देश – बाइक की कीमत 30 हजार भी नहीं और चालान 1.42 लाख रुपये, जानिए कैसे हो गए इतने चालान – #NA
Ghaziabad News :
भोजपुर ब्लॉक त्यौड़ी गांव निवासी बिजेंद्र अपनी पुरानी बाइक से परेशान हैं। ऐसा नहीं है कि उसके चलने में कोई दिक्कत आ रही है और न ही ऐसी कोई बात है कि बाइक से हादसा होने के कारण उसे मनहूस माना जा रहा है। बात यह है कि इस बाइक पर 1.42 लाख रुपये के चालान हैं। अब बाइक की कीमत बची है 30 हजार रुपये से भी कम। तो उस बाइक पर कटे 1.42 लाख रुपये के चालान वे भुगतें भी तो कैसें। एक बाइक पर इतने चालानों की बात आसपास के गांवों में ही बल्कि पूरे जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है।
चार साल पहले खरीदी बाइक रह गई 30 हजार की
बिजेंद्र ने बताया कि उन्होंने करीब चार साल पूर्व यह बाइक 62 हजार रुपये में खरीदी थी, बेचने गए तो पता चला कि बाइक की कीमत गिरकर आधी भी नहीं रह गई। ऊपर से शोरूम वाले ने 1.42 लाख रुपये के चालान बताकर और जान सुखा दी। बिजेंद्र कान दबाकर अपनी बाइक वापस गांव ले गए। फिलहाल वे बाइक को बेचना भूलकर इस उधेड़ बुन में लगे हैं कि बाइक पर कटे चालान कैसे भुगते जाएंगे। क्योंकि चालान भुगते बिना न तो कोई बाइक को खरीदेगा और न ही आरटीओ से बाइक बेचने के लिए अनापत्ति मिलेगी।
चालान कटने की कभी भनक तक नहीं लगी
बिजेंद्र को इतने सारे चालान कटने की भनक भी तो नहीं लगी। वह कहते हैं कि न तो मुझे यह याद है कि कभी ट्रैफिक रूल्स का उल्लंघन किया हो। किसी पुलिस वाले कभी मुझे रोका भी नहीं और फोटो खींचकर चालान भेजा हो तो मुझे कभी फोटो खींचे जाने का भी पता नहीं चला। पता नहीं कैसे इतने सारे चालान कट गए। घर पर भी आज कोई कागज नहीं पहुंचा। हालांकि बिजेंद्र ने आरटीओ में जो मोबाइल नंबर दे रखा था, वह अब उनके पास नहीं है।
डीएमई के छह चालानों की रकम ही पहुंच गई 1.20 लाख
जानकारी करने पर बिजेंद्र को पता चला कि छह बार तो उनका चालान दिल्ली- मेरठ एक्सप्रेस-वे (डीएमई) पर ही कटा है। दरअसल डीएमई पर दो पहिया वाहनों की एंट्री बैन है। पुलिस कई बार अभियान चलाकर डीएमई पर जाने वाले दो पहिया वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई करती है, इसके अलावा डीएमई पर लगे कैमरे भी यह काम करते रहते हैं। एक बार में दो पहिया वाहन का 20 हजार रुपये का चालान है। 1.20 लाख रुपये के चालान तो डीएमई के ही हो गए। इसके अलावा मोदीनगर और भोजपुर के भी छोटे -मोटे चालान है।
कहां हुई चूक
बिजेंद्र ने बाइक खरीदे समय जो मोबाइल नंबर शोरूम पर दर्ज कराया था, वह नंबर कुछ दिन बाद बंद हो गया। बाद में उन्होंने दूसरा मोबाइल नंबर ले लिया। बस बिजेंद्र से यही चूक हो गई, नहीं चालान की राशि इतनी न पहुंचती, क्योंकि चालान की उन्हें जानकारी मिलती रहती और डीएमई पर एक बार 20 हजार रुपये का चालान भरकर वह दुबारा तो बाइक लेकर डीएमई पर जाने की गलती ना करते।
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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
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