National-Operation Sindoor: जहां कसाब और हेडली ने ली ट्रेनिंग, पाकिस्तान की ‘आतंकवाद की नर्सरी’ मुरीदके मरकज को भारत ने कैसे किया तबाह – #INA

बुधवार सुबह भारत के सशस्त्र बलों ने एक लक्षित अभियान शुरू किया, जिसमें पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाबी एक्शन में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में आतंकवादी कैंप पर हमला किया गया। पहलगाम के उस कायराना हमले में 26 निर्दोष लोगों को आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। ऑपरेशन सिंदूर के तहत, भारत की तीनों सेनाओं ने प्रमुख आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ सटीक हमले किए, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों को निशाना बनाया गया, जो इन कैंप का इस्तेमाल आतंकियों की ट्रेनिंग और छिपने के लिए करते हैं।

इस अभियान में नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया, जिनमें पाकिस्तान के बहावलपुर, मुरीदके और सियालकोट जैसी लोकेशन और POK की पांच साइट शामिल थीं। रक्षा मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि यह ऑपरेशन “केंद्रित, सटीक और बढ़ावा देने वाला” नहीं था, जिसमें कहा गया, “किसी भी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया। भारत ने टारगेट चुनने और उन्हें तबाह करने के तरीके में काफी संयम दिखाया है।”

सबसे अहम टारगेट में से एक पंजाब प्रांत में लाहौर से लगभग 40 किलोमीटर दूर मुरीदके शहर में एक मस्जिद परिसर था। लंबे समय से लश्कर के ऑपरेशन और वैचारिक केंद्र माने जाने वाले इस ठिकाने को पाकिस्तान की “आतंकवाद की नर्सरी” के रूप से जाना जाता था।

लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों का गढ़

2000 में लश्कर के संस्थापक हाफिज सईद ने मुरीदके मरकज की स्थापनी की थी और ये कई सालों से भारतीय खुफिया एजेंसियों के रडार पर था। लश्कर के मुख्य केंद्रों में से एक के रूप में जाना जाने वाला यह मरकज लंबे समय से आतंकवादियों को ट्रेनिंग देने और कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने से जुड़ा हुआ है।

अटारी-वाघा सीमा से लगभग 25-30 किलोमीटर दूर, 82 एकड़ में फैले मरकज तैयबा परिसर में हर साल लगभग 1,000 छात्र दाखिला लेते हैं। इसमें मदरसा, उपदेश केंद्र, आवासीय भवन और यहां तक ​​कि एक स्कूल जैसी सुविधाएं भी हैं। लेकिन इसके अलावा, यह परिसर आतंकवादियों की ट्रेनिंग, हथियार ट्रेनिंग और भर्ती का भी केंद्र है।

इस साइट में सुफा अकादमी शामिल है, जो पुरुष रंगरूटों को ट्रेनिंग देती है, और महिलाओं के लिए एक अलग विंग है। ऐसा माना जाता है कि लश्कर के सीनियर लीडरशिप ने भी इस साइट का इस्तेमाल बैठकों और ट्रेनिंग सेशन के लिए किया है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अल कायदा के ओसामा बिन लादेन ने भी मस्जिद और गेस्टहाउस सहित परिसर के कुछ हिस्सों के लिए करीब 1 करोड़ रुपये का योगदान दिया था।

केंद्र ने 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ अफगान जिहाद का समर्थन किया था, लेकिन सोवियत संघ के वापस चले जाने के बाद, ध्यान भारत विरोधी अभियानों पर चला गया। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, 9/11 के हमलों के बाद, जब पाकिस्तान ने वैश्विक दबाव के तहत आधिकारिक तौर पर लश्कर-ए-तैयबा पर प्रतिबंध लगा दिया, तो मरकज का नाम बदलकर जमात-उद-दावा कर दिया गया और इसे मदरसा बना दिया गया।

नाम बदलने के बावजूद भारतीय एजेंसियों ने इस साइट को आतंकी गतिविधियों से जोड़ना जारी रखा है। भारतीय धरती पर हमलों की योजना बनाने में इसकी भूमिका के लिए कई जांचों में इसका बार-बार जिक्र किया गया है।

मुरीदके मरकज में कसाब और हेडली को मिली ट्रेनिंग

मुरीदके मरकज 2008 के मुंबई हमलों की जांच के दौरान सुर्खियों में आया, जब दो प्रमुख आतंकवादियों-मोहम्मद अजमल आमिर कसाब, जिसे अबू मुजाहिद के नाम से भी जाना जाता है, और डेविड कोलमैन हेडली (दाउद सईद गिलानी) ने पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) परिसर में ट्रेनिंग होने की बात कही।

दोनों के अलग-अलग समय पर लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और यहां तक ​​कि अल-कायदा जैसे आतंकवादी समूहों के साथ संबंध थे।

मरकज परिसर को निशाना बनाकर भारतीय सेना ने न केवल बुनियादी ढांचे पर हमला किया, बल्कि लश्कर के जिहादी प्रोजेक्ट के आधार को भी निशाना बनाया। इस हमले से भारत के इस संकल्प का साफ संदेश जाता है कि आतंकवाद का समर्थन करने या उसे फैलाने वाले किसी भी केंद्र को बख्शा नहीं जाएगा।

Operation Sindoor: जहां कसाब और हेडली ने ली ट्रेनिंग, पाकिस्तान की ‘आतंकवाद की नर्सरी’ मुरीदके मरकज को भारत ने कैसे किया तबाह


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