खबर शहर , Ayodhya Deepotsav: 35 हजार राम भक्तों की मेहनत से बना विश्व कीर्तिमान, तीन बार गिनती… फिर घोषित हुआ रिकॉर्ड – INA

रामनगरी अयोध्या के आठवें दीपोत्सव में यदि अयोध्या ने एक बार फिर विश्व कीर्तिमान रचा है तो इसके बीच 35 हजार रामभक्तों की पांच दिन की कड़ी मेहनत है। अवध विश्वविद्यालय के 30 हजार स्वयंसेवक पांच दिनों में घाट पर दीपों को सजाने से लेकर जलाने व रिकॉर्ड के साक्षी बने। वहीं घाटों से लेकर रामकथा पार्क तक तैनात करीब तीन हजार पुलिस कर्मी, एक हजार सफाई कर्मी, 500 साज-सज्जा कर्मी और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के 400 कर्मियों ने भी दीपोत्सव को भव्य बनाने में योगदान दिया।

26 अक्तूबर की सुबह से ही अवध विश्वविद्यालय के स्वयंसेवक घाटों पर एकत्रित हो गए। उन्होंने राम की पैड़ी के 55 घाटों पर दीप सजाने का क्रम प्रारंभ कर दिया। करीब छह लाख दीप पहले दिन बिछाए गए। शेष दीप 27 व 28 की शाम तक बिछाए गए। 29 नवंबर को दीपों की गणना गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम ने शुरू की। 

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सुबह से दीपों में तेल डालने का शुरू हुआ काम

मुख्य पर्व पर बुधवार को स्वयंसेवकों की टीम ने सुबह से दीपों में तेल डालने का काम किया। शाम 4 बजे तक सभी दीपों में तेल युक्त कर दिया। मंच से दीपों को जलाने की घोषणा होते हो दीपों को जलाकर वॉलंटियर्स ने इतिहास रच दिया।
 


कड़ी मेहनत से स्थापित कर पाए मील का पत्थर

दीपोत्सव के नोडल प्रो़ संत शरण मिश्र ने बताया कि पांच दिनों में दीपोत्सव को लेकर 12 से 16 घंटे लगातार कार्य किया गया गया है। हालात ये थे कि वॉलंटियर्स थकान से चूर थे, लेकिन रिकॉर्ड बनाने की ललक ने उत्साह का संचार बनाए रखा। बहुत से वॉलंटियर्स तो ऐसे थे जो दो दिनों से घाटों पर ही रह रहे थे। स्वंयसेवकों की कड़ी मेहनत से हम यह मील का पत्थर स्थापित कर पाए है।

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तीन बार हुई गिनती, फिर घोषित हुआ रिकॉर्ड

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड टीम के कंसल्टेंट निश्चल बरोट ने बताया कि दीयों की गणना तीन बार की गई। जब खाली दीपक रखे गए तब एक बार दीयों की गणना की गई। इसके बाद ड्राई काउंट ड्रोन के माध्यम से किया गया। इसमें एक साफ्टवेयर होता है जिसमें सभी दीयों की संख्या पता चल जाती है। उसके बाद जब दिए जल गए तब फिर ड्रोन से गणना कर फाइनल रिजल्ट जारी किया गया।


Credit By Amar Ujala

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