देश – फैमली बिजनेस से निकल पहुंचे दिल्ली विधानसभा, जानें कौन हैं आतिशी की टीम के नए साथी मुकेश अहलावत- #INA
आप नेता मुकेश अहलावत.
आतिशी ने दिल्ली में आज 8वीं मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली हैं. इनके साथ 5 मंत्रियों ने भी शपथ ली हैं. इन मंत्रियों में एक नाम मुकेश अहलावत का नाम भी शामिल है. कैबिनेट में ये एक नया चेहरा हैं. अहलावत में सुल्तानपुर से विधायक है. इन्हें आतिशी के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. अहलावत को मंत्री मंडल में जगह देकर आप ने एक राजनीतिक दांव भी चला है. इससे कैबिनेट में एक दलित चेहरे को जगह दी गई है.
हालांकि दलित चेहरे के रूप में दो और भी नाम थे. लेकिन उनकी जगह पहली बार विधायक बने मुकेश अहलावत को तवज्जो दी गई. इन्होंने पार्टी के टिकट पर सुल्तानपुर माजरा से पहली बार दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा था. और करीब 50 हजार वोटों से एक बड़ी जीत हासिल की थी. इनको आतिशी कैबिनेट में दलित कोटे से शामिल किया गया है. माना जा रहा है कि अहलावत के जरिए आप नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली को साधने की कोशिश में है. ऐसे में ये जानेंगे कि कैसे फैमली बिजनेस संभालने वाले अहलावत मंत्री बन गए.
पिता के बिजनेस से दिल्ली के मंत्री तक
मुकेश अहलावत का जन्म 8 नवंबर 1975 में हुआ था. इन्होंने दिल्ली में ही अपनी पढ़ाई पूरी की. इसके बाद से ही ये अपने पिता के बिजनेस संभालने लगे. साल 2012 के बाद इन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया. इस नए चेहरे पर पहले तो किसी पार्टी ने दांव नहीं लगाया. लेकिन अहलावत लगातार क्षेत्र में खुद को मजबूत करने की कोशिश में लगे थे. साल 2013 में अहलावत ने बसपा का दामन थामा और बसपा सुप्रीमो मायावती की पार्टी से ये विधानसभा के चुनावी में कूद गए. हालांकि पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे अहलावत को हार का सामना करना पड़ा.
अहलावत हार के बाद भी अपने क्षेत्र में सक्रिय रहें. लोगों के बीच में अपनी पैठ बनाते रहे. इसके बाद इन्होंने आम आदमी पार्टी का दामन थामा और 2020 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर पूरी ताकत के साथ केजरीवाल की पार्टी से चुनाव लड़ा. इस बार अहलावत की मेहनत रंग लाई और इस बार सुल्तानपुर की जनता ने उनको दिल्ली की विधानसभा में जाने का मौका दे दिया. केजरीवाल सरकार में ये मात्र विधायक थे. लेकिन आतिशी की कैबिनेट में अहलावत को मंत्री की शपथ दिलाई गई है.
अहलावत ही क्यों बने मंत्री
दरअसल नॉर्थ वेस्ट दिल्ली का ये इलाका दलित बाहुल्य क्षेत्र हैं. नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली में विधानसभा की कुल 10 सीटें हैं. इनमें से 3 दलितों के लिए आरक्षित हैं. पिछले चुनाव में 10 में से 9 सीटों पर आम आदमी पार्टी को जीत मिली थी, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस गठबंधन को यहां एक बड़ा झटका लगा था. नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली में आप और कांग्रेस की करारी हार हुई. 10 विधानसभा वाले इस क्षेत्र में 9 विधामसभा में इस गठबंधन को हार मिली थी. सिर्फ 1 ही सीट पर बढ़त हासिल मिली थी, वो मुकेश अहलावत की सुलतानपुर माजरा सीट ही थी.
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