खबर शहर , Exclusive : संगीतकार बोले- अब संगीत में नयेपन का अभाव, पुराने गीतों ने छोड़ी अमिट छाप – INA
भारतीय सिनेमा के गीत-संगीत ने लोगों पर अमिट छाप छोड़ी है। यह भारतीय सिनेमा की ताकत है कि उसने परंपरागत गीत और संगीत को समाहित करते हुए लोगों को अपने रंग में रंगा है। फिल्म लोगों को भले ही याद न हो, लेकिन वो गीत गुनगुनाना नहीं भूलते हैं। प्रयागराज संगीत क्लब की ओर से एनसीजेडसीसी में रविवार को आयोजित होने वाले संगीत समारोह में हिस्सा लेने के लिए आए संगीतकारों ने अमर उजाला से विशेष बातचीत में उक्त विचार रखे। उन्होंने कहा कि टैलेंट और कंटेंट में कमी न होने के बावजूद आज के दौर में नया संगीत काफी कम बन रहा है।
भारतीय सिनेमा में संगीतकार अनिल विश्वास, मदन मोहन और गीतकार राजिंदर कृष्ण ने अमिट छाप छोड़ी है। 1940 से 1970 के बीच के इन संगीतकारों ने भारतीय सिनेमा को नई पहचान दिलाई। इनका कहना है कि आज के संगीत में नयापन सिर्फ नाम मात्र का है। मदन के संगीत में कविता को तवज्जो मिली। साथ ही गजल और शायरी का समावेश मिला।
आज उसी को रिक्रेयेट किया जा रहा है। झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में उन्हीं की रचना है, जो आज लोगों की जुबान पर है। फिल्म वीर जारा, अनुराग कश्यप की फिल्म साहब बीवी गैंगस्टर, लग जा गले के गाने में वही संगीत दिख रहा है। रामचंद्र ने राक एंड रोल, आना मेरी जान संडे के संडे आदि में हिंग्लिश का खूब प्रयोग किया।