यूपी- UP: क्लास में घुसा पानी, जाने के लिए बनाया बेंच वाला पुल, दरिया बना मेडिकल कॉलेज – INA
नदियों और नालों पर बने पुल तो आपने बहुत से देखे होंगे लेकिन किसी कॉलेज में वह भी मेडिकल छात्रों के पढ़ाई के लिए बनाए गए पुल शायद ही देखा होगा. उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में पिछले करीब 15 दिनों से कॉलेज प्रशासन ने एक पुल बनया है, जिस पर चढ़कर हर दिन कॉलेज के छात्र और टीचर कॉलेज में जलजमाव को पार करते हैं. कॉलेज जो करीब 11 बीघा का है और मौजूदा समय में करीब 8 बीघा पानी से पूरा लबा-लब भरा हुआ है. इसमें आने-जाने और उसे पार करने के लिए कॉलेज प्रशासन की तरफ से छात्रों के पढ़ने वाले बेंच को पुल का रूप दे दिया गया है. इसी से टीचर और छात्रा आते और जाते हैं.
गाजीपुर के रौज़ा इलाके में उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा 1982 में राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज स्थापित कर होम्योपैथिक विधा से डॉक्टर बनने वाले छात्रों को सौगात देने का काम किया था. इस कॉलेज में हर साल नीट से क्वालीफाई होकर एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए करीब 63 छात्रों का दाखिला किया जाता है. मौजूदा समय में करीब 200 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं.
11 बीघा में फैला है कॉलेज
मौजूदा समय में राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज करीब 11 बीघा में फैला हुआ है जिसमें छात्रों के लिए क्लासरूम ,कार्यालय, प्रशासनिक भवन के साथ ही साथ अस्पताल का भी संचालन किया जाता है. मौजूदा समय में पूरा कॉलेज कैंपस बारिश के पानी से घिरा हुआ है और करीब पूरे कॉलेज कैंपस में तीन से चार फीट पानी लगा हुआ है. इसके चलते छात्रों की पढ़ाई के साथ ही साथ कॉलेज का प्रशासनिक कार्य भी प्रभावित हो रहा है. ऐसे में इन समस्याओं को देखते हुए नवागत प्रधानाचार्य डॉ राजेंद्र सिंह ने छात्रों के पढ़ाई के लिए क्लासों में लगाए गए टेबल को कॉलेज में पहुंचने का जरिया बनाने के लिए बेंचो से एक पुल का निर्माण कर दिया और इसी पुल के सहारे हर दिन छात्र और कॉलेज प्रशासन प्रतिदिन आया और जाया करता है.
छात्रों की चल रही हैं परीक्षाएं
कॉलेज के छात्रों की बात करें तो मौजूदा समय में छात्रों की परीक्षाएं चल रही हैं लेकिन कॉलेज में पानी भरा होने के कारण सभी छात्रों की परीक्षाएं यहां से कुछ दूर पॉलिटेक्निक कॉलेज में संपन्न कराई जा रही हैं. वहीं छात्रों के क्लास में पानी भर जाने के कारण उनके क्लास छत के ऊपर बने भवन जो लाइब्रेरी के लिए बनाया गया है. उसमें क्लास का संचालन किया जा रहा है.
कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ राजेंद्र सिंह ने बताया कि अभी वह कुछ दिनों पहले ही इस कॉलेज में आए हैं और उनके आने के कुछ दिन बाद ही यह समस्या सामने आई है. इस समस्या के लिए उन्होंने कॉलेज का लो लैंड होने के साथ ही साथ कॉलेज के आसपास के सभी नाली और नाले का चोक होना बताया है. साथ ही पिछले दिन रेलवे के द्वारा रेल पटरियों का दोहरीकरण करते वक्त रेलवे पटरी के नीचे जो पहले से पानी निकासी के लिए पाइप लगा हुआ था उसे नहीं लगना या फिर तोड़ देना मुख्य वजह बता रहे हैं. इस वजह से पानी की निकासी नहीं हो रही है और कॉलेज परिसर में पिछले एक महीना से पानी लगा हुआ है.
8-9 साल से बनी हुई है समस्या
जिला प्रशासन की तरफ से पानी निकासी के लिए दो पंप लगाए गए हैं वहीं कालेज प्रशासन भी अपनी तरफ से एक पंप लगाया हुआ है. इस वजह से कुछ दिनों में पानी तो निकला है. ऐसे में अगर अगले 15 दिनों तक बारिश नहीं होती है तब कॉलेज परिसर से पानी निकलने की उम्मीद है और यदि बारिश हो जाता है तो यह समस्या और आगे भी बढ़ सकती है.
कॉलेज परिसर में ही होम्योपैथिक अस्पताल का भी चलाया जाता है, जहां पर पहले जहां 400 मरीजों की ओपीडी की जाती थी. वहीं अस्पताल परिसर में भी 3 से 4 फीट पानी भरा होने के कारण अब ओपीडी भी विस्थापित होकर कॉलेज के मुख्य द्वार पर टेंट में संचालित हो रहा है. अस्पताल के आरएमओ ए. पी सिंह ने बताया कि यह समस्या पिछले एक महीने से आ रही है. वैसे यह समस्या करीब 8-9 सालों से है, लेकिन इस समस्या को स्थाई रूप से हल करने के लिए प्रशासन की तरफ से स्थाई उपाय नहीं किया जाता है.
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