देश- बिहार: CM नीतीश कुमार के साथ आए ओमप्रकाश राजभर, क्या NDA बढ़ा रहा अपना कुनबा?- #NA

बिहार में राजनीति की दृष्टि से बडी खबर है. दरअसल अब तक बिहार में एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी नई करवट ले रही है. बिहार की राजनीति में यह पहला मौका है, जब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानि सुभासपा के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने सीएम और बिहार एनडीए के नेता नीतीश कुमार के साथ शनिवार को चुनावी सभा की. खास बात यह कि इस मंच पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और कई अन्य नेता भी शामिल रहे. ओमप्रकाश राजभर के इस मंच को शेयर करते ही एक तरह से बिहार की राजनीति में सुभासपा की बिहार की राजनीति में एंट्री हो गई है.

दरअसल, सुभासपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश के काबीना मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने शनिवार को बिहार के रामगढ़ विधानसभा सीट पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से एनडीए के प्रत्याशी अशोक कुमार सिंह के समर्थन में आयोजित जनसभा में हिस्सा लिया.

इस जनसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ ही बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, बिहार सरकार के वरिष्ठ मंत्री विजय चौधरी, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और मोतिहारी से सांसद राधा मोहन सिंह, बिहार बीजेपी के प्रदेश महामंत्री मिथिलेश तिवारी, पूर्व मंत्री रामप्रीत पासवान के साथ रामगढ़ के नुआंव में आयोजित एक जनसभा में हिस्सा लिया। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के अशोक कुमार सिंह अपने दावेदारी को पेश कर रहे हैं.

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बिहार में चुनाव लड़ती रही है सुभासपा

हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब बिहार में सुभासपा की राजनीतिक तौर पर चुनाव में एंट्री हुई है. सुभासपा चुनाव लड़ती रही है, लेकिन तब उसके गठबंधन अलग थे. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पीयूष मिश्रा बताते हैं कि 2020 में भी बिहार में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने अपनी राजनीतिक ताकत को दिखाया था. तब के विधानसभा चुनाव में ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट का गठन किया गया था, जिसमें देवेंद्र यादव की समाजवादी जनता दल, ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, असदुद्दीन ओवैसी की एआइएमआइएम, मायावती की बहुजन समाज पार्टी, तत्कालीन राष्ट्रीय लोक समता पार्टी भी इस गठबंधन के अहम घटक दल थे.

पीयूष बताते हैं कि क्योंकि ओमप्रकाश राजभर 2017 से लेकर 2019 तक उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. इस लिहाज से उन्होंने गठबंधन धर्म का पालन किया था, लेकिन जब 2020 में उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी की राह बीजेपी से अलग हुई तो सुभासपा गठबंधन का साथी बनकर बिहार में विधानसभा का चुनाव लड़ी थी.

सुभासपा की बिहार में है अलग प्लानिंग

दरअसल बिहार में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. ओम प्रकाश राजभर उत्तर प्रदेश के बाद बिहार में अपनी राजनीतिक ताकत को दिखाना चाहते हैं. इसलिए वह बिहार में हर महीने किसी न किसी जिले में अपनी रैली भी कर रहे हैं. अभी हाल ही में उन्होंने अपनी पार्टी की 22वें स्थापना दिवस को भी बिहार में ही मनाया था, तब उन्होंने नवादा में एक बड़ी रैली की थी. उन्होंने तब बिहार के लोगों से तीन मंत्री और 10 विधायक देने का वादा किया था.

दरअसल ओमप्रकाश राजभर बिहार में राजभर, रजवार, राजवंशी और राजघोष जैसी बिरादरी के लोगों को अपना टारगेट बनाए हुए हैं. वह बार-बार इस बात को कहते रहे हैं कि बिहार में इन बिरादरी के लोगों के लिए अपनी कोई पार्टी नहीं है, जिसके कारण बिहार की राजनीति में उनकी कोई हिस्सेदारी नहीं है. वह इन जातियों पर ही अपनी फोकस बनाए हुए हैं.

बता दें कि बिहार में इस समाज के लोग अति पिछड़े बिरादरी से आते हैं. ओमप्रकाश राजभर ने बिहार को लेकर के अपनी अलग रणनीति बनाई हुई है. उन्होंने नवादा में रैली के दौरान कहा था कि बिहार की अलग-अलग जिलों में आने वाले जिलों में उनकी रैली होगी. वह बिहार के एक छोर से लेकर के दूसरे छोर तक अपने पार्टी को मजबूती प्रदान करने में लगे हैं. बिहार में उनकी पार्टी की प्रदेश की ईकाई का भी गठन हो चुका है. तमाम प्रदेश पदाधिकारी की भी उन्होंने नियुक्ति कर रखी है.

