देश – रेबीज मुक्त गाजियाबाद के लिए डा. बीपीएस त्यागी ने दी बच्चों को जानकारी, बचाव और उपचार के बारे में बताया – #NA

Ghaziabad News :
रेबीज एक जानलेवा बीमारी है, कुत्ता, बिल्ली, बंदर, ‌चूहा और गिलहरी इत्या क‌े काटने से फैलती है। इसका उपचार समय से न हो तो जान सकती है। इनमें से किसी के द्वारा भी काटे जाने पर तत्काल एंटी रेबीज टीका लगवाना जरूरी होता है। यदि जानवर का दांत‌ गढ़ जाए तो घाव पर सीरम लगाया जाना जरूरी होता है। यह बातें शहर के जाने माने नाक, कान और गला (ईएनटी) रोग विशेषज्ञ डा. बीपीएस त्यागी ने प्रताप विहार स्थित एसएसके पब्लिक स्कूल में एक जागरूकता कार्यक्रम के दौरान दी।

अवेकनिंग इंडिया और एसबीएन स्कूल की मुहिम

रेबीज से बचाव के लिए डा. बीपीएस त्यागी की संस्था अवेकनिंग इंडिया और एसबीएन स्कूल मिलकर स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। विभिन्न स्कूलों में अब तक एक हजार से अधिक स्कूली बच्चों को इस संबंध में जानकारी दी जा चुकी है। डा. त्यागी ने एसएसके पब्लिक स्कूल में बच्चों और स्कूल की अध्यापिकाओं को संबोधित करते हुए कहा कि कुत्ते के द्वारा काटे जाने की घटनाएं बढ़ रही हैं, इसलिए हमें रेबीज से बचाव के बारे में जागरूक होने की जरूरत है।

पालतू जानवरों का टीकाकरण अवश्य कराएं

डा. बीपीएस त्यागी ने इस मौके पर कहा कि आपके घर में यदि कोई पालतू जानवर है तो उसका टीकाकरण अवश्य कराएं ताकि उसके काटने पर रेबीज होने का खतरा न रहे। बदलते माहौल में जानवर ज्यादा आक्रामक हो रहे हैं, इनके स्वभाव पर भी ध्वनि प्रदूषण और मौसम आदि का प्रभाव प्रभाव पड़ता है। उन्होंने स्कूली बच्चों को शपथ दिलाई कि कार्यक्रम के दौरान मिली जानकारी के बारे में वह अपने घर पर भी जाकर बताएं। कार्यक्रम के दौरान डा. त्यागी ने ईएनटी से जुड़ी बीमारियों के बारे में भी बच्चों को जानकारी दी।

“रेबीज मुक्त गाजियाबाद” का संकल्प दोहराया

इस मौके पर एसबीएन स्कूल के डायरेक्टर तरुण रावत ने गाजियाबाद के सभी स्कूलों तक यह जानकारी पहुंचाने का अपना संकल्प दोहराया और कहा कि वह अवेकनिंग इंडिया के साथ हैं और अपना पूरा सहयोग देते रहेंगे और एक दिन गाजियाबाद को “रेबीज मुक्त गाजियाबाद” शहर बनाएंगे। एसएसके पब्लिक स्कूल डायरेक्टर कमल ने इस कार्यक्रम के लिए डा. बीपी त्यागी का आभार व्यक्त किया।

Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम

Source link

Back to top button