देश – रीजनल प्लान – 2041 पर अमल से नई ऊंचाईयां छुएगा एनसीआर, आरआरटीएस के साथ- साथ ऑर्बिटल रेल प्रोजेक्ट से पूरे क्षेत्र को लगेंगे पंख – #NA
Ghaziabad News :
ऑर्बिटल रेल प्रोजेक्ट पूरे एनसीआर को नई ऊंचाईयां देने वाला प्रोजेक्ट साबित होगा। पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे के साथ – साथ प्रस्तावित आर्बिटल रेल लोगों को सार्वजनिक परिवहन का सस्ता, सुलभ और स्मूथ विकल्प उपलब्ध कराएगी। दरअसल एनसीआर प्लानिंग बोर्ड द्वारा अक्टूबर- 2021 में स्वीकृत रीजनल प्लान-2041 के मुताबिक एनसीआर के भीतर सुपर-फास्ट ट्रेनों के माध्यम से “30 मिनट की कनेक्टिविटी” के कंसेप्ट को अपनाने की बात कही गई है, आरआरटीएस के बाद ऑर्बिटल रेल प्रोजेक्ट भी उसी का हिस्सा है।
दुहाई में विकसित हो रहा बड़ा ट्रांसपोर्ट हब
ऑर्बिटल रेल परियोजना से दुहाई में तैयार हो रहे ट्रांसपोर्ट हब को नया विस्तार मिलेगा। दरअसल दुहाई पर दिल्ली- गाजियाबाद- मेरठ रोड, दिल्ली- मेरठ एक्सप्रेस-वे, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे और दिल्ली- मेरठ रैपिड रेल का जंक्शन तो तैयार हो ही चुका है, ऑर्बिटल रेल भी दुहाई में विकसित हो रहे ट्रांसपोर्ट हब के साथ एकीकृत होगी। जीडीए की प्रस्तावित नॉदर्न पेरिफेरल रोड, जो एनएन-9 से मेरठ रोड को पार करते हुए सीधे लोनी तक जाए्गी, वह भी दुहाई ट्रांसपोर्ट हब का हिस्सा बनेगी, यानि दुहाई से इधर लोनी होते हुए दिल्ली और उधर एनएच-9 से भी कनेक्टिविटी बेहतर होगी। यह छह लेन रोड जीडीए की मधुबन-बापूधाम योजना को भी तरक्की के हाईवे पर चढ़ाने का काम करेगी। इतना ही नहीं यह ट्रांसपोर्ट हब दुहाई से लगे राजनगर एक्सटेंशन और जीडीए की प्रस्तावित टाउनशिप हरनंदीपुरम को विकास के लिए पूरा फलक मिलने वाला है।
बेहतर ट्रांसपोर्टेशन से पूरे रीजन का होगा विकास
रीजनल प्लान – 2041 एनसीआर के विकास के लिए विजन दस्तावेज है। इसमें इस बात भी जोर दिया गया कि पूरे रीजन में लोग जहां रह रहें वहीं रहते उन्हें काम उपलब्ध हो, पूरे रीजन की कनेक्टिविटी बेहतर करके ही इस समस्या का समाधान संभव है ताकि लोग रहने के लिए दिल्ली की ओर दौड़ना बंद करें और कम समय में पूरी रीजन में कहीं भी आ जा सकें। मतलब साफ है कि जब मेरठ में रहने वाले व्यक्ति को जेवर के अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए सीमित समय में सुविधाजनक तरीके से पहुंचने की सुविधा मिलेगी तो पूरे रीजन का समेकित विकास संभव हो सकेगा।
प्रदूषण पर अंकुश लगाने में मदद करेगी ऑर्बिटल रेल
दरअसल प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए आधुनिक और सुविधाजनक सार्वजनिक परिवहन प्रणाली पर जोर दिया जाना जरूरी है, जो लोगों को सस्ती और सुविधाजनक लगे। कंफर्ट में रहना लोगों की प्राथमिकता बन चुकी है, सुविधाओं से समझौता करते हुए लोगों को निजी कार से सार्वजनिक परिवहन सेवा पर ट्रांसफर किया जाना है संभव नहीं है। इसलिए ऑर्बिटल रेल में भी आरआरटीएस की तरह सुविधाजनक यात्रा पर जोर दिया जाएगा ताकि ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर वाहनों के दवाब को कम करते हुए प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सके।
फिजीबिलटी रिपोर्ट तैयार करने में मदद करेगा जीडीए
उत्तर प्रदेश सरकार ने अॉर्बिटल रेल प्रोजेक्ट को पूरी गर्मजोशी के साथ लेते हुए न केवल गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) को नोडल एजेंसी नामित किया है बल्कि फिजीबिलटी रिपोर्ट तैयार कराने के लिए हरियाणा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर विकास निगम के साथ सहयोग करने की जिम्मेदारी भी सौंपी है। छह माह में प्रोजेक्ट की फिजीबिलटी रिपोर्ट बनकर तैयार होगी, शुरूआती भुगतान के तौर उत्तर प्रदेश सरकार ने विकास निगम 10 लाख रुपये आवंटित भी कर दिए हैं। प्रोजेक्ट का उद्देश्य ऑर्बिटल रेल के जरिए प्रमुख शहरों को जोड़ने वाले एक समर्पित रेलवे कॉरिडोर की स्थापना करके एनसीआर के भीतर परिवहन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाना है।
बागपत, गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा जुड़ेंगे
135 किमी के आर्बिटल रेल प्रोजेक्ट की 90 किमी लंबाई उत्तर प्रदेश में होगी। इसमें गाजियाबाद, बागपत, नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे प्रमुख शहरी केंद्र शामिल होंगे। ऑर्बिटल रेल प्रोजेक्ट पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे के मुकाबलें बेहतर कनेक्टिविटी विकल्प साबित होगा। आॅर्बिटल रेल कॉरिडोर पर हर पांच किमी पर स्टेशन बनाए जाएंगे और स्टेशन के पास टाउनशिप बनेंगी। कुल मिलाकर आर्बिटल रेल पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा दोनों में बेहतर कनेक्टिविटी का साधन बनकर उभरेगी। स्टेशन की लोकेशन अधिक आबादी के आसपास रखी जाएगी।
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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
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