देश – संसद में कांग्रेस का वार, कार्यवाही स्थगित होने पर सरकार क्यों कुछ नहीं कर रही?- #INA

पांचवें दिन भी स्थगित हुई संसद की कार्यवाही

संसद में शीतकालीन सत्र का आज शुक्रवार का दिन भी बर्बाद हो गया. संसद की कार्यवाही कुछ ही मिनटों में स्थगित कर दी गई. विपक्ष के नेताओं ने सदन में अडाणी, मणिपुर और संभल हिंसा और बांग्लादेश के चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी सरकार का जमकर घेराव किया. विपक्षी नेताओं ने कहा कि वो अडाणी के मामले में सदन में प्रस्ताव लाना चाहते हैं, जिस पर राज्यसभा के सभापति ने नाराजी भी जाहिर की और कहा कि विपक्ष मुद्दे से भटक रहा है. कांग्रेस ने संसद में जारी गतिरोध को लेकर सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि रहस्य की बात है कि सरकार संसद में कार्यवाही स्थगित होने को रोकने के लिए क्यों कुछ नहीं कर रही है?

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि मोदानी मामले पर संसद का एक और दिन यूं ही समाप्त हो गया. आज भी दोनों ही सदन की कार्यवाही कुछ ही मिनट बाद स्थगित हो गयी. रहस्य की बात है कि सरकार स्थगन को रोकने के लिए कुछ कर क्यों नहीं रही है? इसके विपरीत वह विशेष रूप से मोदानी और मणिपुर, संभल एवं दिल्ली की कानून-व्यवस्था को लेकर इंडिया गठबंधन की पार्टियों की आक्रोश को बढ़ावा दे रही है.

संसद 2 दिसंबर तक स्थगित

लोकसभा में भी संसद की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया. अब 2 दिसंबर को लोकसभा का अगला सत्र शुरू होगा. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच शुक्रवार को कहा कि देश की जनता सांसदों और संसद के बारे में चिंतित है तथा वह चाहती है कि सदन की कार्यवाही चले. उन्होंने यह टिप्पणी प्रश्नकाल के दौरान विपक्षी सदस्यों से सदन की बैठक चलने देने की अपील करते हुए की.

राज्यसभा में जगदीप धनखड़ क्या बोले?

समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जॉन ब्रिटास और ए ए रहीम सहित कुछ अन्य सदस्यों ने उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था. जबकि, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के तिरूचि शिवा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के पी संदोष कुमार सहित कुछ अन्य सदस्यों ने मणिपुर में जारी हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था.

सभापति धनखड़ ने सभी नोटिस अस्वीकार करते हुए कहा कि सदस्य इन मुद्दों को रोज उठा रहे हैं और इस वजह से हुए हंगामे के चलते सदन के तीन कार्य दिवस बर्बाद हो गए. धनखड़ ने बताया कि आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने दिल्ली में अपराध के बढ़ते मामलों पर चर्चा के लिए नोटिस दिया जबकि, उन्हीं की पार्टी के राघव चड्ढा ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार और इस्कॉन मंदिर के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था.

उन्होंने कहा कि सदस्य सदन की कार्यवाही बाधित करने के लिए नियम 267 को हथियार बना रहे हैं. उन्होंने सदस्यों के आचरण पर नाराजगी जताते हुए उनको आत्ममंथन करने की भी सलाह दी. सभापति की इस टिप्पणी पर विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए हंगामा शुरु कर दिया. इससे पहले कि हंगामा और तेज होता, धनखड़ ने 11 बजकर 13 मिनट पर सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी. अब उच्च सदन की कार्यवाही आगामी सोमवार यानी दो दिसंबर को आरंभ होगी.

क्या कहता है नियम 267?

नियम 267 राज्यसभा सदस्य को सभापति की मंजूरी से सदन के पूर्व-निर्धारित एजेंडे को निलंबित करने की विशेष शक्ति देता है. अगर किसी मुद्दे को नियम 267 के तहत स्वीकार किया जाता है तो इससे पता चलता है कि यह आज का सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दा है.

राज्यसभा की नियम पुस्तिका में कहा गया है, कि कोई भी सदस्य सभापति की सहमति से यह प्रस्ताव कर सकता है. वह प्रस्ताव ला सकता है कि उस दिन की परिषद के समक्ष सूचीबद्ध एजेंडे को निलंबित किया जाए. अगर प्रस्ताव पारित हो जाता है तो विचाराधीन नियम को कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाता है.

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