यूपी- धार्मिक रूप से ऑनलाइन श्राद्ध सही है या गलत? – INA
पितृों के तर्पण के लिए पितृपक्ष शुरू हो चुका है. पितृपक्ष भाद्रपद के पूर्णिमा तिथि को 18 सितंबर से शुरू हुआ जो 2 अक्टूबर तक चलेगा. काशी के पिशाचमोचन विमल तीर्थ पर श्राद्ध कर्म और त्रिपिंडी श्राद्ध के लिए देश भर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. जो काशी या गया आने में सक्षम नही हैं वो ऑनलाइन माध्यम से पितृों का तर्पण कर रहे हैं. इनमें रूस, अमरीका के साथ-साथ एशिया के कई देशों के भक्त शामिल हैं.
ऑनलाइन पितृ श्राद्ध को लेकर भक्तों के बीच यह सही और गलत का सवाल बना हुआ है. जो भक्त देश से बाहर हैं वह अपनी सुविधा को लेकर ऑनलाइन श्राद्ध के लिए पुरोहितों से संपर्क कर रहे हैं. तीर्थ पुरोहित भीखु उपाध्याय बताते हैं कि प्रतिदिन बारह से पंद्रह श्रद्धालु ऐसे हैं जो विदेशों में हैं और ऑनलाइन श्राद्ध करा रहे हैं. देश के अलग-अलग राज्यों के भी श्रद्धालु भी ऑनलाइन श्राद्ध के लिए उनसे जुड़ रहे हैं.
ऑनलाइन श्राद्ध है गलत
ऑनलाइन श्राद्ध को लेकर कई पुरोहित उसे सही नहीं मानते. उनका कहना है कि ये शास्त्र सम्मत नहीं है. तीर्थ पुरोहित श्री कृष्णनारायण मिश्र ऑनलाइन श्राद्ध को शास्त्र सम्मत नही मानते. उनका कहना है कि पितृों के तर्पण के लिए श्राद्ध कर्म उसके परिजनों को ही करना होगा. उनका कहना है कि ऑनलाइन श्राद्ध फलीभूत नही होगा. उन्होंने बताया कि भौतिक रूप से ही श्राद्ध कर्म किए जा सकते हैं. शास्त्र में तो स्त्रियों के भी श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने की व्यवस्था हैं. अब तो पालतू पशु-पक्षियों की आत्मा की शुद्धि और मुक्ति के लिए लोग श्राद्ध करा रहे हैं और ये शास्त्र सम्मत भी है.
ऑनलाइन श्राद्ध से बचने के का उपाय
तीर्थ पुरोहित श्री कृष्णनारायण ने ऑनलाइन श्राद्ध से बचने के साथ इसका उपाय भी बताया. उनका कहना है कि यदि किसी कारण से कोई श्रद्धालु श्राद्ध के लिए आने में असक्षम है तो वह किसी को प्रतिनिधि के तौर पर भेजकर ये श्राद्ध कर्म करा सकता है. उन्होंने बताया कि पितृों के तर्पण के लिए श्राद्ध कर्म के लिए ऑनलाइन से बेहतर ऐसा कर सकते हैं और यह शास्त्र सम्मत भी है.
Source link