सीजी- जमीन चली गई… कोई सुनता भी नहीं: कोरबा में 1084 दिनों से धरने पर बैठे किसान, कुसमुंडा खदान बंद करने की घोषणा – INA
छत्तीसगढ़ किसान सभा और रोजगार एकता संघ द्वारा एसईसीएल के खदानों से प्रभावित भू-विस्थापित किसानों की लंबित रोजगार मामलों के निराकरण की मांग को लेकर सीएमडी के नाम ज्ञापन सौंपकर कुसमुंडा खदान बंद करने की घोषणा की है। किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने कहा कि भू-विस्थापित रोजगार के लंबित प्रकरणों का निराकरण की मांग करते हुए थक गए हैं। विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दिए गए विस्थापित परिवारों की जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गई है।
40-50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन करने के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। विकास की जो नींव रखी गई है, उसमें प्रभावित परिवारों की अनदेखी की गई है। खानापूर्ति के नाम पर कुछ लोगों को रोजगार और बसावट दिया गया जमीन किसानों का स्थाई रोजगार का जरिया होता है। सरकार ने जमीन लेकर किसानों की जिंदगी के एक हिस्सा को छीन लिया है। भू विस्थापित किसानों के पास अब संघर्ष के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है।
पुराने लंबित रोजगार को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है और बिलासपुर मुख्यालय के साथ क्षेत्रीय महाप्रबंधक कार्यालय में हुए हर बैठक में केवल गुमराह करने और आंदोलन को टालने का काम अधिकारियों ने किया है, जिससे अक्रोशित भू-विस्थापितों ने किसान सभा के नेतृत्व में भू-विस्थापितों की समस्याओं को लेकर उग्र आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। भू-विस्थापित किसान 1084 दिनों से अनिश्चित कालीन धरना पर बैठे हैं। भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेता रेशम यादव, दामोदर श्याम ने कहा कि भू विस्थापितों को बिना किसी शर्त के जमीन के बदले रोजगार देना होगा और वे अपने इस अधिकार के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे।
एसईसीएल कुसमुंडा कार्यालय के सामने बैठक कर नारेबाजी करते हुए बड़ी संख्या में भू विस्थापित किसान एकजुट हुए भूविस्थापितों ने कहा की 21 अक्तूबर को कुसमुंडा खदान बंद आंदोलन में प्रभावित गांव के पीड़ित भू-विस्थापित परिवार सहित शामिल होंगे। इस बार समस्याओं के समाधान तक अनिश्चितकालीन आंदोलन होगा।