यूपी – Weather News: दिवाली पर पटाखों ने बिगाड़ी हवा की सेहत, बलरामपुर में सांस लेना हुआ दूभर… अस्थमा रोगी परेशान – INA

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में दीपावली पर दो दिनों तक जले पटाखों का विषैला धुआं हवा में घुलने से प्रदूषण बढ़ गया है। धुंध के कारण सुबह जहां दृश्यता करीब 200 मीटर रही। वहीं नमी और प्रदूषण के चलते रविवार को पूरे दिन धुंध बनी रही। आंकड़ों के मुताबिक जिले में एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 197 तक पहुंच गया, जो तीन दिन पहले 90 पर था। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक 100 के ऊपर एक्यूआई का पहुंचना बच्चों, बुजुर्गों व सांस के रोगियों के लिए खतरनाक माना जाता है।

वातावरण में नमी होने की वजह से प्रदूषण फैलाने वाले कारकों का आकार बढ़ जाता है। नवंबर व दिसंबर में ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है। वायु प्रदूषण से वायुमंडल में धुएं की परत बन जाती है। इससे दृश्यता कम हो जाती है। नदियों, तालाबों, सरोवरों और झीलों के ऊपर पानी से भी वाष्प उठता है। इस कारण नमी (आर्द्रता) शहर के बजाय ऐसे स्थानों पर धुंध की स्थिति अधिक रहती है। दिन में सूर्य की तपिश कम होने से नमी सूख नहीं पा रही है।

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वातावरण में घुला विषैला धुआं

धुंध की मोटी चादर होने के कारण सुबह लोगों को देखने में परेशानी हुई। रविवार को सुबह 10 बजे तक स्थिति काफी खराब रही। मौसम में नमी और दीपावली पर दो दिन में करीब 150 क्विंटल से अधिक पटाखे जलने के बाद उससे निकलने वाला विषैला धुआं वातावरण में घुल गया है। गांवों में भी धान की कटाई व मड़ाई का काम शुरू हो गया है। इससे धूल का गुबार उड़ रहा है।


अस्पतालों में पहुंच रहे सांस के मरीज

प्रदूषण का असर सेहत पर किस प्रकार पड़ रहा है, इसकी हकीकत अस्पतालों में पहुंचने वाले सांस के मरीजों से हो रही है। रविवार को जिला मेमोरियल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में सांस व खांसी के मरीज अधिक दिखे। कुछ मरीजों को सीने में जलन की शिकायत भी रही। चिकित्सक ने मरीजों को मास्क लगाने का सुझाव दिया है।

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इस तरह करें बचाव

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एके शुक्ल ने बताया कि वायु प्रदूषण का सबसे अधिक असर फेफड़ों पर पड़ता है। इसके अलावा आंख, स्किन और शरीर के दूसरे अंग भी वायु प्रदूषण से प्रभावित होते हैं। गर्भवती व बच्चों के लिए भी वायु प्रदूषण घातक है। सांस के रोगी घर से निकलते समय मास्क का प्रयोग करें। 


Credit By Amar Ujala

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