National-Virat Kohli Test Retirement: खराब फॉर्म या इस चीज का दबाव…विराट कोहली के रिटायरमेंट की इनसाइड स्टोरी – #INA

Virat Kohli Test Retirement: साल 2011, भारतीय क्रिकेट फैंस के दिलों में एक अलग ही जगह रखती है। उस साल क्रिकेट फैंस के जुबान पर बस महेंद्र सिंह धोनी का ही नाम था। लेकिन उसी साल टेस्ट क्रिकेट में एक ऐसे क्रिकेटर ने डेब्यू किया, जिसने आगे जाकर टेस्ट क्रिकेट को ही एक अलग पहचान दी। आज से करीब 14 साल पहले की बात है। वर्ल्ड कप जीतने के बाद टीम इंडिया को वेस्टइंडीज दौरे पर जाना था। इस दौरे पर पहली बार विराट कोहली को टेस्ट टीम के लिए चुना गया था। वेस्टइंडीज में वो ‘स्ट्रगल’ कर रहे थे। अपनी जगह पर खड़े-खड़े ड्राइव लगाने की कोशिश करना विराट को भारी पड़ रहा था। वेस्टइंडीज के बाद भारतीय टीम का ऑस्ट्रेलिया दौरा था।
14 साल पहले शुरू हुआ सफर
मेलबर्न और सिडनी में खेले गए पहले दोनों टेस्ट मैच में विराट कोहली का बल्ला नहीं चला। यानी अब कुल 6 टेस्ट मैच हो चुके थे और विराट कोहली के पास गिनाने के लिए सिर्फ एक अर्धशतक था।
भारतीय मीडिया में भी इस बात पर चर्चा शुरू हो चुकी थी कि अब विराट कोहली को कितने मौके दिए जाएंगे? इस बात पर लगातार बहस चल रही थी कि सीरीज के तीसरे टेस्ट मैच में धोनी को प्लेइंग 11 में बदलाव करना ही चाहिए। पहले दो टेस्ट मैच में हार ही चुका था, ऐसे में टीम में बदलाव करने की सूरत भी थी। धोनी ने विराट कोहली को एक और टेस्ट मैच खेलने का मौका दिया।
पर्थ टेस्ट ने बदली किस्मत
मुसीबत ये थी कि अगला टेस्ट मैच पर्थ में था। पर्थ की पिच की तेजी और उछाल भारतीय बल्लेबाजों के समझ से परे थी। पर इस टेस्ट में विराट कोहली ने ये कारनामा किया। दोनों ही पारियों में विराट कोहली ने भारत की तरफ से सबसे ज्यादा रन बनाए। पहली पारी में 44 और दूसरी पारी में 75 रन। इसके बाद की कहानी इतिहास में दर्ज है। विराट कोहली ने अगले 10 टेस्ट मैचों में 4 टेस्ट शतक और 3 अर्धशतक जड़ दिए।
रोहित के बाद विराट ने कहा अलविदा
विराट कोहली ने 14 साल के अपने टेस्ट के सफर को आज अलविदा कह दिया है। सात मई को टीम इंडिया के कप्तान रोहित ने शर्मा ने भी टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का ऐलान किया और फिर 6 दिन बाद विराट कोहली ने भी फैंस के ये बड़ी जानकारी दी। विराट कोहली के टेस्ट के संन्यास के बाद भारतीय क्रिकेट फैंस के मन में सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर बीते एक हफ्ते में ऐसा क्या हुआ कि टीम इंडिया के दो दिग्गजों मे संन्यास ले लिया। आइए इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
साल 2012-13 में जब भारतीय टेस्ट में बदलाव का दौर आया था तब सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने क्रिकेट को अलविदा कहा था।
