J&K – J&K Election Result 2024: बेरोजगारी से लेकर एलजी की शक्तियों तक, जम्मू-कश्मीर चुनाव में ये रहे चुनावी मुद्दे – #NA

Jammu and Kashmir Election Result: जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों पर मतगणना जारी है। कई सीटों पर रूझान आ चुका हैं। जम्मू कश्मीर में तीन चरणों 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्तूबर को मतदान हुआ था। इस बार चुनावी मैदान में भारतीय जनता पार्टी (BJP) , कांग्रेस+नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन और पीडीपी समेत कई क्षेत्रीय पार्टियां हैं।


पीएम मोदी और राहुल गांधी हैं लोगों की पसंद
प्रधानमंत्री के रूप में 45 फीसदी की पहली पसंद नरेंद्र मोदी हैं। लेकिन वहीं दूसरी तरफ 14 फीसदी ने विकास, 20 फीसदी ने महंगाई, 5 फीसदी लोगों ने भ्रष्टाचार और एक-एक फीसदी ने कानून व्यवस्था समेत किसान मुद्दे को बड़ा मुद्दा बताया है। जम्मू-कश्मीर में 45 फीसदी लोगों की प्रधानमंत्री के तौर पर पहली पसंद अब भी मोदी ही हैं। जबकि 35 फीसदी लोगों की पहली पसंद राहुल गांधी हैं। 


इन मुद्दो पर है जम्मू कश्मीर का चुनाव
जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव में भाजपा का पूरा प्रचार कांग्रेसे-नेकां का पाकिस्तान के साथ संबंध, परिवारवाद और लोगों के साथ झूठे वायदे करने पर रहा। वहीं कांग्रेस-नेकां ने जम्मू-कश्मीर से पूर्ण राज्य का दर्जा छीनने, बेरोजगारी बढ़ने, दरबार मूव को बंद करने और दस वर्ष तक जम्मू-कश्मीर की उपेक्षा करने के आरोप लगाए। मुख्य मुद्दों में अनुच्छे 370, राज्य का दर्जा, राज्यपाल की शक्तियां, जमीन का मालिकाना हक और बेरोजगारी शामिल रहे।


10 साल बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 10 साल बाद हुए हैं। इस बीच राज्य के माहौल और सियासत ने अनेक करवटें ली हैं। इन्हीं दस वर्षों में अनुच्छेद-370 और 35ए की विदाई हुई, तो राज्य एक विधान-एक निशान और एक संविधान के संकल्प से जुड़ा। इन्हीं दस वर्षों में राज्य ने धुर विरोधी विचारधारा वाले दलों भाजपा व पीडीपी को हाथ मिलाकर सरकार बनाते और चलाते देखा। पूर्ण राज्य से केंद्रशासित प्रदेश और राज्यपाल से उप राज्यपाल तक के शासन की यात्रा भी इसी कालखंड का हिस्सा है।


चुनावी साल में जम्मू-कश्मीर का हाल
जम्मू-कश्मीर के मतदाता नई उम्मीदों और आकांक्षाओं के साथ जब नई सरकार चुनने को तैयार हैं, यह चुनाव पिछले 10 वर्षों में राज्य के बदलावों और विकास के दावों की परीक्षा भी लेगा। इन चुनावों का असर सिर्फ देश तक ही सीमित नहीं रहने वाला है। पड़ोस में पाकिस्तान और बांग्लादेश में जब लोकतांत्रिक सरकारों के तख्तापलट का दौर चल रहा है, तब लोकसभा चुनाव के तीन महीने के अंदर जम्मू-कश्मीर के ये चुनाव बड़े अहम हो गए हैं। इन चुनावों से न सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय जगत में देश की प्रतिष्ठा बढ़ेगी, बल्कि आंतरिक रूप से अस्थिर पड़ोसियों के लिए बड़ा सबक भी होगा। 

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