सपा, बसपा से निकल जाएंगे आगे

ओमप्रकाश राजभर अगर अपनी पार्टी का बिहार में विस्तार कर देते हैं और उनकी पार्टी बिहार में एक स्थान बना लेती है तो वह समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी दोनों से ही आगे निकल जाएंगे. दरअसल अभी तक की गई तमाम कोशिशों के बाद भी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी बिहार में अपनी पकड़ नहीं बन पाई है, जबकि इन दोनों के ही प्रदेश संगठन बिहार में कार्यरत हैं. इन दोनों ने जब भी थोड़ी बहुत राजनीतिक सफलता हासिल की, इनकी पार्टी के विधायक किसी और दल में शामिल हो गए. बिहार में वर्तमान में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान ने भी बसपा के ही टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन बाद में वह जदयू में शामिल हो गए और नीतीश सरकार में काबीना मंत्री बन गए.

बिहार में राजभर समाज की है अच्छी खासी संख्या

दरअसल एक आंकड़े के अनुसार बिहार में करीब 48 लाख के करीब रजवार, राजवंशी और राजभर बिरादरी के वोटर हैं, जो राज्य की 40 लोकसभा क्षेत्र की विभिन्न विधानसभा सीटों पर अपना असर डाल सकते हैं. इनमें सबसे ज्यादा राजभर और राय वोटर बिहार के बाल्मीकि नगर विधानसभा क्षेत्र में हैं, जहां इनकी संख्या लगभग 55,000 के करीब है. इसके बाद रामनगर, नरकटियागंज और बगहा जैसे विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. राजभर वोटर न केवल उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा से सटे लोकसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में हैं बल्कि उनकी अच्छी खासी उपस्थिति सीतामढ़ी, मधुबनी, झंझारपुर, सुपौल, अररिया, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, मधेपुरा, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, वैशाली, गोपालगंज, उजियारपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, भागलपुर जैसे कई अन्य लोकसभा क्षेत्र में हैं. ओम प्रकाश राजभर शायद इसी वजह से पूरे बिहार में अपनी अलग-अलग रैली निकालने की योजना बना चुके हैं.

सीएम के साथ पहली बार दिखे मंच पर

बिहार की राजनीति में यह पहला मौका है, जब ओमप्रकाश राजभर सीएम नीतीश कुमार के साथ मंच पर दिखे हैं. हालांकि ओमप्रकाश राजभर सीएम नीतीश कुमार की कई नीतियों के समर्थक भी रहे हैं, जिनमें सबसे बड़ी शराब बंदी की नीति है. ओमप्रकाश राजभर ने नवादा में हुई अपनी रैली में कहा था कि वह सीएम नीतीश कुमार के शराबबंदी नीति के साथ खड़े हैं. उनका स्पष्ट रूप से कहना था कि सीएम नीतीश कुमार ने इस नीति को अच्छी नियत के साथ बिहार में शुरू किया था. हालांकि इसमें कई खामियां हैं जिसे दुरुस्त करने की जरूरत है.

ओमप्रकाश राजभर कई मंचों पर इस बात को भी कह चुके हैं कि वह उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं, लेकिन अगर बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व बिहार में भी उनको साथ रखना चाहता है तो वह इसके लिए भी तैयार है. बिहार के रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में जिस तरीके से ओमप्रकाश राजभर ने एनडीए के तमाम नेताओं के साथ मंच को शेयर किया है. उससे अब राज्य के राजनीतिक हल्काें में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि आगे आने वाले दिनों में राजभर की पार्टी भी बिहार में एनडीए का हिस्सा हो सकती है. अगर राजभर की पार्टी बिहार में एनडीए का हिस्सा बनती है तो यह एनडीए के लिए एक प्लस पॉइंट ही होगा, क्योंकि वैसे मतदाता जो अब तक ओमप्रकाश राजभर के साथ खुलकर के खड़े होते दिखते रहे हैं, वह अब एनडीए के लिए एक मजबूत कड़ी बन जाएंगे.

बिहार में लंबे वक्त से कर रहे हैं काम

सुभासपा के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव अरविंद राजभर कहते हैं कि बिहार में सुभासपा 2004 से ही लगातार अपने समाज के लोगों में काम करती रही है. यह काम करने का ही परिणाम है कि बिहार प्रदेश के करीब 32 जिलों में सुभासपा अपने संगठन को मजबूत कर चुकी है. संगठन के साथ-साथ छोटी बड़ी सभा करके बिहार में अपनी उपस्थिति दर्ज करने का निरंतर प्रयास किया है.

