देश- पहले चुनाव से ही तेजस्वी की मुसीबत बनने लगे प्रशांत किशोर, उपचुनाव में ऐसे बिगाड़ा गेम- #NA

तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर.

बिहार के उपचुनाव से सियासी दमखम दिखाने उतरे प्रशांत किशोर की पार्टी बुरी तरह पिट गई है. विधानसभा उपचुनाव की 4 में से 3 सीटों पर जनसुराज के उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई है. एक सीट पर तो पार्टी के उम्मीदवार चौथे नंबर पर पहुंच गए. पीके के साथ हुए इस सियासी खेल की बिहार से लेकर दिल्ली तक चर्चा है.

हालांकि, खुद बुरी तरह हारने वाले पीके ने उपचुनाव में तेजस्वी यादव को जरूर नुकसान पहुंचाया है. पीके की वजह से तेजस्वी के एक उम्मीदवार हार गए हैं तो दूसरे उम्मीदवार सियासी दांवपेच मे फंस गए हैं.

चारों सीट पर पीके के उम्मीदवार हारे

तराड़ी सीट पर प्रशांत किशोर ने किरण सिंह को उम्मीदवार बनाया था. किरण यहां पर सिर्फ 5622 वोट ला पाईं. बीजेपी के विशाल प्रशांत ने इस सीट से जीत हासिल की है. माले के उम्मीदवार यहां दूसरे नंबर पर रहे. 2020 के चुनाव में माले को यहां जीत मिली थी.

रामगढ़ सीट पर प्रशांत किशोर ने सुशील कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन सुशील यहां लड़ाई में भी नहीं दिखे. सुशील को इस सीट पर 6513 वोट मिले. बीजेपी के अशोक कुमार सिंह ने यहां से जीत हासिल की है.

ईमामगंज सीट पर प्रशांत ने जितेंद्र पासवान को खड़ा किया था. यहां से जीतन राम मांझी की बहू चुनाव लड़ रही थी. पीके के उम्मीदवार यहां जमानत बचाने में कामयाब रहे हैं. पीके उम्मीदवार को यहां पर करीब 35 हजार वोट मिले हैं.

बेलागंज सीट पर जेडीयू की मनोरमा देवी ने जीत हासिल की है. यहां पर पीके के उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे हैं. उन्हें सिर्फ 17 हजार वोट मिले हैं.

पीके ने सभी को पटकने का किया था दावा

इसी साल 2 अक्टूबर को जनसुराज लॉन्च करते हुए पीके ने दावा किया था कि बिहार के चुनाव से पहले ही सभी पार्टियों को पटखनी देंगे. पीके ने कहा था कि बिहार के उपचुनाव में सबको हराकर एक मैसेज देंगे. इसके बाद से ही पीके फील्डिंग में जुट गए थे.

प्रशांत खुद इन सीटों पर कैंपेन को लेकर मोर्चा खोले हुए थे. लगातार घूम-घूमकर प्रचार कर रहे थे. हालांकि, उनकी कवायद काम नहीं आई.

तेजस्वी यादव का खेल जरूर खराब हुआ

बिहार उपचुनाव के जो नतीजे आए हैं, उसमें प्रशांत किशोर के साथ-साथ आरजेडी को भी झटका लगा है. आरजेडी इस उपचुनाव में सीटिंग की 2 सीटें हार गई है. ईमामगंज में आरजेडी उम्मीदवार को करीब 6 हजार वोटों से हार मिली है. यहां पर पीके के उम्मीदवार को 35 हजार वोट मिले हैं.

इसी तरह बेलागंज में आरजेडी के विश्वनाथ सिंह 21 हजार वोट से हार गए हैं. यहां पीके के उम्मीदवार को करीब 18 हजार वोट मिले थे. पीके ने बेलागंज में मुस्लिम उम्मीदवार उतारा था.

सियासी मिजाज को समझने में चूक गए पीके

प्रशांत किशोर राजनीति में आने से पहले चुनावी रणनीतिकार थे. उन्हें सियासी समझ भी है, लेकिन बिहार के उपचुनाव में जिस तरह से उनकी पार्टी की दुर्गति हुई है. उससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या बिहार के सियासी मिजाज को समझने में पीके चूक गए?

बिहार की जिन 4 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, वो सभी सीटें दक्षिण बिहार की है. इनमें भोजपुर की तराड़ी, गया की ईमामगंज और बेलागंज और कैमूर की रामगढ़ सीट शामिल हैं.

अब आगे क्या करेंगे प्रशांत किशोर?

प्रशांत किशोर की नजर 2025 के विधानसभा चुनाव पर है. बिहार में अक्टूबर 2025 में विधानसभा की 243 सीटों पर चुनाव प्रस्तावित है. कहा जा रहा है कि पीके उपचुनाव के जरिए लिटमस टेस्ट करना चाह रहे थे.

आने वाले वक्त में जनसुराज की राजनीति में इसका असर देखने को मिल सकता है. पीके के उम्मीदवार इस बार वोटकटवा ही साबित हुए हैं. ऐसे में पीके अगली बार उम्मीदवारों के सिलेक्शन में भी सावधानी बरत सकते हैं.

Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link

Back to top button