खबर शहर , UP : हाईकोर्ट ने पूछा…महानिदेशक चिकित्सा बताएं सूबे में क्यों है रेडियोलॉजिस्ट की कमी – INA

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यौन शोषण की नाबालिग पीड़िता को चिकित्सा परीक्षण के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल दौड़ाने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने सूबे के जिला अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट की कमी पर जबावी हलफनामें के साथ 27 सितंबर को प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं के महानिदेशक, आजमगढ़ के अपर निदेशक (स्वास्थ्य) और वाराणसी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को अदालत मेें हाजिर होने का आदेश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने नाबालिग के यौन शोषण के आरोपी बलिया जिले के प्रकाश कुमार गुप्ता की ज़मानत याचिका स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने पाया कि रेडियोलॉजिस्ट की अनुपस्थिति के कारण पीड़िता की चिकित्सा जांच में काफी देरी हुई थी। पीड़िता को पहले वाराणसी और फिर आजमगढ़ ले जाया गया, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण उसे बार-बार मना कर दिया गया और देरी हुई।

मामला बलिया जिले के सतवार थाना क्षेत्र का है। याची प्रकाश कुमार गुप्ता पर आरोप है कि उसने 16 मार्च, 2023 को सहतवार, जिला बलिया से 13 वर्षीया नाबालिग लड़की का अपहरण किया और उसके बाद उसका उसका यौन उत्पीड़न किया। घटना के एक दिन बाद एफआईआर दर्ज की गई थी और अपराध के समय का कोई विशेष उल्लेख नहीं था।


अदालत के निर्देश पर किए गए पीड़िता के अस्थि परीक्षण (आसिफिकेशन टेस्ट) से पता चला कि उसकी उम्र 19 वर्ष थी। कोर्ट ने कहा कि पाक्सो अधिनियम 18 वर्ष से कम आयु के नाबालिगों को यौन शोषण से बचाने के लिए बनाया गया है, लेकिन मौजूदा मामले में अस्थि परीक्षण रिपोर्ट के आभाव में आरोपी को गंभीर परिणाम भुगतने पड़े। उसे जेल में रहना पड़ा। कोर्ट ने इस आधार पर आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया।


पीड़िता को जांच के नाम पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने को लेकर कोर्ट नाराज

जमानत का आदेश देने के साथ ही कोर्ट ने जिला अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट उपलब्ध कराने में असमर्थता के लिए अधिकारियों की कार्यशैली की आलोचना की, जिसके कारण पीड़िता की आयु निर्धारित करने के लिए आवश्यक अस्थि परीक्षण में देरी हुई। जांच के लिए पीड़िता को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना पड़ा।

कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि रेडियोलॉजिस्ट की अनुपलब्धता के कारण बलिया के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पीड़िता को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना पड़ा। जिससे पीड़िता को और अधिक आघात पहुंचा।

कोर्ट ने कहा कि कई मामलों में देखा गया है कि सूबे के जिलों में रेडियोलॉजिस्ट तैनात नहीं हैं। इसकी अधिकारी पीड़ितों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक दौड़ाते रहते है। कोर्ट ने महानिदेशक को हलफनामे संग अदालत में पेश होकर बताने को कहा है कि जिलों में कितने रेडियोलॉजिस्टों तैनात हैं। उनकी योग्यता और सरकारी कोटे से उन्हें किस हद तक लाभ मिल रहा है।


Credit By Amar Ujala

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