देश – कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस; CBI ने मेडीकल बोर्ड से मांगी मदद – #INA

कोलकाता के आरजी कर मेडीकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप-मर्डर केस में अपनी जांच को आगे बढ़ाने के लिए सीबीआई ने मेडीकल बोर्ड की मदद मांगी है। सीबीआई ने स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर जनरल की तरफ गठित बहु-संस्थागत मेडिकल बोर्ड की मदद मांगी है ताकि वह कोलकाता डॉक्टर के साथ हुए जघन्य रेप और मर्डर की जांच को बिना किसी गलती के कर सके।

एचटी के पास मौजूद सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक मेडिकल बोर्ड की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला डॉक्टर की मौत गला घोंटने की वजह से हुई है, इसके अलावा पीड़िता के आंतरिक अंगों पर भी ताजा चोटों के निशान यह बताते हैं कि पीड़िता के साथ बलात्कार की घटना भी हुई। डीएनए प्रोफाइलिंग रिपोर्ट में पीड़िता के शरीर पर रॉय की लार की मौजूदगी भी पाई गई। इसके अलावा आरोपी रॉय के शरीर पर भी पांच अंदरुनी चोटें पाई गईं, जिससे यह साबित होता है कि पीड़िता ने संघर्ष किया था।

एजेंसी ने बताया कि वह मेडिकल बोर्ड की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। इस बोर्ड में दिल्ली के शीर्ष अस्पतालों जैसे एम्स, वीएमएमसी और सफदरजंग अस्पताल, डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ शामिल हैं।

कोलकाता रेप केस को लेकर सीबीआई ने अपनी पहली चार्ज शीट 7 अक्टूबर को दाखिल की थी। इसके अनुसार,कोलकाता पुलिस से जुड़े एक नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय पर 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया गया। 45 पन्नों की चार्जशीट में अपराध के पीछे के मकसद का जिक्र नहीं है। सीबीआई ने घटनास्थल से सीसीटीवी फुटेज, डीएनए सैंपल, खून के धब्बों और बाल सहित करीब 11 सबूत ऐसे इकट्ठा किए हैं जिससे यह साबित होता है कि घटना के वक्त आरोपी संजय रॉय ना केवल वहां पर मौजूद था बल्कि वह सीधे तौर पर घटना में शामिल भी था।

इससे पहले आरजी कर मेडीकल कॉलेज और अस्पताल की ट्रेनी डॉक्टर के साथ 9 अगस्त को कॉलेज के ही एक सेमिनार हॉल में कथित तौर पर बलात्कार किया गया और हत्या कर दी गई थी। हत्या और बलात्कार के मामले में कोलकाता पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर 10 अगस्त को ही संजय रॉय को गिरफ्तार कर लिया था। बाद में 13 अगस्त को कलकत्ता हाईकोर्ट ने 13 अगस्त को मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। इस घटना के बाद मेडीकल स्टॉफ और बंगाल सरकार के बीच में लगातार गतिरोध चलता रहा।

इस घटना को लेकर देश भर प्रदर्शन हुए। इस मामले के खुलने के बाद कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल पर वित्तीय अनियमितताओं के मामले भी सामने आए। केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले की जांच करते हुए प्रिंसिपल से पूछताछ की। आरजी कर मेडीकल कॉलेज में फिलहाल अभी भी डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं।

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