J&K – J&K: दो मुख्यमंत्री देने वाली सीट बिजबिहाड़ा, यहां खानदानों में मुकाबला; तीनों प्रत्याशियों का प्रचार लाइव – #NA

कश्मीर को दो सीएम देने वाली सीट। सेब-अखरोट का गढ़…और चिनार के सबसे ऊंचे, सबसे बूढ़े और सबसे ज्यादा दरख्तों के कारण चिनार टाउन कहलानेवाला बिजबिहेड़ा। इन चुनावों की सबसे मशहूर और मुश्किल सीट। वैसे तो यह मुफ्ती परिवार का गृहनगर है। 1996 से इस सीट पर पीडीपी का कब्जा है। पर यहां मुकाबला परिवार बनाम परिवार है। एक ओर मुफ्ती मोहम्मद सईद की नातिन इल्तिजा मुफ्ती उम्मीदवार हैं, तो दूसरी ओर मुफ्ती मोहम्मद सईद को हरा चुके अब्दुल गनी के बेटे बशीर नेशनल कॉन्फ्रेंस से। दोनों में कांटे का मुकाबला है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं। खास बात यह है कि अब्दुल रहमान वीरी चार बार पीडीपी से जीते, मगर इल्तिजा के लिए उन्हें उन्हें दूसरी सीट पर भेज दिया गया। उपमिता वाजपेयी की रिपोर्ट…


इल्तिजा के भाषण में मां की बहादुरी के किस्से के साथ ही नाना के किए कामों की लिस्ट भी
गांव की गली से निकलकर महिलाओं ने बिजबिहेड़ा के गांव पुष्क्रिरी की बड़ी सड़क पर जमघट लगा लिया है। वो कैमरे को देखकर कश्मीरी गाना गाने लगती हैं। उनके हाथ में ढोलकी जैसा कश्मीरी वाद्य तुंबकनार भी है। एक बच्ची उस पर थाप दे रही है। इल्तिजा मुफ्ती सनरूफ वाली कार में चौराहे पर पहुंचती हैं। महिलाओं को गाता देख वह उनकी धुन से मैच करती हुई तालियां बजाने लगती हैं। बुजुर्ग उनकी गाड़ी के पास जाकर दुआएं पढ़ते हैं। औरतें उनका हाथ चूमने लगती हैं। इल्तिजा कार से उतरकर पास के मकान की छत पर खड़ी हो जातीं हैं और गांववाले नीचे उनकी ओर मुखातिब। पीडीपी के स्थानीय नेता पार्टी, मुफ्ती परिवार, महबूबा मुफ्ती और इल्तिजा की तारीफों से सना भाषण देने लगते हैं। सीबीआई का जिक्र आता है। अफजल गुरु की फांसी का। हुर्रियत का। आसिया-निलोफर के साथ हुए दुष्कर्म का भी।


अब माइक इल्तिजा के हाथ आता है। वह कश्मीरी में भाषण शुरु करती हैं। बमुश्किल 4-5 शब्दों के बाद उर्दू-हिंदी बोलने लगती हैं। कहती हैं, मैं आप लोगों के लिए काम करना चाहती हूं। दूसरी जमात (पार्टी) वाले टाइम पास के लिए आए हैं। उन्होंने आपके लिए कुछ किया? सड़क बनाई? नौकरी दी? यूनिवर्सिटी बनाई?

इल्तिजा कहती हैं, मैं आपकी बहन हूं, बेटी हूं, महबूबा को महबूबा मुफ्ती आपने बनाया। लोग कहते हैं आपकी मां शेर है और शेर का बच्चा शेर है। उनके भाषण में मां की बहादुरी के किस्से भी हैं और नाना के किए कामों की लिस्ट भी। वह कहती हैं मुफ्ती साहब के बाकी बचे काम मुझे करना है। मुफ्ती साहब ईमानदार थे। श्रीनगर में हमारा एक घर तक नहीं। जबकि बाकी नेताओं का एक घर लंदन में, दो दिल्ली में हैं।

