैक्स फाइलिंग की आसान प्रक्रिया अपनाना चाहते हैं, तो नई टैक्स रिजीम आपके लिए फायदेमंद हो सकती है।
आपको कब पुरानी टैक्स रिजीम का विकल्प चुनना चाहिए?
पुरानी टैक्स रिजीम उन लोगों के लिए ज्यादा उपयुक्त है, जो ज्यादा छूट क्लेम करते हैं, मसलन
1) सेक्शन 80सी: पीएफ, पीपीएफ, लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम में योगदान, हाउसिंग लोन का भुगतान आदि।
2) सेक्शन 80डी: खुद और परिवार के लिए मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम
3) हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA).
4) होम लोन ब्याज
पुरानी टैक्स रिजीम में टैक्सपेयर्स के पास अपनी टैक्स योग्य इनकम काफी हद तक कम करने का विकल्प है, बशर्ते वे ऐसी छूटों का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने के योग्य हों।
Old vs New tax regime: 12.75 लाख रुपये से ज्यादा की इनकम पर कौन सा विकल्प बेहतर होगा?
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