कोहली का प्रदर्शन पिछली दो टेस्ट सीरीज में बेहद खराब रहा था और बीते दो सीरीज में टीम इंडिया को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था। न्यूजीलैंड ने पिछले साल भारत आकर टीम इंडिया को तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में 3-0 से क्लीन स्वीप किया था। इस सीरीज में कोहली तीन मैचों की छह पारियों में 15.50 की औसत से 93 रन बनाए थे। वहीं, ऑस्ट्रेलिया दौरे पर कोहली पांच मैचों की नौ पारियों में 190 रन बना पाए थे। इसमें एक शतक शामिल है। कोहली ने पर्थ में पहले टेस्ट में ही शतक लगाया था। इसके बाद आठ पारियों में वह केवल 90 रन बना सके। कोहली आठ बार आउट हुए और इसमें से सात बार वह ऑफ स्टंप से बाहर जाती हुई गेंद पर आउट हुए।
टेस्ट में खराब फॉर्म की वजह से विराट कोहली ने इस फॉर्मेट को अलविदा कहा? इससे पर आगे बढ़ने से पहले कोहली के टेस्ट करियर पर एक नजर डालते हैं।
विराट कोहली का टेस्ट क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन रहा है। विराट कोहली ने अपने करियर में 123 टेस्ट मैच खेले हैं। कोहली ने टेस्ट में 30 शतक और 31 अर्धशतक भी बनाए हैं। उन्होंने 210 पारियों में 46.85 की औसत से 9230 रन बनाए हैं। विराट के बेस्ट स्कोर की बात करें तो उनका सर्वोच्च स्कोर 254 रन (नाबाद) है। अपने करियर में विराट ने सात दोहरे शतक भी जड़े हैं। विराट का आखिरी टेस्ट शतक पर्थ में खेले गए टेस्ट में आया था, इस मैच में टीम इंडिया से ऐतिहासिक जीत भी दर्ज की थी। टेस्ट क्रिकेट में सबसे बड़ी बात ये है कि विराट ने बतौर कप्तान भारत के लिए सबसे ज्यादा 40 टेस्ट जीते हैं।
पिछले पांच सालों में तीन ही शतक
2011 में टेस्ट डेब्यू करने वाले विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट में 2019 तक राज किया था। इस दौरान उनका बैटिंग औसत लगभग 55 का था और उन्होंने 27 शतक जमाए थे। वह इस दौरान फैब-4 में मौजूद जो रूट, केन विलियमसन और स्टीव स्मिथ से ज्यादा शतक लगाने वाले खिलाड़ी थे। लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि विराट कोहली लंबे समय से खराब फॉर्म में चल रहे थे। 2020 से विराट कोहली के परफॉर्मेंस में लगातार गिरावट देखने को मिली।
1 जनवरी 2020 से विराट कोहली ने 39 मैचों में 30.72 की औसत के साथ 2028 रन ही बनाए हैं। बीते पांच सालों उनके बल्ले से मात्र 3 ही शतक निकले। पिछले साल इस खिलाड़ी ने 10 टेस्ट में सिर्फ 24.52 की औसत से 417 रन ही बनाए थे। पिछले पांच सालों की बात करें तो सिर्फ साल 2023 में ऐसा हुआ जब विराट कोहली का औसत 50 से ज्यादा का रहा।
विराट ने खुद बताई थी ये बात
सचिन तेंदुलकर की ही तरह जब विराट कोहली भी जब बल्लेबाजी के लिए आते तो पूरे देश को विश्वास होता कि वो मैच का रुख इंडिया की ओर मोड़ कर जाएंगे। इस दबाव के साथ उन्होंने 14 साल टेस्ट खेला, लेकिन इस दबाव को झेलना इतना आसान नहीं था। हाल ही में आरसीबी के पॉडकास्ट में उन्होंने कहा था कि, फैंस को हमेशा उनसे उम्मीद रहती है। उन्होंने खुद को कभी इस दबाव से अलग होते नहीं पाया। जब भी वह खराब बल्लेबाजी करते थे तो उन्हें लगता था कि सारे फैंस की नजरें उन पर ही है। वह इससे परेशान रहने लगे थे और उन्होंने सोचा कि खुश रहना ज्यादा जरूरी है। इसकी वजह से उन्होंने भारतीय टीम की कप्तानी भी छोड़ी थी।
Virat Kohli Test Retirement: खराब फॉर्म या इस चीज का दबाव…विराट कोहली के रिटायरमेंट की इनसाइड स्टोरी
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