खबर शहर , UP: आगरा के इस चर्चित मिशनरी स्कूल के प्रिंसिपल को पाॅक्सो एक्ट में नोटिस, छात्रा से छेड़खानी का है मामला – INA
आगरा के चर्च रोड (हरीपर्वत) स्थित स्कूल में छात्रा से छेड़छाड़ की घटना का पुलिस आयुक्त जे रविन्दर गाैड ने संज्ञान लिया है। बृहस्पतिवार को मिशन शक्ति की नोडल प्रभारी एसीपी डॉ. सुकन्या शर्मा और थाना हरीपर्वत पुलिस को स्कूल भेजकर जांच कराई। सामने आया कि जानकारी पर भी प्रिंसिपल ने घटना को छिपाया। पुलिस को अवगत नहीं कराया। इस पर उन्हें पाॅक्सो एक्ट में नोटिस दिया गया है। थाने में आरोपी छात्रों और पीड़ित छात्रा को बुलाया गया। छात्रों की काउंसिलिंग की गई। अभिभावकों को भी समझाया गया।
पीड़ित छात्रा कक्षा नाै की है। उसे एक साल पहले स्कूल के ही छात्र ने प्रपोज किया था। उसने इन्कार किया तो वह उसे अपने साथियों के साथ परेशान करने लगा। इससे वह दहशत में आ गई थी। छात्रों ने उसके घर भी फोन कर दिया। पिता को गालियां दी थीं। पिता ने स्कूल प्रबंधन से शिकायत की। मगर, सुनवाई नहीं हुई। छात्रा से ही कह दिया गया कि वह रास्ता बदल दे। छात्रों की तरफ नहीं देखा करे।
डीसीपी सूरज राय ने बताया कि मामला संज्ञान में आने के बाद पुलिस टीम भेजी गई। स्कूल प्रिंसिपल के संज्ञान में मामला था। इसके बावजूद उन्होंने कार्रवाई नहीं की। पुलिस को नहीं बताया। उन्हें पाॅक्सो एक्ट में नोटिस देकर जवाब मांगा गया है। प्रिंसिपल को थाना हरीपर्वत भी बुलाया गया। उन्होंने बताया कि 2 छात्रों को 7 दिन के लिए निष्कासित किया गया है।
बोले, प्रैंक के दाैरान किया काॅल
पुलिस की पूछताछ में छात्र ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि यह गलत है। वह एक दोस्त की जन्मदिन पार्टी में गए थे। वहां प्रैंक के दौरान कॉल किया गया। इसमें किसी को फोन करके धमकाना था। सोचा कि उसी छात्रा के नंबर पर कॉल करते हैं। उनके साथ 14-15 छात्र और हैं। वह इसी तरह गालियां देकर बात करते हैं। स्कूल के पास ही एक स्थान पर सिगरेट पीने भी जाते हैं। सब लोग उसी जगह पर मिलते हैं।
तनाव में है छात्रा, कर दिया माफ
पुलिस ने आरोपी 3 छात्रों के साथ पीड़ित छात्रा को भी बुलाया था। वह अपने अभिभावकों के साथ आए थे। छात्रा घटना के बाद से तनाव में है। उसके सामने छात्र माफी मांगने लगे। इस पर छात्रा ने उन्हें माफ कर दिया। उधर, पुलिस ने छात्रों को समझाया कि वह अपने साथ पढ़ने वाली छात्रा का सम्मान करें। उनके घर में भी महिलाएं हैं। इसलिए छात्राओं की दिक्कत को समझें। उन्हें परेशान नहीं करें।