यूपी – भूमि अधिग्रहण घोटाला: घपलेबाजों को सता रहा सीबीआई का खौफ, 70 अफसरों-कर्मियों पर गिर सकती है गाज – INA

भूमि अधिग्रहण घोटाले के आरोपियों को अब सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) का खौफ सता रहा है। बचाव के लिए वे कानूनी सलाह ले रहे हैं। वहीं, इस मामले में कई बड़े अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है। निलंबन, एफआईआर और बर्खास्तगी तक की कार्रवाई हो सकती है। मामला केंद्र सरकार से सीधा जुड़ा है और प्रमुख सचिव को भी जांच के लिए पत्र लिखा गया है। केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार तक इस मामले पर नजर गड़ाए बैठी हैं।

बरेली-सितारगंज हाईवे के लिए भूमि अधिग्रहण में घोटाला सामने आने के बाद एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव कुमार शर्मा और परियोजना निदेशक बीपी पाठक का निलंबन हो चुका है। मामले की प्रारंभिक जांच में अभी 50 करोड़ रुपये का कंस्ट्रक्शन घोटाला ही सामने आया है।

सूत्रों की माने तो 20 करोड़ का अन्य घोटाला भी पकड़ा जा चुका है, जिसको अभी उजागर नहीं किया गया है। जांच अधिकारियों का अनुमान है कि कंस्ट्रक्शन का घोटाला ही 200 करोड़ से ऊपर का है। भूमि अधिग्रहण का ग्रैंड घोटाला बाकी है। इन सबके बीच चर्चा है कि जल्द ही रिपोर्ट दर्ज कर जांच सीबीआई को दी जा सकती है। इसके बाद से घपलेबाज बचाव का रास्ता तलाश रहे हैं।


दिल्ली तक जुड़े घोटाले के तार
भू-अधिग्रहण घोटाले के तार दिल्ली तक जुड़े होने का अंदेशा है। मूल्यांकन में फर्जीवाड़े से जुड़े पुराने अभिलेख खंगाले जा रहे हैं। इसमें लोक निर्माण विभाग, एनएचएआई और एनएचएआई से जुड़ी आउटसोर्स एजेंसी के अधिकारी-कर्मचारी फंस रहे है। सूत्रों का कहना है कि घोटाले के पीछे स्थानीय ही नहीं, दिल्ली तक के ऐसे अफसर व नेता शामिल थे, जिन्हें पहले से पता होता है कि एनएचएआई का हाईवे कहां से कहां तक बनने वाला है। 

ये अधिकारी और नेता करीबियों को जमीन खरीद कराते हैं और फिर परियोजना से जुड़े अधिकारियों के माध्यम से अधिक मूल्यांकन कराके सरकारी खजाने को चूना लगाते हैं। दिल्ली एनसीआर में ऐसे मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। रुद्रपुर और लखनऊ के जिन लोगों ने हाईवे के किनारे जमीन खरीद कर अधिक मुआवजा प्राप्त किया है, उनके तार भी दिल्ली से जुड़े हैं। एक नेता और कुछ अधिकारियों का नाम आ रहा है। 


70 अफसरों-कर्मियों पर गिर सकती है गाज
मामले में 70 लोगों पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है। इसमें 10 से अधिक एक्सईएन, सात प्रशासनिक अधिकारी और 40 से अधिक लेखपाल-तहसीलदार शामिल हैं। इनमें से कई का तो दूसरे जिलों में तबादला हो चुका है। सबका ब्योरा जुटाया जा रहा है। 

हड़बड़ी में कई सुराग छोड़ रहे घोटालेबाज
हड़बड़ी में घोटालेबाज कई सुराग भी छोड़ रहे हैं। इसका फायदा जांच टीम को हो रहा है। सूत्रों की माने तो अब तक की जांच में एनएचएआई के अधिकारी 150 करोड़ के घोटाले तक पहुंच गए हैं। इसकी रिपोर्ट जल्द ही केंद्र सरकार को भेजी जानी है।


घोटाले से जुड़े छह भूमि अधिग्रहण पीलीभीत में हुए
घोटाले से जुड़े छह भूमि अधिग्रहण पीलीभीत के हैं। ये सभी अधिग्रहण वर्ष 2023 में हुए। तब पीलीभीत के लिए अलग से विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी की नियुक्ति नहीं थी। बरेली के विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी के पास कार्यभार था। पीलीभीत में रिकॉर्ड खंगाले गए तो यह स्थिति सामने आई। वर्ष 2020 में परियोजना शुरू हुई। वर्ष 2021 में विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी नामित किए। 

जनवरी 2023 तक बरेली के विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी के पास ही पीलीभीत का कार्यभार था। तब पीलीभीत जिले के भूमि अधिग्रहण और मूल्यांकन संबंधी प्रस्ताव बरेली ही भेजे जाते थे। अब खुलासा हो रहा है कि जिन मामलों में फर्जीवाड़ा सामने आया है, वह पुराने हैं। इनका रिकॉर्ड भी अब बरेली में नहीं है। बरेली के विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी ने बताया कि पहले ही सारे रिकॉर्ड पीलीभीत भेजे जा चुके हैं। अब शासन स्तर से जांच होने पर ही स्पष्ट होगा कि कहां क्या गड़बड़ी हुई है? 


Credit By Amar Ujala

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