खबर शहर , भूमि अधिग्रहण घोटाला: मुआवजा हड़पने के लिए कारोबारियों ने खरीदे कई भूखंड, NHAI की जांच में बड़ा खुलासा – INA

एनएचएआई से मोटा मुआवजा हड़पने के लिए बरेली-सितारगंज हाईवे के किनारे विभिन्न गांवों में कारोबारियों ने कृषि योग्य भूखंडों का सौदा किया। कई कारोबारी ऐसे भी हैं, जिन्होंने कई गांवों में भूखंडों का सौदा किया। एनएचएआई की जांच में यह खुलासा हुआ है। ऐसे कारोबारियों के नाम के साथ गांव और गाटा संख्या भी उजागर हो गई है। जमीन खरीदने वाले ये कारोबारी लखनऊ, रुद्रपुर, दिल्ली आदि शहरों के हैं। इनका उक्त गांवों से कोई वास्ता नहीं।  

जांच रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक 11 कृषि योग्य भूखंड भगवानदास के नाम पर हैं। पूर्व में एनएचएआई की ओर से जारी मुआवजा लेने वालों की सूची में भगवानदास का नाम नहीं था।  इसके अलावा रामेश्वर दयाल, हिमांशु सिंघल समेत अन्य कारोबारियों के नाम भी कई भूखंड पाए गए हैं। इन सभी ने कृषि योग्य भूखंडों को व्यावसायिक और आवासीय दर्शाकर अधिग्रहण के बदले करोड़ों मुआवजा ले लिया।

सूत्रों के मुताबिक इन पर धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराने की तैयारी है। बताया यह भी जा रहा है कि इन कारोबारियों के नाम पर कई ऐसे जगह भी भूखंड हैं, जहां एनएचएआई के प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं या अभी चल रहे हैं। जैसे-जैसे जांच . बढ़ेगी, कई अन्य के नाम सामने आ सकते हैं।


आपस में रिश्तेदार या फिर दोस्त होने के भी मिले साक्ष्य
एक कारोबारी के नाम पर 11 तो कई अन्य के नाम पर एक या दो भूखंड दर्ज हैं। जांच के दौरान पता चल रहा है कि भूमि खरीदने वालों के बीच पिता-पुत्र, पति-पत्नी और भाई-बहन का रिश्ता है। अभी अधिग्रहण की गई जमीन के बदले मुआवजा पाने वाले आधे से अधिक लोगों की जांच होनी बाकी है।

इनके नाम दर्ज मिले कई भूखंड 
एनएचएआई अधिकारियों के अनुसार अधिग्रहण से पहले गांव हुसैन नगर के गाटा संख्या 185 में पीयूष टंडन, नवीन खेड़ा व मनीष सिंघल के नाम दर्ज थे। वहीं, साधना सिंह व हिमांशु सिंह के नाम पर गांव हुसैननगर में गाटा संख्या 145 व 146, राजेश कुमार, सुरेंद्र कुमार, रामकिशोर, रमन फुटेला के नाम सरदारनगर में गाटा संख्या 32, अंकुर पपनेजा, राजेश के नाम गांव अमरिया में गाटा संख्या 230 और धर्मवीर के नाम अमरिया में गाटा संख्या 84, 86 की भूमि दर्ज थीं। ये भूखंड हाईवे चौड़ीकरण प्रोजेक्ट शुरू होने से कुछ समय पहले ही कृषकों से खरीदे गए थे।


इन लोगों के नाम पर दर्ज हैं भूखंड
भगवान दास : गांव सरकरा में गाटा नंबर 495, 496, गांव शाही में गाटा नंबर 339, 214, गांव उगनपुर में गाटा नंबर 78, गांव अमरिया में गाटा नंबर 230, गांव भौनी में गाटा नंबर 371, 501, 500, गांव सरदार नगर में गाटा नंबर 32, गांव कल्याणपुर चकरातीर्थ में गाटा नंबर 198, गांव माधोपुर में गाटा नंबर 147, 213, गांव शागवान नगरिया में गाटा नंबर 894 की भूमि।
रामेश्वर दयाल गंगवार : गांव उगनपुर में गाटा संख्या 78, गांव कुकरीखेड़ा में गाटा संख्या 60, गांव देवीपुरा में 64, गांव हांडा में गाटा संख्या 49, गांव शाही में गाटा संख्या 293, 329, 580, 772 की भूमि। 
हिमांशु सिंघल : गांव नकरपुरा में गाटा संख्या 480, 495, 496 की भूमि।
धर्मवीर मित्तल : गांव अमरिया में गाटा संख्या 84, 86 की भूमि।


