खबर शहर , UP: मुरादाबाद जिले में बिना फायर एनओसी के चल रहे 446 अस्पताल, 503 में से सिर्फ 57 के पास आग से बचाव के इंतजाम – INA

विस्तार

Follow Us



मुरादाबाद जिले में यूं तो तमाम अस्पताल चल रहे हैं, लेकिन 503 सीएमओ कार्यालय में पंजीकृत हैं। इनमें भी सिर्फ 57 के पास ही फायर एनओसी है। बाकी सब भगवान भरोसे और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहे हैं। यहां तक कि महिला अस्पताल के पास भी फायर की एनओसी नहीं है। राष्ट्रीय राजधानी के न्यू बॉर्न बेबी केयर अस्पताल में आग के कारण कई मासूम बच्चों की मौत हाल ही में हुई है।


इसके बावजूद जिला स्तर पर अस्पतालों में आग से बचाव के इंतजामों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। महिला अस्पताल की बात करें तो कोरोना के समय एमसीएच विंग को फायर एनओसी मिल गई थी। जबकि महिला अस्पताल में इंतजाम अधूरे थे। इसके बाद अब तक महिला अस्पताल को एनओसी नहीं मिली है।


जबकि अस्पताल के एसएनसीयू में हर दिन औसतन 14 मासूम भर्ती रहते हैं। जिन्हें जन्म के बाद कम वजन, पीलिया, सांस लेने में तकलीफ या अन्य गंभीर समस्या होती है। उन बच्चों को एसएनसीयू में रखा जाता है। अस्पताल में एसएनसीयू के पास लगे अग्निशमन यंत्रों की एक्सपायरी डेट भी निकल चुकी है।
.


सवाल : बिना एनओसी कैसे पंजीकृत हो गए 446 अस्पताल
अग्निशमन विभाग के आंकड़े के मुताबिक जिले में सिर्फ 57 अस्पतालों के पास ही फायर एनओसी है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि बिना एनओसी 446 अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन कैसे हो गए। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस पर बहाने गिना रहे हैं। उनका कहना है कि 15 मीटर से कम ऊंचाई वाले अस्पतालों पर फायर एनओसी अनिवार्य नहीं है।

जबकि अग्निशमन विभाग के मुताबिक बहुमंजिला इमारत, स्कूल-कॉलेज, सरकारी विभाग या फिर अस्पताल हों, सभी के लिए फायर एनओसी लेना जरूरी है। नेशनल बिल्डिंग कोड के तहत सुरक्षा की दृष्टि से यह बेहद जरूरी है लेकिन इसी की अनदेखी की जाती है।


अस्पतालों के लिए ये होते हैं मानक
1000 वर्ग मीटर एरिया और 15 मीटर ऊंचाई तक बेड वाले अस्पतालों में अग्निशामक यंत्र, मैन्युअल इलेक्ट्रिक फायर अलार्म सिस्टम, स्प्रिंकलर सिस्टम (बेसमेंट हो तो), पानी टैंक क्षमता 5000 लीटर और 450 एलपीएम क्षमता का पंप। वहीं 1000 वर्ग मीटर एरिया और 15 मीटर तक ऊंचाई तक बिना बेड वाले अस्पतालों में अग्निशामक यंत्र, हौजरील, मैन्युअल इलेक्ट्रिक फायर अलार्म सिस्टम, स्प्रिंकलर सिस्टम (बेसमेंट हो तो), दो टैंक क्षमता पांच-पांच हजार लीटर और 450 एलपीएम क्षमता के दो पंप।
.


डबल स्टोरी अस्पताल 
वेटराइजर, ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर सिस्टम, ऑटोमेटिक स्मॉग डिटेक्शन अलार्म, 75 हजार लीटर का अंडरग्राउंड टैंक, 10 हजार लीटर का टेरिस टैंक, 1620 एलपीएम का एक डीजल, एक इलेक्ट्रिक और 180 एलपीएम का एक जॉकी पंप और अग्निशामक यंत्र। 15 मीटर से 24 मीटर तक ऊंचाई वाले अस्पतालों में अग्निशामक यंत्र, हौजरील, वेटराइजर, यार्ड हाईड्रेंट, ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर सिस्टम, मैनुअल और ऑटोमेटिक स्मॉग डिटेक्शन अलार्म सिस्टम, 1.5 लाख लीटर क्षमता का अंडर ग्राउंड वाटर टैंक, 20 हजार लीटर क्षमता का टैरिस टैंक, 2280 एलपीएम क्षमता के एक इलेक्ट्रिक और एक डीजल पंप के अलावा 180 एलपीएम के दो जॉकी पंप। यदि ऊंचाई 24 से 45 मीटर हो तो उसमें टैंक की और पंप की क्षमता बढ़ जाती है।


अपेक्स व साईं अस्पताल में चेकिंग
दिल्ली की घटना के बाद अग्निशमन विभाग ने साईं अस्पताल व अपेक्स अस्पताल में आग से बचने के इंतजामों का जायजा लिया। अस्पतालों में लगा फायर सेफ्टी सिस्टम चला कर देखा गया। जोकि सही पाया गया। अग्निशमन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रोज अस्पतालों में जाकर चेकिंग की जाएगी। जिस अस्पताल के पास नियमानुसार आग से बचाव की व्यवस्थाएं नहीं होंगी। उसके संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मुख्य अग्निशमन अधिकारी केके ओझा मौजूद रहे।


राजधानी के अस्पताल में आग के बाद जागा प्रशासन 
दिल्ली के अस्पताल में आग लगने के बाद आखिरकार जिला प्रशासन जाग गया है। जिगर मंच व आसपास के क्षेत्र में लगी प्रदर्शनी में अग्नि सुरक्षा के लिए अग्निशमन विभाग को सोमवार को पत्र भेजा गया। इसमें कहा गया कि कंपनी बाग में प्रदर्शनी का आयोजन हो रहा है। इसके लिए दमकल की गाड़ियां मौके पर सुरक्षा की दृष्टि से तैनात की जाएं। अग्निशमन विभाग ने प्रशासन के पत्र के बाद गाड़ियां तैनात कर दी हैं।


शासन के नियमानुसार 50 बेड से ज्यादा वाले सभी अस्पतालों के पास फायर एनओसी है। हम नए रजिस्ट्रेशन बिना मौके पर निरीक्षण किए नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा अभियान चलाकर सभी अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के इंतजाम चेक किए जाएंगे। जहां कमी मिलेगी नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। – डॉ. नरेंद्र चौधरी, डिप्टी सीएमओ

हमारे विभाग की ओर से 57 अस्पतालों को फायर एनओसी प्रदत्त है। अन्य अस्पतालों, भवनों, शिक्षण संस्थानों को समय समय पर नोटिस भी जारी किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग को भी कई बार नोटिस भेजा गया है कि बिना एनओसी किसी का रजिस्ट्रेशन न करें। – ज्ञान प्रकाश शर्मा, अग्निशमन अधिकारी


Credit By Amar Ujala

Back to top button