इल्तिजा भावुक हो जाती हैं, तो बोलती हैं, मुफ्ती साहब आपको बहुत याद आते हैं, मुझे भी आते हैं। मैं आपका उनकी तरह ख्याल रखूंगी। आर्मी आकर हमारे बच्चों को उठाती थी, तो महबूबा जी आपको बचाती थीं। आज भी पकड़-धकड़ का माहौल है। मैं आपको उससे बचाऊंगी, इंशाअल्लाह…भाषण खत्म भी नहीं हुआ था कि नारे लगने लगे…जब आएंगी मुफ्ती, तो खत्म होगी सख्ती। और आखिर में इल्तिजा कहती हैं, किसी और नेता की गलती की सजा मुझे मत देना। मैं ही आपकी अगली एमएलए हूं।


प्रचार में औरतों को पैसे देकर बुलाती हैं इल्तिजा- सोफी यूसुफ, भाजपा
भाजपा पहली बार कश्मीर के किसी चुनावी नक्शे का हिस्सा बनी है। प्रत्याशी घर-घर प्रचार कर रहे हैं। भगवा ध्वज की मोहल्लों में मौजूदगी है। भाजपा का झंडा लगी गाड़ियां गलियों में दौड़ रही हैं। सोफी यूसुफ जैसे ही टाउन के सीकाफ मोहल्ले में पहुंचते हैं, लोग उन पर टॉफियां लुटाते हैं। कश्मीर में किसी के स्वागत करने की यही प्रथा है। दूल्हे का भी ऐसा ही स्वागत होता है। भाजपा के झंडे को मास्क की तरह मुंह पर बांधा एक कार्यकर्ता भीड़ में सबसे . चल रहा है। नारे लग रहे हैं, एनसी-पीडीपी ना भाई ना। सोफी के भाषण में केंद्र सरकार की योजनाओं की कहानी है। वह पीएम मोदी का नाम लेते हैं। अमित शाह, राजनाथ सिंह का भी जिक्र करते हैं। कहते हैं आप सियासत को बदल दो, मैं शाह-राजनाथ को यहां ला सकता हूं। वह हमारे बच्चों को फोर्स में नौकरियां देंगे।


सोफी भीड़ से पूछते हैं-बताओ अब वो संगबाज (पत्थरबाज) कहां हैं? हुर्रियत के हड़ताल वाले कैलेंडर कहां हैं? परिवारवाद का हवाला देते हुए कहते हैं दोनों पार्टियों ने सब अपने रिश्तेदारों को दिया। वह कहते हैं, इल्तिजा प्रचार में किराये पर औरतों को ले जाती हैं, लेकिन वो औरतें वोट भाजपा को ही देंगी। कश्मीर में भाजपा के सबसे बड़े प्रत्याशी सोफी के भाषण का आधा हिस्सा अमन-चैन है। वह अपनी बात खत्म करने के बाद नारा भी यही लगाते हैं-अमन पसंद लोग जिंदाबाद, जिंदाबाद।


अनुभव नहीं, जीपीएस लेकर घूमती है कश्मीर में- डॉ. बशीर वीरी, नेशनल कॉन्फ्रेंस
डॉ. बशीर वीरी के पिता अब्दुल गनी शाह वीरी दो बार मुफ्ती मोहम्मद सईद को यहां से हरा चुके हैं। वह शेख अब्दुल्ला के खासमखास से भी खास रहे हैं और 4 बार यहां से एमएलए बने। इस बार अब्दुल वीरी के बेटे बशीर वीरी को भी भरोसा है, वह इल्तिजा को हरा देंगे।  वह कहते हैं, इल्तिजा बच्ची है, अनुभव नहीं है, कश्मीर में घूमती है तो जीपीएस लेकर। उसे क्या मालूम बिजबिहेड़ा और कश्मीर की सियासत के बारे में। बशीर वीरी के मुताबिक इल्तिजा की वालिदा ने सियासी कॅरिअर बनाने के लिए बिजबिहेड़ा का इस्तेमाल किया। वह समझते हैं, यहां उनका खानदानी राज है।

बशीर नेशनल कॉन्फ्रेंस व कांग्रेस के सीट शेयरिंग वाले उम्मीदवार हैं। मगर इस सवाल पर कि-क्या कश्मीर के युवाओं पर राहुल गांधी की राजनीति का असर होगा, कहते हैं-यहां के लोगों को सिर्फ कश्मीर के राजनेता चाहिए। राहुल भीड़ जुटा सकते हैं, लोग उन्हें देखने जा सकते हैं, लेकिन भीड़ वोट में शायद ही बदले।

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