उन्होंने कहा कि यह पहला ऐसा वक्त है आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर मंच साझा किया. यह सत्य भी है कि हमारी जो कम्युनिटी बिहार में बंट कर के रहती थी वह जब विचारधारा के साथ जुड़ी है तो आज बिहार में एक बड़ी ताकत के रूप में देखना शुरू हो गया है. 27 तारीख को नवादा में जो कार्यक्रम हुआ वह ऐतिहासिक था. 30 तारीख को भी औरंगाबाद में बड़ा कार्यक्रम होगा. यूपी में हम एनडीए के साथ हैं तो बिहार में भी एनडीए सरकार अगर अपनी सहयोगी बनती है तो हम पूरी ताकत के साथ लगे भी हैं.

उन्होंने कहा कि बिहार में हो रहे उपचुनाव में हम सहयोग भी कर रहे हैं. ग्राम सभा में चौपाल भी कर रहे हैं. इसके साथ-साथ जो हमारे मतदाता हैं, उनसे अनुरोध और अपील भी कर रहे हैं कि 13 तारीख को एनडीए के प्रत्याशी जहां-जहां हैं, वहां पर मतदान करें और जीत सुनिश्चित करें. भविष्य की राजनीति में देखा जाए तो सुभासपा का उत्तर प्रदेश के गठबंधन में शामिल होकर के छह विधायक, एक एमएलसी बने. बिहार में भी हम आने वाले समय में 2025 की विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत के साथ लड़ेंगे और यहां भी अपना दम दिखाएंगे. एनडीए का भरपूर सहयोग करके एक बार फिर से सरकार को स्थापित करने का काम करेंगे.

नीतीश कुमार का नेतृत्व सबको स्वीकार

जदयू की प्रवक्ता अंजुम आरा कहती हैं कि बिहार की धरती पर ओमप्रकाश राजभर का स्वागत है. एनडीए मिलकर के बिहार में चार विधानसभा क्षेत्र में जो उपचुनाव हो रहे हैं, वहां मिलकर के मजबूती से चुनाव लड़ रहा हैं. बिहार की जनता पर पूरा विश्वास है कि वो नीतीश कुमार के कार्यों से प्रभावित होकर के लगातार बहुमत देती रही है. इस बार भी जनता एनडीए के तमाम प्रत्याशियों को मजबूत वोट देने जा रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार न केवल बिहार और सीमावर्ती इलाका बल्कि राष्ट्रीय स्तर, वैश्विक स्तर पर भी उनके सशक्त लीडरशिप, उनकी दूर की सोच को, उनके कार्यक्रम और नीतियों को बिहार को विकासशील बनाते हुए आगे की दिशा में बढ़ रहे हैं. उसको माना गया है. यही कारण है कि वैश्विक स्तर पर हमारे नेता को ग्लोबल थिंकर का खिताब मिला हुआ है.

जीत सुनिश्चित करने के लिए मंच साझा

बीजेपी के प्रवक्ता अरविंद सिंह कहते हैं कि एनडीए नेता ओमप्रकाश राजभर ने जो मंच साझा किया है, वह एनडीए प्रत्याशी की जीत को सुनिश्चित करने के लिए किया है. उन्होंने एनडीए को मजबूत करने के लिए मंच को साझा किया है. इससे विपक्ष में हडकंप मचा हुआ है तो उसमें दूसरा कोई क्या कर सकता है? हर कोई अपने गठबंधन को मजबूत करता है. अपने गठबंधन को जीत के लिए मंजिल तय करता है. ओमप्रकाश राजभर ने रामगढ से चुनाव लड़ रहे एनडीए प्रत्याशी की जीत को सुनिश्चित करने के लिए प्रचार किया है. एनडीए वहां से प्रचंड बहुमत से जीतेगा.

कुनबा बढ़े, यह बीजेपी की कोशिश

वरिष्ठ पत्रकार ध्रुव कुमार कहते हैं कि बीजेपी की लगातार कोशिश रही है कि उनका दायरा बढ़े. एनडीए सोची समझी रणनीति के तहत वह आगे बढ़ाने की कोशिश करती है, जिससे उनको चुनाव में सफलता मिले. वह कोशिश कर रहे हैं कि जो लोग उनसे छूटे हुए हैं. घटक दलों के साथ जो लोग नहीं है, किसी भी तरह से उनको जोड़ा जाए. अब तक के प्रयोग से बीजेपी ने इसे स्थापित किया है, जिसका लाभ भी दिखता है. हरियाणा और राजस्थान में बीजेपी ने इस तरह का प्रयोग किया. ऐसा ही प्रयोग अभी झारखंड में और बिहार के उपचुनाव में किया जा रहा है. यूपी से सटे हुए जो सीमावर्ती हैं, जहां राजभर वोटर हैं, वह अगर एनडीए, बीजेपी या बीजेपी के सहयोगी दलों से जुड़ते हैं तो उसका सीधा-सीधा लाभ उपचुनाव में मिलने की संभावना है. इसी कोशिश के तहत नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी लगातार ऐसे काम कर रही है.

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