इन बिंदुओं पर मुख्य रूप से होगी जांच

  • बाहरी लोगों ने प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले कब किसानों से जमीन ली।
  • कितने रुपये में जमीनें कृषकों से ली गईं और कितने का मुनाफा हुआ। 
  • एक-एक व्यक्ति के नाम पर कितनी कृषि योग्य जमीनें पंजीकृत हैं।
  • जिन भूमियों का मुआवजा मिला, वहां की सत्यापन रिपोर्ट किसने पास की।
  • आवासीय, व्यावसायिक भूमि दिखाने वाली रिपोर्ट किस आधार पर बनाई गई।
  • किन प्रशासनिक अधिकारियों की संलिप्तता से कृषकों से जमीन खरीदी।
  • जिनके नाम जमीनें की गई हैं, उनके साथ अधिकारियों की क्या संलिप्तता है।
  • योजना लीक कैसे हुई, गोपनीय रिपोर्ट दलालों को कहां से मिली।
  • जिन कारोबारियों की जमीनें सामने आई हैं, उनकी एनएचएआई के और किन प्रोजेक्ट में कहां-कहां जमीनें हैं।


जांच के लिए आ सकती है शासन की टीम
बरेली-पीलीभीत-सितारगंज हाईवे की भूमि अधिग्रहण के बांटे गए मुआवजे में हुए घोटाले की शासन स्तर से जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो एक या दो दिन में बरेली, पीलीभीत में लखनऊ से जांच टीम निरीक्षण करने के लिए आ सकती है। हालांकि टीम के आने और जांच को लेकर गोपनीयता बरती जा रही है।

एनएचएआई के चेयरमैन संतोष यादव ने 23 अगस्त को मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को पत्र भेजकर मामले में गहनता से जांच के लिए आग्रह किया गया था। इस मामले में एनएचएआई ने अपने क्षेत्रीय अधिकारी संजीव कुमार शर्मा और पीडी बीपी पाठक को निलंबित कर दिया है। जांच में भूमि अधिग्रहण में कृषि भूमि को व्यावसायिक, आवासीय बताकर करोड़ों रुपये का मुआवजा दिलाने वाले केंद्र व राज्य के अधिकारियों को चिह्नित किया जाएगा। 

प्रशासन व राजस्व विभाग के अधिकारी मुख्य रूप से निशाने पर होंगे। सूत्रों के अनुसार जांच के लिए गठित टीम में अलग-अलग जिलों के अधिकारी शामिल हैं। इनमें आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को भी नामित किया गया है। इस जांच टीम का काम साक्ष्य हासिल कर जांच रिपोर्ट मुख्यालय को सौंपना होगा। 


रिंग रोड के मुआवजे पर भी घोटाले की आंच
बरेली में रिंग रोड के मुआवजे पर घोटाले की आंच का अंदेशा है, अब तक तो अधिसूचना जारी होने के बाद मुआवजा देने की प्रक्रिया . बढ़ती थी, लेकिन अब पुनर्सत्यापन में मामले फंसेंगे। फिलहाल तो प्रक्रिया अटकी है। बरेली-सितारगंज हाईवे पर भूमि अधिग्रहण के दौरान मूल्यांकन में फर्जीवाड़ा करके 50 करोड़ रुपये हड़पने के खेल का खुलासा हुआ। इसके बाद से अधिग्रहण से जुड़े सभी अधिकारियों ने प्रक्रिया को सुस्त कर दिया। 

मूल्यांकन रिपोर्ट देखने के बाद अधिकारी हकीकत देखने का निर्णय ले चुके है। अगर रिंग रोड की बात करें तो यह परियोजना डीपीआर के स्तर पर है। वित्तीय और तकनीकी स्वीकृति भी नहीं मिल सकी है, लेकिन मूल्यांकन हो चुका है। वित्तीय स्वीकृति न होने से मुआवजे के भुगतान अब अटके हुए हैं। 


Credit By Amar Ujala

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