यूपी – UP News: 16 वर्ष की आयु में ग्रंथ रचने वाले महाकवि देव की कहानी, घर से ग्राउंड रिपोर्ट… वंशजों से बात – INA

यूपी के मैनपुरी में कुसमरा नगर में जन्में महाकवि देव ने ग्रंथों की रचना तो रीतिकाल में की थी। लेकिन, उनकी रचनाएं आज भी अमर हैं। 16 वर्ष की अल्प आयु में उन्होंने पहले ग्रंथ की रचना की थी। कुसमरा में बना महाकवि देव का स्मारक हिंदी साहित्य में उनके योगदान की मूक गवाही देता है।

महाकवि देव जी का वास्तविक नाम देवदत्त दुबे था। उनका जन्म सन 1673 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम पं. बिहारीलाल दुबे था। बचपन से ही साहित्य के प्रति रुझान होने के चलते महाकवि देव ने रचनाएं शुरू कर दी थी। 


उन्होंने पहले ग्रंथ की रचना महज 16 वर्ष की आयु में कर दी थी। इसका नाम भाव विलास था। शायद तब किसी को नहीं पता था कि वे रीतिकाल के श्रेष्ठ कवियों में गिने जाएंगे। एक बार लेखन का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह अनवरत जारी रहा। उन्होंने अपने जीवनकाल में 72 ग्रंथों की रचना की थी। 
 


महाकवि देव की नौवीं पीढ़ी के वंशज नित्यानंद दुबे बताते हैं कि 95 वर्ष की आयु तक उन्होंने लगातार लेखन प्रारंभ रखा। इसमें उनके द्वारा 72 ग्रंथों की रचना की गई। हालांकि इसमें से 15 ग्रंथ ही उपलब्ध हैं। वर्ष 1968 में महाकवि देव के निधन के साथ हिंदी के अध्याय का अंत हो गया।


नगर में बना स्मारक दिलाता है याद

महाकवि देव की जन्मस्थली कुसमरा में एक स्मारक भवन बनाया गया था, जिसका शिलान्यास तत्कालीन राज्यपाल केएम मुंशी ने किया था। भवन पुराना व जीर्ण-शीर्ण हो जाने पर पिछली प्रदेश सरकार ने कायाकल्प कराया, लेकिन इसके बाद से अब तक स्मारक का उद्घाटन नहीं हो सका।


महाकवि की ये रचनाएं हैं उपलब्ध

  • भाव विलास
  • अष्टयाम
  • भवानी विलास
  • प्रेम तरंग
  • कुशल विलास
  • जाती विलास
  • रस विलास
  • सुजान विनोद
  • प्रेमचंद्रिका
  • शब्द रसायन
  • रागरत्नाकर
  • देव चरित्र
  • देवमाया प्रपंच
  • देवशतक
  • सुखसागर तरंग


वंशजों की बात

महाकवि देव जैसे महान लेखक और साहित्यकार के हम वंशज हैं ये हमारे लिए गौरव की बात है। हमारे पूर्वज महाकवि देव ने हिंदी साहित्य के लिए अपना जीवन समर्पित किया। केवल देश में ही नहीं विदेशों में भी उन्होंने हिंदी को पहचान दिलाई। उन्होंने पूरे जीवन हिंदी और भारतीय संस्कृति की सेवा की। -नित्यानंद दुबे, वंशज महाकवि देव


महाकवि देव ने समाज के ऊपर ही अपने ग्रंथों की रचना की। उनकी रचनाओं में भाव विलास, जाति विलास, कुशल विलास चर्चित हैं। हाल ही में हमें मदन मोहन मालवीय जी के पौत्र से पता चला कि महाकवि देव की रचनाएं लंदन के एक म्यूजियम में भी संरक्षित हैं। ये हमारे और देश के लिए गर्व की बात है। -कुलदीप दुबे, वंशज महाकवि देव


Credit By Amar Ujala

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