यूपी – पंजाब: CM भगवंत मान ने जनता को दी बड़ी सौगात, प्लॉट की रजिस्ट्री के लिए NOC की शर्त खत्म #INA

पंजाब सरकार ने आम जनता को बड़ी राहत दी है. सीएम भगवंत सिंह मान की अगुवाई में पंजाब विधानसभा ने  ऐतिहासिक बिल ‘पंजाब अपार्टमेंट एंड प्रॉपर्टी रेगुलेशन (संशोधन) एक्ट-2024’ को सर्वसम्मति से पारित करते हुए प्लॉट की रजिस्ट्री के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एन.ओ.सी.) की शर्त को खत्म कर दिया है. विधानसभा के सदन में ‘पंजाब अपार्टमेंट एंड प्रॉपर्टी रेगुलेशन (संशोधन) एक्ट-2024’ पर चर्चा को खत्म करते हुए सीएम ने कहा कि इस संशोधन का लक्ष्य जहां अवैध कॉलोनियों पर शिकंजा कसना है. वहीं छोटे प्लॉट मालिकों को राहत पहुंचना है. उन्होंने कहा कि  इस बिल से आम लोगों को काफी राहत मिलने वाली है.

इस संशोधन से लोगों को अपने प्लॉट की रजिस्ट्री करवाने में आने वाली समस्याओं से निजात मिलेगी. वहीं अवैध कॉलोनियों पर रोक लगेगी. भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह संशोधन आरोपी व्यक्तियों के लिए जुर्माने और सजा का प्रावधान करता है. उन्होंने कहा ​कि इस ऐतिहासिक निर्णय का लक्ष्य आम लोगों की भलाई को तय करना है.

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नोटिफिकेशन के माध्यम से नोटिफाई की गई तिथि तक लागू होगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि नए संशोधन के अनुसार, कोई भी शख्स जिसने 31 जुलाई, 2024 तक अवैध कॉलोनी में स्थित 500 वर्ग गज तक के क्षेत्र के लिए, एक पावर ऑफ अटॉर्नी, स्टांप पेपर पर बेचने के लिए अनुबंध या कोई अन्य ऐसा दस्तावेज जिसके बारे में सरकार अधिसूचना द्वारा तय की जा सकती है. जिसके माध्यम से अनुबंध किया है, उस क्षेत्र के लिए एन.ओ.सी. की जरूरत नहीं होगी. सीएम ने कहा कि इस संपत्ति का मालिक अपने प्लॉट की रजिस्ट्री संबंधित रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रार या संयुक्त सब-रजिस्टार के पास करवा सकता है और ऐसे क्षेत्र को पंजीकृत करवाने के संबंध में यह छूट सरकार की ओर से नोटिफिकेशन के माध्यम से नोटिफाई की गई तिथि तक लागू होगा. 

स्थानीय शहरी संस्था से एन.ओ.सी. पाने की जरूरत नहीं

इस रजिस्ट्रेशन के लिए मकान निर्माण और शहरी विकास विभाग की संबंधित विकास प्राधिकरण या स्थानीय सरकार विभाग से जुड़ी स्थानीय शहरी संस्था से एन.ओ.सी. पाने की जरूरत नहीं होगी. उन्होंने बताया ​कि इस प्रकार के बिक्री दस्तावेज की सूचना रजिस्ट्रार  या सब-रजिस्ट्रार या संयुक्त सब-रजिस्ट्रार की ओर से संबंधित प्राधिकरण को उपलब्ध करवाई जाएगी. 

मुख्यमंत्री ने बताया कि उपरोक्त के अनुसार दी गई छूट की अधिसूचित तिथि बीत जाने के बाद भी यदि इस संपत्ति को आगे नहीं बेचा गया है तो रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रार या संयुक्त सब-रजिस्टार द्वारा ऐसी संपत्ति के संबंध में अगले बिक्री दस्तावेज़ों को संबंधित विकास प्राधिकरणों/स्थानीय सरकार को सूचित करते हुए पंजीकृत किया जाएगा.

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25 लाख रुपए जुर्माना हो सकता है

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक्ट के तहत पंजीकृत कोई भी व्यक्ति या प्रमोटर या उसका एजेंट और कोई अन्य प्रमोटर, जो बिना किसी उचित कारण के, एक्ट की धारा-5 के उपबंधों  का पालन करने में विफल रहता है या उल्लंघन करता है तो दोषी पाए जाने पर उसे कम से कम 25 लाख रुपए जुर्माना हो सकता है. जिसे 5 करोड़ रुपए तक बढ़ाया जा सकता है. इसके साथ ही उसे कम से कम पांच साल की कैद की सजा दी जाएगी. इसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अवैध कॉलोनाइज़र ने लोगों को हरा-भरा सपना दिखाकर लूटा और उन्होंने बिना मंजूरी के कॉलोनियों को बेच दिया. वहीं ये कॉलोनियां  स्ट्रीट लाइट, सीवरेज और अन्य बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. भगवंत सिंह मान ने कहा कि मजबूर लोग इन कॉलोनियों में जरूरी सुविधाएं हासिल करने के लिए परेशान होते हैं.

गलत हरकतों का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता

मुख्यमंत्री ने कहा कि कॉलोनाइजर अवैध तरीके से पैसा एकत्र करते हैं, लेकिन उनकी गलत हरकतों का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने तीन बार अवैध कॉलोनियों को नियमित किया. वहीं हर बार यह शर्त रखी गई थी कि यह राहत आखिरी बार दी जा रही है. भगवंत सिंह मान ने कहा कि देश के सबसे  अनुभवी मुख्यमंत्रियों में से एक होने के कारण उन्होंने यह फैसला आम लोगों के प्लॉटों   को कानूनी जामा पहनाने के लिए लिया है, न कि अवैध कॉलोनियों को.

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने निवेशकों को आवश्यक मंजूरी प्राप्त करने की  सुविधा देने के लिए रंगीन अष्टाम पेपर पेश किए हैं. उन्होंने कहा कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि जमीन का उपयोग केवल उसी उद्देश्य के लिए किया जाए, जिसके लिए निवेशकों ने मंजूरी मांगी थी. भगवंत सिंह मान ने कहा कि पिछली सरकारों के लंबे कुशासन के दौरान अवैध कॉलोनियों में वृद्धि हुई क्योंकि पिछली सरकारों ने अवैध कॉलोनाइज़र की सरपरस्ती की.


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